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आईसीटी के ब्रांड एंबेसडर रवि प्रताप अब बेसिक शिक्षा में लाएंगे सूचना प्रौद्योगिक की क्रांति

उत्तर प्रदेश के गोण्डा में एक ऐसे शिक्षक सामने आए हैं, जिन्होंने खुद के दम पर अपने स्कूल को स्मार्ट बना दिया. देशभर से आईसीटी को प्रमोट करने के लिए ब्रांड एम्बेसडर चुने गए 43 शिक्षकों में से रवि प्रताप सिंह सबसे कम उम्र के हैं.

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रवि प्रताप सिंह ने पेश की मिसाल.
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Published : Jan 4, 2020, 5:46 PM IST

गोण्डाः वो कहते हैं कि शिक्षक ही जिंदगी संवारता है और उजाले की ओर लेकर जाता है... ऐसे ही एक शिक्षक हैं रवि प्रताप सिंह, जिन्होंने खुद के दम पर अपने स्कूल को स्मार्ट बना डाला.यह स्मार्ट क्लास से बच्चों को शिक्षित करते हैं. जिसके कारण यह अपने प्राथमिक विद्यालय से बड़े-बड़े कान्वेंट स्कूलों को भी पछाड़ चुके हैं.

43 शिक्षकों को ब्रांड एम्बेसडर के लिए चुना गया. जिसमें रवि प्रताप सिंह सबसे के उम्र के ब्रांड एम्बेसडर बने. करनैलगंज तहसील का धौरहरा गांव जहां के प्रधानाध्यापक रवि प्रताप सिंह ने मिसाल कायम करते हुए एक प्राथमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय के रूप में परिवर्तित कर दिया.

रवि प्रताप सिंह ने पेश की मिसाल.

प्रधानाध्यक रवि प्रताप सिंह ने स्वार्थपरता को छोड़ समाजसेवा के दायित्वों का वहन किया और वहां संसाधनों के लिए अपने जेब से करीब 8 लाख रुपये खर्च कर डाले. आसपास के कई प्राइवेट और अन्य विद्यालय इस प्राथमिक विद्यालय से कमतर नजर आते है, जहां बच्चे उन प्राइवेट और महंगे विद्यालयों को छोड़ यहां पढ़ने आते है.

विद्यालय में 1 से 5 तक के कक्षा में करीब 350 विद्यार्थी अध्ययनरत है. आस-पास के गांवों से भी प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर बच्चे इस प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने आते हैं. रवि यहां प्रोजेक्टर और कम्प्यूटर से बच्चों को शिक्षा देते हैं. साथ ही साथ पाठ्यक्रम से इतर अन्य गतिविधियों के माध्यम से भी यह बच्चों को शिक्षित करते हैं. उनकी इसी उपलब्धि को लेकर भारत सरकार ने उन्हें स्कूली शिक्षा में सूचना संचार व प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए उन्हें ब्रांड एम्बेसडर बनाया है, जिससे वह स्कूलों में आईसीटी को प्रमोट कर सकें.

रवि प्रताप सिंह ने बताया कि उन्हें भारत सरकार ने नेशनल आईसीटी अवार्ड से सम्मानित किया था. उन्होंने कहा कि एमएचआरडी के लिए हम आईसीटी को प्रमोट करने ब्रांड एम्बेसडर बनाये गए हैं. हम कुल 43 शिक्षकों को इसके लिए चुना गया है, जिसमें केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, एटॉमिक एनर्जी, प्राइमरी स्कूल, मिडिल स्कूल, इंटर कॉलेज सबके टीचर चुने गए. अभी धौरहरा प्राथमिक विद्यालय में हम दूसरी स्मार्ट क्लास को खोले हैं. इसमें कई सारी लर्निंग टूल्स है, जिसके द्वारा बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.

कई सारे लर्निंग टूल्स हमें सिखाया भी गया है और हम बना भी रहे हैं, जिसे बनाकर हम उत्तर प्रदेश सरकार और एमएचआरडी को प्रदान भी करेंगे, जिसका लाभ अन्य प्रदेश के बच्चे भी ले सकेंगे. उन्होंने कहा कि आगे भी हम कई कार्य करना चाहते हैं, लेकिन विद्यालय में जमीन सीमित होने के चलते नहीं कर पा रहे हैं. अगर भविष्य में अगर भूमि की समस्या खत्म होती है तो अन्य कई बच्चों का एडमिशन संभव हो पाएगा.

गोण्डाः वो कहते हैं कि शिक्षक ही जिंदगी संवारता है और उजाले की ओर लेकर जाता है... ऐसे ही एक शिक्षक हैं रवि प्रताप सिंह, जिन्होंने खुद के दम पर अपने स्कूल को स्मार्ट बना डाला.यह स्मार्ट क्लास से बच्चों को शिक्षित करते हैं. जिसके कारण यह अपने प्राथमिक विद्यालय से बड़े-बड़े कान्वेंट स्कूलों को भी पछाड़ चुके हैं.

43 शिक्षकों को ब्रांड एम्बेसडर के लिए चुना गया. जिसमें रवि प्रताप सिंह सबसे के उम्र के ब्रांड एम्बेसडर बने. करनैलगंज तहसील का धौरहरा गांव जहां के प्रधानाध्यापक रवि प्रताप सिंह ने मिसाल कायम करते हुए एक प्राथमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय के रूप में परिवर्तित कर दिया.

रवि प्रताप सिंह ने पेश की मिसाल.

प्रधानाध्यक रवि प्रताप सिंह ने स्वार्थपरता को छोड़ समाजसेवा के दायित्वों का वहन किया और वहां संसाधनों के लिए अपने जेब से करीब 8 लाख रुपये खर्च कर डाले. आसपास के कई प्राइवेट और अन्य विद्यालय इस प्राथमिक विद्यालय से कमतर नजर आते है, जहां बच्चे उन प्राइवेट और महंगे विद्यालयों को छोड़ यहां पढ़ने आते है.

विद्यालय में 1 से 5 तक के कक्षा में करीब 350 विद्यार्थी अध्ययनरत है. आस-पास के गांवों से भी प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर बच्चे इस प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने आते हैं. रवि यहां प्रोजेक्टर और कम्प्यूटर से बच्चों को शिक्षा देते हैं. साथ ही साथ पाठ्यक्रम से इतर अन्य गतिविधियों के माध्यम से भी यह बच्चों को शिक्षित करते हैं. उनकी इसी उपलब्धि को लेकर भारत सरकार ने उन्हें स्कूली शिक्षा में सूचना संचार व प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए उन्हें ब्रांड एम्बेसडर बनाया है, जिससे वह स्कूलों में आईसीटी को प्रमोट कर सकें.

रवि प्रताप सिंह ने बताया कि उन्हें भारत सरकार ने नेशनल आईसीटी अवार्ड से सम्मानित किया था. उन्होंने कहा कि एमएचआरडी के लिए हम आईसीटी को प्रमोट करने ब्रांड एम्बेसडर बनाये गए हैं. हम कुल 43 शिक्षकों को इसके लिए चुना गया है, जिसमें केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, एटॉमिक एनर्जी, प्राइमरी स्कूल, मिडिल स्कूल, इंटर कॉलेज सबके टीचर चुने गए. अभी धौरहरा प्राथमिक विद्यालय में हम दूसरी स्मार्ट क्लास को खोले हैं. इसमें कई सारी लर्निंग टूल्स है, जिसके द्वारा बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.

कई सारे लर्निंग टूल्स हमें सिखाया भी गया है और हम बना भी रहे हैं, जिसे बनाकर हम उत्तर प्रदेश सरकार और एमएचआरडी को प्रदान भी करेंगे, जिसका लाभ अन्य प्रदेश के बच्चे भी ले सकेंगे. उन्होंने कहा कि आगे भी हम कई कार्य करना चाहते हैं, लेकिन विद्यालय में जमीन सीमित होने के चलते नहीं कर पा रहे हैं. अगर भविष्य में अगर भूमि की समस्या खत्म होती है तो अन्य कई बच्चों का एडमिशन संभव हो पाएगा.

Intro:गोण्डा जिले के करनैलगंज तहसील का धौरहरा गांव जहाँ एक शिक्षक ने अपने स्कूल को अपने दम पर स्मार्ट बना डाला। उनके कार्यो के मद्देनजर देश भर के स्कूलों में सूचना संचार एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने इन्हें ब्रांड अम्बेसडर घोषित किया है। नई दिल्ली में देश भर के 43 शिक्षकों को आईसीटी को प्रमोट करने के लिए ब्रांड अम्बेसडर चुना गया जिसमें रवि प्रताप सिंह सबसे कम उम्र के ब्रांड अम्बेसडर बने। बता दें कि करनैलगंज के धौरहरा में यह स्मार्ट क्लास से बच्चो को शिक्षित करते हैं। जिसके कारण यह अपने प्राथमिक विद्यालय से बड़े बड़े कान्वेंट स्कूलों को भी पछाड़ चुके हैं।



Body:करनैलगंज तहसील का धौरहरा गाँव जहाँ के एक प्रधानाध्यापक ने मिसाल कायम करते हुए एक प्राथमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय के रूप में परिवर्तित कर दिया। वहाँ के प्रधानाध्यक रवि प्रताप सिंह ने अपनी स्वार्थपरता को छोड़ समाजसेवा के दायित्वों का वहन किया और वहां संसाधनो के लिए अपने जेब से करीब 8 लाख रूपये खर्च कर डाले। आस पास के कई प्राइवेट व अन्य विद्यालय इस प्राथमिक विद्यालय से कमतर नज़र आते है। जहाँ बच्चे उन प्राइवेट और महंगे विद्यालयों को छोड़ यहाँ पढ़ने आते है।
विद्यालय में 1 से 5 तक के कक्षा में करीब 350 विद्यार्थी अध्ययनरत है। और आस पास के गाँवों से भी प्राइवेट स्कूलों को छोड़ इस प्राथमिक विद्यालय में बच्चे पढ़ने आते है। रवि वहाँ प्रोजेक्टर व कम्प्यूटर के द्वारा बच्चो को शिक्षा देते हैं। साथ ही साथ पाठ्यक्रम से इतर अन्य गतिविधियों के माध्यम से भी यह बच्चो को शिक्षित करते हैं। उनकी इसी उपलब्धि को लेकर भारत सरकार ने उन्हें स्कूली शिक्षा में सूचना संचार व प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए उन्हें ब्रांड अम्बेसडर बनाया है। जिससे वह स्कूलों में आईसीटी को प्रमोट कर सकें। Conclusion:रवि प्रताप सिंह ने बताया कि उन्हें भारत सरकार द्वारा नेशनल आईसीटी अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा कि एमएचआरडी के लिए हम आईसीटी को प्रमोट करने ब्रांड अम्बेसडर बनाये गए हैं। हम कुल 43 शिक्षकों को इसके लिए चुना गया है जिसमें केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, एटॉमिक एनर्जी, प्राइमरी स्कूल, मिडिल स्कूल, इंटर कालेज सबके टीचर चुने गए। अभी धौरहरा प्राथमिक विद्यालय में हम दूसरी स्मार्ट क्लास को खोले हैं। इसमें कई सारी लर्निंग टूल्स है जिसके द्वारा बच्चो को पढ़ाया जा रहा है। कई सारे लर्निंग टूल्स हमें सिखाया भी गया है और हम बना भी रहे हैं जिसे बना कर हम उत्तर प्रदेश सरकार और एमएचआरडी को प्रदान भी करेंगे जिसका लाभ अन्य प्रदेश के बच्चे भी ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि आगे भी हम कई कार्य करना चाहते हैं लेकिन विद्यालय में जमीन सीमित होने के चलते नहीं कर पा रहे हैं। अगर भविष्य में अगर भूमि की समस्या खत्म होती है तो अन्य कई बच्चो का एडमिशन संभव हो पायेगा।

बाईट- रवि प्रताप सिंह( अध्यापक)
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