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जिला कारागार के बाहर धरने पर बैठे बंदी रक्षक, जेल अधीक्षक पर लगाए गंभीर आरोप

गाजीपुर जिला कारागार में तैनात दोनों बंदी रक्षक मंगलवार को कारागार के बाहर धरने पर बैठ गए. दोनों ने जेल अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए. पुलिस ने दोनों वार्डरों को हिरासत में ले लिया. इसके बाद समझा-बुझाकर छोड़ दिया.

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Published : Dec 14, 2022, 9:39 AM IST

धरने पर बैठे बंदी रक्षक
धरने पर बैठे बंदी रक्षक

गाजीपुर: जिला कारागार में तैनात दोनों वार्डर मंगलवार को कारागार के बाहर धरने पर बैठ गए. साथ ही वार्डरों ने जेल अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि कैंटीन में सिगरेट से लेकर मिठाई तक की बिक्री होती है. जेल अधीक्षक द्वारा प्रतिदिन बिक्री का धन लिया जाता है. उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों के आने के बाद ही धरना समाप्त होगा. दोपहर में पहुंची पुलिस दोनों वार्डरों को हिरासत में लेकर कोतवाली आई और समाझा-बुझाकर छोड़ दिया.

बंदी रक्षकों और जेल अधीक्षक से बातचीत

मालूम हो कि जिला कारागार में वार्डर के पद पर तैनात गोपाल पांडेय और आनंद कुमार सिंह ने पुलिस महानिदेशक, महानिरीक्षक कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं लखनऊ, डीएम, एसपी, उपमहानिरीक्षक कारागार वाराणसी और जिला कारागार अधीक्षक को पत्र भेजकर कहा था कि जेल अधीक्षक द्वारा किस आधार पर स्थानांतरण की कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा कि 24 घंटे के अंदर इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जाए. ऐसा न होने पर वह दोनों आत्मदाह के लिए बाध्य होंगे. उन्होंने कहा कि उन दोनों की गलती क्या है, जबकि जेल मैनुअल में स्पष्टीकरण और नोटिस की कार्रवाई के बाद ही प्रशासनिक आधार पर स्थानानंतरण की कार्रवाई की जाती है.

गोपाल पांडेय ने कहा कि आज धरने पर बैठने की नौबत आई है तो इसके जिम्मेदार जिला कारागार अधीक्षक हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इनके द्वारा एक वर्ष से लगातार शोषण किया जा रहा है. उत्पीड़न का नतीजा रहा है कि इस्तीफा देने की भी नौबत आ गई और बीच में इस्तीफा भी दे दिया. यहीं नहीं उनके द्वारा आईजी, डीएम, एसपी को सूचना दी जाती रही. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि बीते आठ दिसंबर को ड्यूटी से 11 बजे
कारागार से आवास पर गया. जेल अधीक्षक द्वारा डेढ़ बजे दिन में दो सिपाही भेजकर जबरदस्ती आवास पर रिलीजिंग का कागज चस्पा कराया गया कि प्रशास‌निक आधार पर बरेली स्थानांतरण किया गया है.

यह भी पढ़ें: दारोगा और दो सिपाहियों ने किया जीजा-साली का अपहरण, मांगी 4 लाख की फिरौती

गोपाल पांडेय ने कहा कि वे यहीं जानना चाहते हैं कि जो जेल अधीक्षक द्वारा आरोप लगाया ‌गया है, उसे वह सिद्ध कर दें. वह बात मानकर यहां से चले जाएंगे. सिद्ध नहीं करेंगे तो धरने पर तब-तक बैठा रहूंगा, जब तक कोई उच्चाधिकारी नहीं आ जाता है. वार्डर ने आरोप लगाया कि जेल की कैंटीन में नाजायज सामान बेचवाया जाता है. सिगरेट, बीड़ी, पनीर, मिठाई जेल मैनुवल में अवरूद्ध है, जेल अधीक्षक उसकी बिक्री कराते हैं. प्रतिदिन बिक्री का 17 से 18 हजार रुपये लेते हैं. डीएम और एसपी की छापेमारी की सूचना पहले ही इन्हें मिल जाती है. इस तरह के तमाम आरोप वार्डर ने लगाए. इस संबंध में कोतवाल तेज बहादुर सिंह ने बताया कि समझा-बुझाकर दोनों वार्डर घर भेज दिया गया है.

गाजीपुर: जिला कारागार में तैनात दोनों वार्डर मंगलवार को कारागार के बाहर धरने पर बैठ गए. साथ ही वार्डरों ने जेल अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि कैंटीन में सिगरेट से लेकर मिठाई तक की बिक्री होती है. जेल अधीक्षक द्वारा प्रतिदिन बिक्री का धन लिया जाता है. उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों के आने के बाद ही धरना समाप्त होगा. दोपहर में पहुंची पुलिस दोनों वार्डरों को हिरासत में लेकर कोतवाली आई और समाझा-बुझाकर छोड़ दिया.

बंदी रक्षकों और जेल अधीक्षक से बातचीत

मालूम हो कि जिला कारागार में वार्डर के पद पर तैनात गोपाल पांडेय और आनंद कुमार सिंह ने पुलिस महानिदेशक, महानिरीक्षक कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं लखनऊ, डीएम, एसपी, उपमहानिरीक्षक कारागार वाराणसी और जिला कारागार अधीक्षक को पत्र भेजकर कहा था कि जेल अधीक्षक द्वारा किस आधार पर स्थानांतरण की कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा कि 24 घंटे के अंदर इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जाए. ऐसा न होने पर वह दोनों आत्मदाह के लिए बाध्य होंगे. उन्होंने कहा कि उन दोनों की गलती क्या है, जबकि जेल मैनुअल में स्पष्टीकरण और नोटिस की कार्रवाई के बाद ही प्रशासनिक आधार पर स्थानानंतरण की कार्रवाई की जाती है.

गोपाल पांडेय ने कहा कि आज धरने पर बैठने की नौबत आई है तो इसके जिम्मेदार जिला कारागार अधीक्षक हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इनके द्वारा एक वर्ष से लगातार शोषण किया जा रहा है. उत्पीड़न का नतीजा रहा है कि इस्तीफा देने की भी नौबत आ गई और बीच में इस्तीफा भी दे दिया. यहीं नहीं उनके द्वारा आईजी, डीएम, एसपी को सूचना दी जाती रही. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि बीते आठ दिसंबर को ड्यूटी से 11 बजे
कारागार से आवास पर गया. जेल अधीक्षक द्वारा डेढ़ बजे दिन में दो सिपाही भेजकर जबरदस्ती आवास पर रिलीजिंग का कागज चस्पा कराया गया कि प्रशास‌निक आधार पर बरेली स्थानांतरण किया गया है.

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गोपाल पांडेय ने कहा कि वे यहीं जानना चाहते हैं कि जो जेल अधीक्षक द्वारा आरोप लगाया ‌गया है, उसे वह सिद्ध कर दें. वह बात मानकर यहां से चले जाएंगे. सिद्ध नहीं करेंगे तो धरने पर तब-तक बैठा रहूंगा, जब तक कोई उच्चाधिकारी नहीं आ जाता है. वार्डर ने आरोप लगाया कि जेल की कैंटीन में नाजायज सामान बेचवाया जाता है. सिगरेट, बीड़ी, पनीर, मिठाई जेल मैनुवल में अवरूद्ध है, जेल अधीक्षक उसकी बिक्री कराते हैं. प्रतिदिन बिक्री का 17 से 18 हजार रुपये लेते हैं. डीएम और एसपी की छापेमारी की सूचना पहले ही इन्हें मिल जाती है. इस तरह के तमाम आरोप वार्डर ने लगाए. इस संबंध में कोतवाल तेज बहादुर सिंह ने बताया कि समझा-बुझाकर दोनों वार्डर घर भेज दिया गया है.

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