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गोण्डा: ड्रिप इरिगेशन से बचेगा पानी, किसानों की बढ़ेगी कमाई

उत्तर प्रदेश के गोण्डा में किसानों के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत ड्रिप इरिगेशन से काफी फायदा मिल सकता है. ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई करने से लागत कम होगी, साथ ही जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है.

ड्रिप इरिगेशन से होगा किसानों को मुनाफा.
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Published : Nov 21, 2019, 1:03 PM IST

गोण्डा: ड्रिप इरिगेशन किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस सिस्टम से जहां फसलों की सिंचाई पर लागत बहुत ही कम हो जाती है. वहीं किसान रासायनिक खादों का शत-प्रतिशत उपयोग भी करता है. जब लागत घटती है तो मुनाफा बढ़ने के साथ-साथ जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है.

ड्रिप इरिगेशन से होगा किसानों को मुनाफा.

ड्रिप इरिगेशन से होता है किसानों को मुनाफा
ड्रिप इरिगेशन से पानी की बर्बादी तो रुकती ही है, साथ-साथ फसलों में घास से निजात भी मिल जाती है. इस पूरे सिस्टम पर शासन ने 80 से 90 प्रतिशत का अनुदान भी दिया है. उद्यान निरीक्षक का मानना है कि ड्रिप इरिगेशन से 40 फीसदी तक का मुनाफा किसानों को होता है.


इसे भी पढ़ें-प्याज के बाद अब लहसुन ने भी दिखाए तेवर, कीमत 240 पार

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत कई किसान 100 हेक्टेयर में ड्रिप इरिगेशन से लगाकर फल-फूल, मिर्च-मसाले, साग-सब्जी की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. केंद्र और राज्य के सहयोग से संचालित इस योजना में 2 हेक्टेयर तक के जोत वाले किसानों को 90 फीसदी अनुदान मिलता है. उससे अधिक जोत होने पर 80 फीसदी का अनुदान होता है. इस संयंत्र को एक हेक्टयर लगवाने पर करीब 1 लाख 42 हजार की लागत आएगी.

उद्यान विभाग साइट पर ऑनलाइन आवेदन
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को उद्यान विभाग की साइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. उसके बाद किसान जहां चाहे उस फर्म से ड्रिप इरिगेशन सिंचाई के संयंत्र खरीद कर बिल दिखाने पर डीबीटी योजना अंतर्गत अनुदान की धनराशि सीधे उसके बैंक खाते में भेज दी जाएगी. सिंचाई की यह पद्धति सब्जी, गन्ना, केला, फूल वह फसलें जो कतारबद्ध उगाई जाती है. यह पद्धति काफी कारगर सिद्ध हुई है.

जिले के कई किसानों को मिलाकर करीब 100 हेक्टर में ड्रिप इरिगेशन किसानों ने लगवाया है. वे शाक-सब्जी, फल-फूल, वह गन्ने की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. यह पद्धति अपनाने से किसानों के मुनाफे में जहां वृद्धि हो रही है. वहीं जल संरक्षण की दृष्टि से भी यह पद्धति काफी फायदेमंद है.
-अनिल शुक्ला, उद्यान निरीक्षक

गोण्डा: ड्रिप इरिगेशन किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस सिस्टम से जहां फसलों की सिंचाई पर लागत बहुत ही कम हो जाती है. वहीं किसान रासायनिक खादों का शत-प्रतिशत उपयोग भी करता है. जब लागत घटती है तो मुनाफा बढ़ने के साथ-साथ जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है.

ड्रिप इरिगेशन से होगा किसानों को मुनाफा.

ड्रिप इरिगेशन से होता है किसानों को मुनाफा
ड्रिप इरिगेशन से पानी की बर्बादी तो रुकती ही है, साथ-साथ फसलों में घास से निजात भी मिल जाती है. इस पूरे सिस्टम पर शासन ने 80 से 90 प्रतिशत का अनुदान भी दिया है. उद्यान निरीक्षक का मानना है कि ड्रिप इरिगेशन से 40 फीसदी तक का मुनाफा किसानों को होता है.


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राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत कई किसान 100 हेक्टेयर में ड्रिप इरिगेशन से लगाकर फल-फूल, मिर्च-मसाले, साग-सब्जी की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. केंद्र और राज्य के सहयोग से संचालित इस योजना में 2 हेक्टेयर तक के जोत वाले किसानों को 90 फीसदी अनुदान मिलता है. उससे अधिक जोत होने पर 80 फीसदी का अनुदान होता है. इस संयंत्र को एक हेक्टयर लगवाने पर करीब 1 लाख 42 हजार की लागत आएगी.

उद्यान विभाग साइट पर ऑनलाइन आवेदन
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को उद्यान विभाग की साइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. उसके बाद किसान जहां चाहे उस फर्म से ड्रिप इरिगेशन सिंचाई के संयंत्र खरीद कर बिल दिखाने पर डीबीटी योजना अंतर्गत अनुदान की धनराशि सीधे उसके बैंक खाते में भेज दी जाएगी. सिंचाई की यह पद्धति सब्जी, गन्ना, केला, फूल वह फसलें जो कतारबद्ध उगाई जाती है. यह पद्धति काफी कारगर सिद्ध हुई है.

जिले के कई किसानों को मिलाकर करीब 100 हेक्टर में ड्रिप इरिगेशन किसानों ने लगवाया है. वे शाक-सब्जी, फल-फूल, वह गन्ने की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. यह पद्धति अपनाने से किसानों के मुनाफे में जहां वृद्धि हो रही है. वहीं जल संरक्षण की दृष्टि से भी यह पद्धति काफी फायदेमंद है.
-अनिल शुक्ला, उद्यान निरीक्षक

Intro:टपकदार सिंचाई विधि किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस सिस्टम द्वारा जहां फसलों की सिंचाई पर लागत बहुत ही कम हो जाती है। वही किसान रासायनिक खादों का शत-प्रतिशत उपयोग कर भी करता है। जब लागत घटती है तो मुनाफा बढ़ने के साथ-साथ जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है। इससे जहां एक तरफ पानी की बर्बादी तो रुकती ही है, साथ साथ फसलों में घास से निजात भी मिल जाती है। बता दें कि इस पूरे सिस्टम पर शासन द्वारा 80 से 90 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जा रहा है। उद्यान निरीक्षक का मानना है कि टपकदार सिचाई से 40 फीसदी तक का मुनाफा किसानों को होता है।




Body:राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत करीब एक दर्जन किसान 100 हेक्टर में टपकदार सिंचाई यंत्र लगाकर फल फूल मिर्च मसाले सात सब्जी की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं l केंद्र व राज्य के सहयोग से संचालित इस योजना में 2 हेक्टर तक के जोत वाले किसानों को 90 फीसदी अनुदान तथा उससे अधिक जोत होने पर 80 फीसदी का अनुदान मिलेगा l इस संयंत्र को एक हेक्टर लगवाने पर करीब 1 लाख 42 हजार की लागत आएगी। जिसमें किसानों को 80 से 90 फीसदी तक अनुदान मिलेगा l इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को उद्यान विभाग की साइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा l उसके बाद किसान जहां चाहे उस फर्म से टपकदार सिंचाई के संयंत्र खरीद कर बिल प्रस्तुत करने पर डीबीटी योजना अंतर्गत अनुदान की धनराशि सीधे उसके बैंक खाते में भेज दी जाएगी l सिंचाई की यह पद्धति सब्जी गन्ना केला फूल यानी वह फसलें जो कतार बद्ध उगाई जाती है के लिए यह पद्धति काफी कारगर सिद्ध हुई है l


Conclusion:इस संबंध में उद्यान निरीक्षक अनिल शुक्ला ने बताया कि जिले के एक दर्जन किसानों को मिलाकर करीब 100 हेक्टर में ड्रिप इरिगेशन किसानों ने लगवाया है l वे शाक सब्जी फल फूल, वह गन्ने की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं l यह पद्धति अपनाने से किसानों के मुनाफे में जहां वृद्धि हो रही है वही जल संरक्षण की दृष्टि से भी यह पद्धति काफी फायदेमंद है l

बाईट- अनिल शुक्ला(उद्यान निरीक्षक गोण्डा)
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