ETV Bharat / state

'सर्वांगीणम संस्कार शाला' के माध्यम से बच्चों में संस्कृत शिक्षा की अलख जगा रहा यह शख्स - संस्कारिक शिक्षा

उत्तर प्रदेश के गोण्डा में रहने वाले सर्वेश तिवारी अमेरिका में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. सर्वेश तिवारी को अपनी संस्कृति के प्रति कहीं न कहीं बहुत ही लगाव रहा है, जिसके चलते उन्होंने एक सर्वांगीणम संस्कार शाला नाम के संस्था के माध्यम से गुरुकुल जैसी शिक्षा देने का बीणा उठाया है.

ETV Bharat
बच्चों में जगा रहे हैं संस्कृत शिक्षा की अलख.
author img

By

Published : Jan 1, 2020, 3:18 PM IST

गोण्डा: विदेशों में बड़े पदों पर काम करने वाले लोग अपने मातृ भूमि की संस्कृति, सभ्यता और भाषा भूल जाते हैं, लेकिन विदेश में मकैनिकल इंजीनियर के पद पर तैनात सर्वेश तिवारी को अपने देश की प्राचीनतम भाषा से इतना अगाध प्रेम था कि वह अमेरिका में रहने के बाद भी यहां पर संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए 'सर्वांगीणम संस्कार शाला' की स्थापना की, जहां करीब 60 बच्चे संस्कृत की शिक्षा ले रहे हैं.

बच्चों में जगा रहे हैं संस्कृत शिक्षा की अलख.
सर्वांगीणम संस्कार शाला नाम की संस्था
  • सर्वेश तिवारी जिले के मुजेहना ब्लॉक के विशम्भरपुर गांव में रहने वाले हैं.
  • सर्वेश तिवारी अमेरिका में पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं.
  • सर्वेश तिवारी के मन में अपनी संस्कृति के प्रति बहुत ही लगाव है.
  • सर्वेश तिवारी का कहना है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में संस्कृत भाषा खोने के साथ-साथ संस्कार का भी हनन हो रहा है.
  • सर्वेश की मानें तो संस्कारिक शिक्षा का हनन होने के कारण समाज में तमाम कुरीतियां फैल रही हैं.
  • समाज में संस्कृत और संस्कार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सर्वांगीणम संस्कार शाला नाम की संस्था के माध्यम से गुरुकुल जैसी शिक्षा देने का बीणा उठाया है.
  • सर्वांगीणम संस्कार शाला संस्थान में करीब 60 बच्चे संस्कृत की शिक्षा ले रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-गोण्डाः पेड़ से लटका मिला अधेड़, बेटा बोला गुस्से में रहते थे पिता

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में संस्कार का ह्रास हो रहा है. उसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं. फिर भी तमाम ऐसे अभिभावक हैं, जिनकी इच्छा होती है कि वह अपने बच्चों में देश की संस्कृति सभ्यता वेदों का ज्ञान दे सकें. फिर भी तमाम अव्यवस्था के चलते वह ऐसा नहीं कर पाते हैं. इस संस्कार शाला ने 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे हैं, जिन्हें वर्ष में तीन से चार बार एक सप्ताह के दो बड़े शिविर, तीन छोटे शिविर चला कर पूर्ण गुरुकुल रूपी माहौल में जीने का और आत्मसात करने का अवसर प्राप्त हो.
-सर्वेश तिवारी, मकैनिकल इंजीनियर

गोण्डा: विदेशों में बड़े पदों पर काम करने वाले लोग अपने मातृ भूमि की संस्कृति, सभ्यता और भाषा भूल जाते हैं, लेकिन विदेश में मकैनिकल इंजीनियर के पद पर तैनात सर्वेश तिवारी को अपने देश की प्राचीनतम भाषा से इतना अगाध प्रेम था कि वह अमेरिका में रहने के बाद भी यहां पर संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए 'सर्वांगीणम संस्कार शाला' की स्थापना की, जहां करीब 60 बच्चे संस्कृत की शिक्षा ले रहे हैं.

बच्चों में जगा रहे हैं संस्कृत शिक्षा की अलख.
सर्वांगीणम संस्कार शाला नाम की संस्था
  • सर्वेश तिवारी जिले के मुजेहना ब्लॉक के विशम्भरपुर गांव में रहने वाले हैं.
  • सर्वेश तिवारी अमेरिका में पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं.
  • सर्वेश तिवारी के मन में अपनी संस्कृति के प्रति बहुत ही लगाव है.
  • सर्वेश तिवारी का कहना है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में संस्कृत भाषा खोने के साथ-साथ संस्कार का भी हनन हो रहा है.
  • सर्वेश की मानें तो संस्कारिक शिक्षा का हनन होने के कारण समाज में तमाम कुरीतियां फैल रही हैं.
  • समाज में संस्कृत और संस्कार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सर्वांगीणम संस्कार शाला नाम की संस्था के माध्यम से गुरुकुल जैसी शिक्षा देने का बीणा उठाया है.
  • सर्वांगीणम संस्कार शाला संस्थान में करीब 60 बच्चे संस्कृत की शिक्षा ले रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-गोण्डाः पेड़ से लटका मिला अधेड़, बेटा बोला गुस्से में रहते थे पिता

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में संस्कार का ह्रास हो रहा है. उसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं. फिर भी तमाम ऐसे अभिभावक हैं, जिनकी इच्छा होती है कि वह अपने बच्चों में देश की संस्कृति सभ्यता वेदों का ज्ञान दे सकें. फिर भी तमाम अव्यवस्था के चलते वह ऐसा नहीं कर पाते हैं. इस संस्कार शाला ने 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे हैं, जिन्हें वर्ष में तीन से चार बार एक सप्ताह के दो बड़े शिविर, तीन छोटे शिविर चला कर पूर्ण गुरुकुल रूपी माहौल में जीने का और आत्मसात करने का अवसर प्राप्त हो.
-सर्वेश तिवारी, मकैनिकल इंजीनियर

Intro:ऐसा नहीं है कि विदेशों में बड़े पदों पर काम करने वाले लोग अपने मातृ भूमि की संस्कृति सभ्यता व भाषा भूल जाते हैं कहीं न कहीं उन्हें अपने देश की संस्कृति व भाषा से लगाव होता ही है। विदेश में मकैनिकल इंजीनियर के पद पर तैनात सर्वेश तिवारी को अपने देश की प्राचीनतम भाषा से इतना अगाध प्रेम था कि वह अमेरिका में रहने के बाद भी यहाँ पर संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए 'सर्वांगीणम संस्कार शाला' की स्थापना की जहाँ करीब 60 बच्चे संस्कृत की शिक्षा ले रहे हैं।


Body:जिले के मुजेहना ब्लाक के विशम्भरपुर गांव में रहने वाले सर्वेश तिवारी अमेरिका में पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। लेकिन उनके मन में अपनी संस्कृति के प्रति कहीं न कहीं बहुत ही लगाव था। उनको यह भी बात अखर रही है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में संस्कृत भाषा खोने के साथ साथ संस्कार का भी हनन हो रहा है। उनका मानना है कि संस्कारिक शिक्षा का हनन होने के कारण समाज में तमाम कुरीतियां फैल रहीं हैं। समाज में संस्कृत व संस्कार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सर्वांगीणम संस्कार शाला नाम के संस्था के माध्यम से गुरुकुल जैसे शिक्षा देने का बीणा उठाया है। आज उनके संस्थान में करीब 60 बच्चे संस्कृत की शिक्षा ले रहे हैं। Conclusion:इस संबंध में सर्वेश तिवारी ने बताया कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में संस्कार का ह्रास हो रहा है। उसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। फिर भी तमाम ऐसे अभिभावक हैं जिनकी इच्छा होती है कि वह अपने बच्चो में देश की संस्कृति सभ्यता वेदों का ज्ञान दे सकें फिर भी तमाम अव्यवस्था के चलते वह ऐसा नहीं कर पाते हैं। इस संस्कार शाला ने 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे हैं जिन्हें वर्ष में तीन से चार बार एक सप्ताह के दो बड़े शिविर तीन तीन छोटे शिविर चला कर पूर्ण गुरुकुल रूपी माहौल में जीने का और आत्मसात करने का अवसर प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि हम उन्हें उन विषयों को पढ़ा पाएं जिसमें आज की आधुनिक शिक्षा में उन विषयों को छोड़ दिया जाता है। मनसा वाचा कर्मणा को उनके जीवन में उतारा जा सके इसलिए हम विद्यालय की छुटियो के दिनों ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन कर उन्हें पारंपरिक वेशभूषा, वैदिक ज्ञान, वैदिक रहन सहन की जानकारी दे रहे हैं।

बाईट- सर्वेश तिवारी( मकैनिकल इंजीनियर)
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.