गोंडा: देश में लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार बैठे श्रमिकों और प्रवासी मजदूरों को केंद्र सरकार की तरफ से राहत देने वाली खबर है. गोंडा जिले में 833 ग्राम सभा में 33000 मनरेगा मजदूरों को रोजगार दिया गया, जिसमें 2000 प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार दिया गया है.
ठप पड़े विकास कार्यों को एक बार फिर से मिली रफ्तार
गोंडा जिले में मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायतों में ठप पड़े विकास कार्यों को एक बार फिर से रफ्तार मिल गई है. इसी क्रम में झंझरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत मलथुआ सहजोत में मनरेगा योजना के तहत तालाब निर्माण का काम कराया जा रहा है. इस त्रासदी के बीच मनरेगा योजना के प्रारंभ होने से न सिर्फ गांव मे बेकार बैठे श्रमिकों को रोजगार मिल गया बल्कि पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों को भी काम मिलने से उनकी रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी होने लगी हैं.
तालाब का कराया जा रहा है सौंदर्यीकरण
जिले के मजरे रायपुर में मनरेगा के तहत तालाब सौंदर्यीकरण का कार्य कराया जा रहा है. गांव के जो मजदूर हैं वह यहां पर काम कर रहे हैं. इन मजदूरों में बड़ी संख्या में महिला श्रमिक भी हैं, जो मनरेगा में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. इसके अलावा इनमें गैर राज्यों से वापस लौटे प्रवासी मजदूर भी हैं, जिनकी लॉकडाउन के दौरान रोजी रोटी छिन गई थी.
150 श्रमिकों को दिया गया है रोजगार
इस गांव में मनरेगा योजना के तहत 150 श्रमिकों को रोजगार दिया गया है. सभी मजदूर गांव के एक तालाब पर उसके सौंदर्यीकरण का काम कर रहे हैं. इन श्रमिकों में कई ऐसे प्रवासी मजदूर भी हैं जो दूसरे राज्यों मे रहकर मजदूरी कर रहे थे लेकिन लॉकडाउन के दौरान उन्हें अपने घर लौटना पड़ा.
जिले के मलथुआ सहजोत गांव के ग्राम प्रधान गौरव सिंह ने बाताया कि सरकार ने लॉकडाउन में मनरेगा का काम शुरू करने के निर्देश दिये थे, जिसके बाद गांव में तालाब खुदाई कराई जा रही है. इसमें श्रमिकों को रोजगार मिल गया. वहीं प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार दिया गया, जिससे लोग जीवन यापन कर रहे हैं.