प्रयागराज : महाकुंभ में तरह-तरह के साधु-संन्यासी आए हुए हैं. धूनी रमाए आपको नागा संन्यासी मिल जाएंगे तो वहीं माला जपते साधु. इन सबके बीच आध्यात्मिक गुरु MAAsterG मिशन 800 करोड़ के साथ हैपीनेस की गारंटी लेकर महाकुंभ में आए हैं. उनका कहना है कि 18 साल की आध्यात्मिक यात्रा के दौरान जो कुछ सीखा है, उसे 800 करोड़ लोगों को वाणी के माध्यम से देना है. दावा है कि श्रद्धालुओं को केवल 30 दिन तक उनकी वाणी सुननी है और उनके जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव की गारंटी है. जीवन में नकारात्मकता दूर होगी और खुशहाली आएगी.
17 साल पहले शुरू हुआ आध्यात्मिक सफर : आध्यात्मिक गुरु मास्टर जी कहते हैं कि मेरे आध्यात्मिक सफर की शुरुआत 17 साल पहले हुई थी. मेरा पुराना नाम राजेश कुमार था. माया में उलझा हुआ. उस समय फुल बॉडी कोलेस्ट्रॉल होता था, बीमार थे. डॉक्टरों ने कहा भाई अगर ध्यान नहीं दोगे तो दिक्कत होगी. तभी चिंता और अंधकार के बीच हमारा मन एकांतवास में चला गया. उन्होंने बताया कि 2007 में आध्यात्मिक खोज में निकले और जब वापस लौटे तो पुराना राजेश कुमार मर चुका था. एक नई आध्यात्मिक चेतना का उदय हो चुका था. जीवन का ज्ञान मिला. गीता का दर्शन हुआ. वेदों का दर्शन हुआ. मस्ती मिली. उन्होंने बताया कि सब चिंता दूर हो गई. इसके बाद मौज में रहना शुरू हो गया. मैं का अहंकार शून्य हो गया. सब परम सत्ता को समर्पित कर दिया. दिसंबर 2023 में हमने एक 70 साल की बुजुर्ग महिला को वाणी दिया, वो काफी दुखी रहती थीं. वाणी के बाद बुजुर्ग महिला की चिंताएं दूर हो गईं और वह मस्ती में जीना शुरु कर दी. इसके बाद यह सफर जारी रहा और अब तक लाखों लोग वाणी से अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस कर रहे हैं. हमारा मिशन 800 करोड़ जारी है.
वाणी सुनकर 30 दिनों में दुखों से छुटकारा मिलने की दावा : उन्होंने बताया कि MAAsterG के नाम के पीछे एक बड़ा राज है. MAA+ster+G नाम को अगर देखा जाए तो MAA का मतलब है मां, ster जो हमारे अंदर दिव्य ज्ञान को जगाता है और जी हमें ईश्वर से जोड़ता है. अर्थात्, मां जो हमारे अंदर दिव्य ज्ञान जगाती है और हमें ईश्वर से जोड़ती है. "मिशन 800 करोड़" मेरा सपना है, ताकि हर किसी को प्रेम, शांति, रिलैक्स से भरा जा सके जो अंततः नश्वर दुनिया से मुक्ति की ओर ले जाता है. वाणी के माध्यम से मास्टर जी आपको परमात्मा के घर की यात्रा पर ले जाते हैं. वो यात्रा जो इस जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति की है, जो मानव जन्म का उद्देश्य भी है. मास्टर जी कहते हैं कि जीवन में परिवर्तन का अनुभव शुरू करने के लिए 30 दिनों तक प्रतिदिन कम से कम एक वाणी सुनें.
17 साल की उम्र में ही शुरू हुआ आध्यात्मिक ज्ञान : मास्टरजी ने बताया कि 17 साल के युवा के रूप में मैं जीवन के गहरे उद्देश्य और अर्थ के बारे में सोचने लगा था. मैं कौन हूं. जीवन की सच्ची प्रकृति क्या है? जैसे प्रश्न हमेशा हैरान करते रहते थे. हालांकि आध्यात्मिक यात्रा के दौरान मेरी सांसारिक यात्रा भी जारी रही. मुंबई स्थित मनोरंजन उद्योग में एक सफल उद्यमी के रूप मैंने खुद को स्थापित किया. 12 से 13 घंटे कॉल पर रहते थे. नतीजतन तमाम बीमारियाें ने घर कर लिया. हाई बीपी और हाई कोलेस्ट्रॉल हो गया. उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के अस्वास्थ्यकर (जो सेहत के लिए अच्छा न हो) स्तर का पता चला. लगा ये सब क्या है. इसके बाद 42 साल की उम्र में मेरी सांसारिक यात्रा से आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत हुई. मेरे मन में तमाम तरह के गहरे प्रश्न उभरने लगे. मैं कौन हूं?. धरती पर आने का मेरा उद्देश्य क्या है? जीवन का वास्तविक स्वरूप क्या है? कौन से काम करूं जिसमें मुझे सफलता मिलेगी? किस काम में मुझे सच्ची खुशी मिलेगी? सच्चा गुरु कौन है? जैसे गुप्त प्रश्न मेरे मन में उठने लगे.
फोन कॉल का समय घटा और बिजनेस बढ़ा : उन्होंने कहा कि इन सवालों की खाेज में मैं मसूरी की 4 दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा में निकल पड़ा. मेरी चेतना अंतर्मुखी हो गई. इसके बाद मैं मौन हो गया. अपने मन की गहरी अवस्था में उतर आया. यहीं से मेरी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत हुई. मैं मैं से परे हटकर सब कुछ ईश्वर का हो गया. ज्ञान हुआ कि पूरी दुनिया प्रेम का एक परिवार है. 13 घंटे की फोन काॅल घटाकर मात्र 13 मिनट रह गई. बावजूद उसके 2008 से लेकर 2016 के बीच व्यवसाय फलता फूलता गया. इसके बाद हमने अपने से जुड़े लोगों को वाणी देना शुरू कर दिया.
18 से 20 घंटे देते हैं वाणी : उन्होंने कहा कि इस दौरान 18 से 20 घंटे लगातार बोलते रहे. लोगों को वाणी देते रहे, तब से शुरू हुआ यह सफर अनवरत जारी है. उन्होंने कहा कि वे घंटों जन कल्याण के लिए लोगों को वाणी ही देते हैं. उन्होंने बताया कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक और विदेश के 45 शहरों और कस्बों की यात्रा की. इस प्रयोग के 16 साल बाद, दिसंबर 2023 में दुनिया के सामने अपना संदेश सार्वजनिक करने का फैसला किया. वाणी अब दुनिया भर में एक लाख से ज़्यादा सक्रिय श्रोताओं तक पहुंच रही है.
हर उम्र वर्ग पर देखा गया असर : उन्होंने बताया कि दिसंबर 2023 में 10 साल के बच्चों से लेकर 80 साल के बुजुर्गों तक सभी आयु समूहों पर उनकी वाणी के प्रभाव को देखने के बाद, उन्होंने “MAAsterG” शीर्षक के तहत विभिन्न सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से इन वाणी को पूरी दुनिया के लिए सुलभ बनाने का फैसला किया. पिछले 16 वर्षों में वाणी के नियमित श्रोताओं के बीच जो प्रभाव देखा गया है, उसके आधार पर, मास्टरजी यह गारंटी देते हैं कि किसी भी विचलित करने वाली जीवन घटना से उन्हें कभी भी उदासी का अनुभव नहीं होगा, और यदि क्षणिक उदासी है, तो नियमित श्रोता थोड़े समय के भीतर संतुलन की स्थिति में वापस आ सकेंगे.
'ज्ञान' को दो प्रकारों में किया गया वर्गीकृत : मास्टर जी कहते हैं कि कोटा में आए दिन युवा सुसाइड कर रहे हैं. उनका दावा है कि अगर कोई सुसाइड करने जा रहा है केवल मुझे 5 मिनट तक सुन ले वह जीवन में कभी सुसाइड नहीं करेगा. मेरा उद्देश्य है लोगों के बीच में तनाव और चिंता को दूर करके सकारात्मकता भर सकूं, जो हमने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान सीखा है, समझा है. उन्होंने बताया कि 'ज्ञान' को मोटे तौर पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है. यह ज्ञान पांच इंद्रियों (मन और शरीर) के माध्यम से उत्पन्न और प्राप्त होता है, जिसे हम संसार कहते हैं, उसका आधार है. दूसरा है 'आत्मज्ञान' या वह ज्ञान जो पांच इंद्रियों (मन और शरीर) को काम करने में सक्षम बनाता है. मास्टर जी कहते हैं कि 'सांसारिक ज्ञान' अस्थायी है. यह जन्म से पहले अस्तित्व में नहीं था और मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाएगा. मृत्यु के समय, भौतिक शरीर सहित सभी रिश्ते और संपत्ति गायब हो जाएगी. इसलिए, इस क्षणभंगुर ज्ञान को भ्रम माना जाता है.
उन्होंने बताया कि मृत्यु के बाद शरीर को पुनर्जीवित करने के लिए कोई भी सांसारिक धन संपत्ति नहीं जुटाई जा सकती, इसलिए वह एक स्रोत जो हमारे अनुभव को शक्ति देता है, अमूल्य है और हम अपना अधिकतम समय उस स्रोत (शाश्वत) की खोज किए बिना, जो क्षणभंगुर है, उसकी खोज में बिताते हैं. जब कोई व्यक्ति 'सांसारिक' ज्ञान से ध्यान हटाकर आत्मज्ञान प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है, तो उसे जीवन की सहजता का एहसास होने लगता है और उसके भीतर अपार कृतज्ञता पैदा होती है. कुछ भी त्यागने या कोई नया कौशल हासिल करने की आवश्यकता नहीं होती.