गोरखपुरः शहर के एक होनहार किशोर ने ऐसा कमाल किया कि जिसने भी सुना वह चौंक गया. किशोर ने एक छोटा सा ट्रैक्टर बना डाला. इस ट्रैक्टर को भारत का सबसे छोटा ट्रैक्टर बताया जा रहा है. मात्र 16 साल की उम्र में इसने सबसे छोटा ट्रैक्टर बनाकर, दिल्ली में आयोजित हुए 'इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल-2020' में नवभारत निर्माण सेक्शन में देश पहला स्थान हासिल किया है. यह प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित थी. इसमें तमाम युवा वैज्ञानिक अपने प्रोजेक्ट को लेकर ऑनलाइन शामिल हुए थे. इस फेस्टिवल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व समापन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया था. इन सभी हस्तियों ने राहुल सिंह नाम के इस किशोर वैज्ञानिक की खोज को सराहा है. राहुल को 26 जनवरी को सम्मानित करने दिल्ली बुलाया जा सकता है.
ट्रैक्टर की डिमांड हो गई शुरू
राहुल सिंह महाराजगंज जिले के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. यह आठवीं कक्षा से ही विभिन्न तरह के प्रयोग करने लगे. कबाड़ के जुगाड़ से पंखे का इजाद, धान और गेहूं की कटाई करने वाली मशीन, बैटरी चालित साइकिल और कोरोना पीरियड में ऑटोमेटिक सैनिटाइजेशन मशीन इनके सफल प्रयोग का हिस्सा हैं. यह सब तैयार करके राहुल कई बार स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत होने का गौरव हासिल कर चुके हैं. इनकी प्रतिभा को देखते हुए मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर के इनोवेशन सेंटर में रहते शोध करने और पढ़ाई जारी रखने की व्यवस्था राज्य सरकार की ओर से की गई है. इस बार उनके सबसे छोटे ट्रैक्टर के प्रयोग ने सभी को अचंभित कर दिया है. इसकी पूरी तकनीक राहुल ने खुद विकसित की है. यह पेट्रोल-डीजल से नहीं बल्कि बैटरी से चलता है. राहुल का कहना है कि छोटे खेत से लेकर क्यारी की जुताई करने में यह ट्रैक्टर काफी सफल होगा. इसकी खरीद करने में छोटे किसान सहज होंगे क्योंकि इसकी कीमत लगभग 1.50 लाख होगी. उन्होंने कहा कि कोरोना काल को उसने अवसर में लेते हुए ढाई से 3 महीने में इस ट्रैक्टर को बना लिया. आज वह देश स्तर पर प्रथम पुरस्कार पाकर बेहद खुश हैं. राहुल मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय के डिजाइन एंड इनोवेशन सेंटर में नए प्रयोगों को सफल बनाने के लिए विश्वविद्यालय की मदद से अपने शोध में जुटे हैं. वह गोरखपुर के ही एबीसी पब्लिक स्कूल में इंटरमीडिएट के छात्र हैं. इनके प्रबंधक हेमन्त मिश्रा इन्हें मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं. राहुल के पिछले प्रयोगों को आधार बनाते हुए ही उत्तर प्रदेश सरकार ने उसके नए प्रयोग में आने वाले खर्च का बजट अप्रूव किया था.