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चीनी मिलों पर किसानों का करोड़ों रुपये बकाया, पिछले सत्र का अभी 51.46 प्रतिशत ही हुआ भुगतान - बजाज चीनी मिल पर बकाया

गोंडा में कुंदरखी बजाज चीनी मिल पर किसानो का करोड़ों रुपये बकाया है. किसानों को अभी पिछले सत्र का सिर्फ 51.46 प्रतिशत भुगतान मिला है. किसानों का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, शादी-विवाह को लेकर समस्या बढ़ती जा रही है.

गन्ना भुगतान.
गन्ना भुगतान.
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Published : Nov 17, 2022, 11:59 AM IST

गोंडा: भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां आजादी के बाद जिसकी भी सरकार रही हो सभी ने किसानों के हितैषी होने का दम भरा. लेकिन, नेताओं के दावे शायद किसी हसीन सपनों से कम नहीं थे. सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार दोबारा सत्ता में आई. सत्ता में आने से पहले योगी आदित्यनाथ ने चुनावी दौर में राजनीतिक मंच से उत्तर प्रदेश की सभी चीनी मिलों को लेकर दावा किया था कि चीनी मिलों को किसानों को गन्ने का भुगतान 15 दिनों के भीतर करना होगा. इसके बावजूद गोंडा जिले में बजाज कुंदरखी चीनी मिल ने अभी पिछले सत्र के किसानों का भुगतान नहीं किया है.

मिल सितंबर तक का भी पेमेंट नहीं दे पाई. ऐसे में इस वर्ष भी बिना गन्ना बकाया भुगतान के ही बजाज चीनी मिल फैक्ट्री चलाने की तैयारी में है. इसको लेकर किसानों में आक्रोश है. हजारों किसानों का करोड़ों रुपये चीनी मिल ने नहीं पेमेंट किया. अब किसान सरकार से गन्ना भुगतान पेमेंट के लिए गुहार लगा रहे हैं.

जानकारी देते किसान.

बजाज चीनी मिल कुंदरखी 2022-23 का नया सत्र चीनी मिल चलाने की तैयारी कर रही है. लेकिन, पिछले सत्र 2021-22 के पुराने बकाए का अभी सिर्फ 51.46 प्रतिशत ही दे पाई है. कुंदरखी चीनी मिल में 64.95 लाख क्विंटल गन्ना आपूर्ति की गई थी, जिसका भुगतान 22568.18 लाख रुपये किया जाना था, इसके सापेक्ष सिर्फ 11613.72 लाख रुपये ही भुगतान किया गया. जबकि, अभी 10954.46 लाख रुपये किसानों का गन्ना मूल्य बकाया है. जिले की दो अन्य चीनी मिलें मैजापुर और मनकापुर 100 प्रतिशत गन्ने का भुगतान कर चुकी हैं.

यह भी पढ़ें: ओमप्रकाश राजभर का बड़ा बयान- सत्ता के इशारे पर काम कर रही ईडी

बजाज कुंदरखी चीनी मिल गन्ना पेराई सत्र चलाने की तैयारी में है. लेकिन, किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है. मिल क्षेत्र के किसानों का कहना है कि बजाज चीनी मिल पिछले सत्र का सितंबर तक का बकाया गन्ना भुगतान अभी नहीं दे पाई है. ऐसे में परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, शादी-विवाह को लेकर समस्या बढ़ती जा रही है. सरकार से मांग है कि गन्ने का भुगतान दिलाए. इसके बाद ही चीनी मिल को चलाने को अनुमति दे.

गोंडा: भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां आजादी के बाद जिसकी भी सरकार रही हो सभी ने किसानों के हितैषी होने का दम भरा. लेकिन, नेताओं के दावे शायद किसी हसीन सपनों से कम नहीं थे. सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार दोबारा सत्ता में आई. सत्ता में आने से पहले योगी आदित्यनाथ ने चुनावी दौर में राजनीतिक मंच से उत्तर प्रदेश की सभी चीनी मिलों को लेकर दावा किया था कि चीनी मिलों को किसानों को गन्ने का भुगतान 15 दिनों के भीतर करना होगा. इसके बावजूद गोंडा जिले में बजाज कुंदरखी चीनी मिल ने अभी पिछले सत्र के किसानों का भुगतान नहीं किया है.

मिल सितंबर तक का भी पेमेंट नहीं दे पाई. ऐसे में इस वर्ष भी बिना गन्ना बकाया भुगतान के ही बजाज चीनी मिल फैक्ट्री चलाने की तैयारी में है. इसको लेकर किसानों में आक्रोश है. हजारों किसानों का करोड़ों रुपये चीनी मिल ने नहीं पेमेंट किया. अब किसान सरकार से गन्ना भुगतान पेमेंट के लिए गुहार लगा रहे हैं.

जानकारी देते किसान.

बजाज चीनी मिल कुंदरखी 2022-23 का नया सत्र चीनी मिल चलाने की तैयारी कर रही है. लेकिन, पिछले सत्र 2021-22 के पुराने बकाए का अभी सिर्फ 51.46 प्रतिशत ही दे पाई है. कुंदरखी चीनी मिल में 64.95 लाख क्विंटल गन्ना आपूर्ति की गई थी, जिसका भुगतान 22568.18 लाख रुपये किया जाना था, इसके सापेक्ष सिर्फ 11613.72 लाख रुपये ही भुगतान किया गया. जबकि, अभी 10954.46 लाख रुपये किसानों का गन्ना मूल्य बकाया है. जिले की दो अन्य चीनी मिलें मैजापुर और मनकापुर 100 प्रतिशत गन्ने का भुगतान कर चुकी हैं.

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बजाज कुंदरखी चीनी मिल गन्ना पेराई सत्र चलाने की तैयारी में है. लेकिन, किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है. मिल क्षेत्र के किसानों का कहना है कि बजाज चीनी मिल पिछले सत्र का सितंबर तक का बकाया गन्ना भुगतान अभी नहीं दे पाई है. ऐसे में परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, शादी-विवाह को लेकर समस्या बढ़ती जा रही है. सरकार से मांग है कि गन्ने का भुगतान दिलाए. इसके बाद ही चीनी मिल को चलाने को अनुमति दे.

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