गोरखपुर: आम जनजीवन के अलावा वैश्विक महामारी कोरोना का असर लगातार त्योहारों पर भी पड़ रहा है. पिछले वर्ष ईद, बकरीद, कावड़ यात्रा, गणेशोत्सव, मोहर्रम और दुर्गा पूजा पर कोरोना का काला साया ऐसा पड़ा कि सदियों से हमारी साझी संस्कृति का आईना बने ये पर्व मात्र औपचारिक रूप से सिर्फ घरों में सिमट कर रह गये. कोरोना महामारी की दूसरी लहर से वर्तमान में अभी दो पर्व मुख्य रूप से प्रभावित हो रहे हैं. पहला कांवड़ यात्रा और दूसरा मोहर्रम. सावन माह में बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा इस बार आयोजित नहीं हुई, जबकि पूरे विश्व में मनाए जाने वाला प्रमुख इस्लामिक पर्व मुहर्रम के तमाम आयोजन इस वर्ष भी कोरोना की भेंट चढ़ गए.
मोहर्रम हिजरी कैलेंडर का पहला महीना है. इसी महीने में इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को इराक के शहर कर्बला में तपती रेत पर 3 दिन का भूखा प्यासा उनके 72 साथियों के साथ-साथ जालिम बादशाह यजीद के आदेश पर शहीद कर दिया गया था. यह पूरी तरह से शोक मनाने का महीना है. इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुहर्रम की 9वीं तारीख को इमाम चौक पर ताजिया रखा जाता है और आलम सजाए जाते हैं. मोहर्रम के लिए शासन से आई गाइडलाइन के बारे में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) राजेश कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी प्रकार के जुलूस के अलावा इमाम चौक पर ताजिया रखने की इजाजत नहीं है. इसलिए कोविड-19 के लिए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का सभी को पालन करना होगा.
राजेश कुमार सिंह के पास वर्तमान में एडीएम (सिटी) की भी जिम्मेदारी है. इस बार कोरोना महामारी के कारण गोरखपुर शहर में सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइन का पालन करते हुए लगभग 1500 से ज्यादा इमाम चौक पर ताजिया नहीं रखा जा सकेगा. वहीं मुस्लिम धर्मगुरु अदनान फरूक शाह उर्फ मियां साहब ने भी लोगों से घरों में ताजिया रखने और कोविड नियमों के पालन पर जोर देने की बात कही है.
इसे भी पढ़ें-स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में शामिल होंगे वनटांगिया राम गणेश
इमाम चौक पर1500 से ज्यादा नहीं रखा जाएगा ताजिया, ये है वजह
कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर यूपी के गोरखपुर में इस वर्ष भी 1500 से ज्यादा ताजिया इमाम चौक पर नहीं रखा जाएगा.
गोरखपुर: आम जनजीवन के अलावा वैश्विक महामारी कोरोना का असर लगातार त्योहारों पर भी पड़ रहा है. पिछले वर्ष ईद, बकरीद, कावड़ यात्रा, गणेशोत्सव, मोहर्रम और दुर्गा पूजा पर कोरोना का काला साया ऐसा पड़ा कि सदियों से हमारी साझी संस्कृति का आईना बने ये पर्व मात्र औपचारिक रूप से सिर्फ घरों में सिमट कर रह गये. कोरोना महामारी की दूसरी लहर से वर्तमान में अभी दो पर्व मुख्य रूप से प्रभावित हो रहे हैं. पहला कांवड़ यात्रा और दूसरा मोहर्रम. सावन माह में बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा इस बार आयोजित नहीं हुई, जबकि पूरे विश्व में मनाए जाने वाला प्रमुख इस्लामिक पर्व मुहर्रम के तमाम आयोजन इस वर्ष भी कोरोना की भेंट चढ़ गए.
मोहर्रम हिजरी कैलेंडर का पहला महीना है. इसी महीने में इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को इराक के शहर कर्बला में तपती रेत पर 3 दिन का भूखा प्यासा उनके 72 साथियों के साथ-साथ जालिम बादशाह यजीद के आदेश पर शहीद कर दिया गया था. यह पूरी तरह से शोक मनाने का महीना है. इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुहर्रम की 9वीं तारीख को इमाम चौक पर ताजिया रखा जाता है और आलम सजाए जाते हैं. मोहर्रम के लिए शासन से आई गाइडलाइन के बारे में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) राजेश कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी प्रकार के जुलूस के अलावा इमाम चौक पर ताजिया रखने की इजाजत नहीं है. इसलिए कोविड-19 के लिए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का सभी को पालन करना होगा.
राजेश कुमार सिंह के पास वर्तमान में एडीएम (सिटी) की भी जिम्मेदारी है. इस बार कोरोना महामारी के कारण गोरखपुर शहर में सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइन का पालन करते हुए लगभग 1500 से ज्यादा इमाम चौक पर ताजिया नहीं रखा जा सकेगा. वहीं मुस्लिम धर्मगुरु अदनान फरूक शाह उर्फ मियां साहब ने भी लोगों से घरों में ताजिया रखने और कोविड नियमों के पालन पर जोर देने की बात कही है.
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