गाजीपुर: महिलाओं का सम्मान सरकार के लिए प्राथमिकता है. इसके लिए सरकार के द्वारा मिशन शक्ति योजना के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन और अन्य योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इन योजनाओं से महिलाओं का कितना सम्मान हो रहा है, इसकी बानगी मोहम्मदाबाद ब्लॉक के आईसीडीएस कार्यालय में देखी जा सकती है. जहां प्रतिदिन सैकड़ों आंगनवाड़ी कार्यकर्ती, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं और विभाग की विभागाध्यक्ष महिला होने के बाद भी उनके लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है. इस वजह से जरूरत पड़ने पर इन सभी लोगों को ब्लॉक के बाहर खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
ये है शौचालय की दशा
जनपद गाजीपुर में स्थित बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के ऊपर कुपोषित बच्चों के साथ ही गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के कुपोषण दूर करने की जिम्मेदारी है. इसी जिम्मेदारी को निभाने के लिए जनपद के गांव-गांव में आंगनवाड़ी केंद्र खोले गए हैं. इन केंद्रों पर कार्य करने वाली आंगनवाड़ी विभागाध्यक्ष आए दिन अपने ब्लॉक मुख्यालय पर पहुंचकर अपने विभागीय कार्य को संपादित करती हैं. ऐसे में जब इन्हें शौचालय की जरूरत पड़ती है तब इनके हाथ निराशा लगती है. दरअसल, इनके कार्यालय के अंदर बना शौचालय पिछले कई सालों से निष्प्रयोज्य है. इनके कार्यालय के बाहर बने सार्वजनिक शौचालय की तस्वीर देखने के बाद इसकी हकीकत सामने आती है कि यह महिलाओं के लिए कितना सुरक्षित है.
इस सार्वजनिक शौचालय का गेट तो कई सालों से टूटा पड़ा है और पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में जब महिलाओं को शौचालय की जरूरत पड़ती है तो इन लोगों के द्वारा क्या किया जाता है इस बारे में सीडीपीओ शमा परवीन से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि ब्लॉक के बाहर एक हैंडपंप है उससे पानी लेते हैं और ब्लॉक के बाहर ही जाने के लिए मजबूर हैं. ऐसा भी नहीं कि विभाग या जिला प्रशासन को इसके संबंध में जानकारी नहीं दी गई, लेकिन आज तक शौचालय का निर्माण या मरम्मत नहीं हो पाया है.
ब्लॉक के दौरे पर आए वाराणसी मंडल के अपर आयुक्त जितेंद्र मोहन से जब बात की गई, तब उन्होंने खंड विकास अधिकारी को शौचालय बनवाए जाने का निर्देश दिया है.