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हिंदुस्तान के इस गांव में नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन, वजह है मोहम्मद गोरी

गाजियाबाद से सटे मुरादनगर के गांव सुराना सुठारी के छबड़िया गोत्र के लोग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते हैं. गांव के लोगों का कहना है कि रक्षाबंधन वाले दिन मोहम्मद गौरी ने सोहनगढ़ (गांव सुराना) पर हमला कर लोगों का कत्ल कर दिया था.

गांव में नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन
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Published : Aug 14, 2019, 10:18 PM IST

नई दिल्ली/ गाजियाबाद: रक्षाबंधन का पर्व हिंदुस्तान में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. बहनें सात-समंदर पार से अपने भाई के लिए राखी भेजती हैं. इसके उलट गाजियाबाद के मुरादनगर में एक ऐसा गांव है जहां रक्षाबंधन का पर्व बिल्कुल भी नहीं मनाया जाता.

इस गांव में नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन.

इस दिन को मानते हैं अपशगुन:
गाजियाबाद से सटे मुरादनगर के गांव सुराना सुठारी के छबड़िया गोत्र के लोग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते. गांव के लोगों का कहना है कि रक्षाबंधन वाले दिन मोहम्मद गोरी ने सोहनगढ़ (गांव सुराना) पर हमला कर लोगों का कत्ल कर दिया था. इसी कारण छबड़िया गोत्र के लोग रक्षाबंधन के पर्व को अपशगुन मानते हैं.

रक्षाबंधन की तरह मनाते हैं भाई दूज:
गांव के लोगों का ऐसा भी मानना है कि यदि कोई बहन अपने भाई को राखी बांधती है, तो उसके साथ बुरी घटना हो जाती है. गांव में बहनें इस त्योहार से ज्यादा भाई दूज का इंतजार करती हैं. भाई दूज को ही बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं.

इसे भी पढ़ें:-गाजियाबाद में 23वीं इंटर-स्टेट खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन

रक्षाबंधन वाले दिन जयपाल सिंह यादव के यहां पुत्र पैदा हुआ था. परिवारवालों ने खुशी के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाया था , लेकिन कुछ दिन बाद ही जयपाल सिंह का पुत्र विकलांग हो गया और बाद में नदी में डूबने से उसकी मौत हो गई थी. धर्मपाल दास महंत ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व की भरपाई पूरी करने के लिए भाई दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
-धर्मपाल दास, महंत श्री बालाजी मंदिर

नई दिल्ली/ गाजियाबाद: रक्षाबंधन का पर्व हिंदुस्तान में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. बहनें सात-समंदर पार से अपने भाई के लिए राखी भेजती हैं. इसके उलट गाजियाबाद के मुरादनगर में एक ऐसा गांव है जहां रक्षाबंधन का पर्व बिल्कुल भी नहीं मनाया जाता.

इस गांव में नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन.

इस दिन को मानते हैं अपशगुन:
गाजियाबाद से सटे मुरादनगर के गांव सुराना सुठारी के छबड़िया गोत्र के लोग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते. गांव के लोगों का कहना है कि रक्षाबंधन वाले दिन मोहम्मद गोरी ने सोहनगढ़ (गांव सुराना) पर हमला कर लोगों का कत्ल कर दिया था. इसी कारण छबड़िया गोत्र के लोग रक्षाबंधन के पर्व को अपशगुन मानते हैं.

रक्षाबंधन की तरह मनाते हैं भाई दूज:
गांव के लोगों का ऐसा भी मानना है कि यदि कोई बहन अपने भाई को राखी बांधती है, तो उसके साथ बुरी घटना हो जाती है. गांव में बहनें इस त्योहार से ज्यादा भाई दूज का इंतजार करती हैं. भाई दूज को ही बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं.

इसे भी पढ़ें:-गाजियाबाद में 23वीं इंटर-स्टेट खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन

रक्षाबंधन वाले दिन जयपाल सिंह यादव के यहां पुत्र पैदा हुआ था. परिवारवालों ने खुशी के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाया था , लेकिन कुछ दिन बाद ही जयपाल सिंह का पुत्र विकलांग हो गया और बाद में नदी में डूबने से उसकी मौत हो गई थी. धर्मपाल दास महंत ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व की भरपाई पूरी करने के लिए भाई दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
-धर्मपाल दास, महंत श्री बालाजी मंदिर

Intro:मुरादनगर में एक गांव ऐसा भी जहां नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन का त्यौहार


रक्षाबंधन वाले दिन जयपाल सिंह यादव के यहां पुत्र पैदा हुआ था lपरिवार वालों ने खुशी के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाया था lलेकिन कुछ दिन बाद ही जयपाल सिंह का पुत्र विकलाग हो गया और बाद में नदी में डूबने से उसकी मौत हो गई थी। धर्मपाल दास महंत ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व की भरपाई पूरी करने के लिए भैया दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भैया दूज पर अधिकतर बहने गांव सुराना में भाई के घर आते हैं।Body:मुरादनगर में एक गांव ऐसा भी जहां नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन का त्यौहार


मुरादनगरl हाईटेक युग में जहां सात समंदर पार से बहने अपने भाइयों को राखी भेजती हैं ,वही मुरादनगर क्षेत्र के गांव सुराना में इस बार भी सैकड़ों भाइयों की कलाइयां सूनी रहेंगी। दरअसल इस गांव में रक्षाबंधन पर्व को अपशगुन माना जाता है। राखी ना बांधने का बहनों को भी मलाल रहता है ।वह लाख चाहने के बावजूद भी भाइयों के हाथों की कलाई पर राखी नहीं बांध सकती । अपशगुन यह है कि यदि कोई बहन अपने भाई को राखी बांधी है, तो उसके साथ अनिष्ट हो सकता हैl इस गांव की बहनों को बस एक ही त्यौहार का इंतजार रहता हैl वह है भैया दूजl रक्षाबंधन ने मनाने की कमी भाई बहन भैया दूज पर पूरी करते हैं। रक्षाबंधन का पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मगर दिल्ली एनसीआर गाजियाबाद से सटे मुरादनगर गांव सुराना सुठारी के छबडिया गोत्र के लोग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते। रक्षाबंधन वाले दिन मोहम्मद गोरी ने सोहनगढ़ अब (गांव सुराना) है ।पर हमला कर गांव के लोगों का कत्ल कर दिया था ।इसी कारण छबडिया गोत्र के लोग रक्षाबंधन के पर्व को अपशगुन मानते हैं। गांव सुराना हिंडन नदी किनारे पर बसा है।

इनका है कहना :
गांव सुराना स्थित श्री बालाजी मंदिर के महंत धर्मपाल दास का कहना है कि एक मान्यता थी कि रक्षाबंधन वाले दिन किसी गांव की महिला बेटा या गाय के बछड़ा पैदा होने पर पर्व मनाया जा सकता हैl रक्षाबंधन वाले दिन जयपाल सिंह यादव के यहां पुत्र पैदा हुआ था lपरिवार वालों ने खुशी के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाया था lलेकिन कुछ दिन बाद ही जयपाल सिंह का पुत्र विकलाग हो गया और बाद में नदी में डूबने से उसकी मौत हो गई थी। धर्मपाल दास महंत ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व की भरपाई पूरी करने के लिए भैया दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भैया दूज पर अधिकतर बहने गांव सुराना में भाई के घर आते हैं।Conclusion:मुरादनगर में एक गांव ऐसा भी जहां नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन का त्यौहार


मुरादनगरl हाईटेक युग में जहां सात समंदर पार से बहने अपने भाइयों को राखी भेजती हैं ,वही मुरादनगर क्षेत्र के गांव सुराना में इस बार भी सैकड़ों भाइयों की कलाइयां सूनी रहेंगी। दरअसल इस गांव में रक्षाबंधन पर्व को अपशगुन माना जाता है। राखी ना बांधने का बहनों को भी मलाल रहता है ।वह लाख चाहने के बावजूद भी भाइयों के हाथों की कलाई पर राखी नहीं बांध सकती । अपशगुन यह है कि यदि कोई बहन अपने भाई को राखी बांधी है, तो उसके साथ अनिष्ट हो सकता हैl इस गांव की बहनों को बस एक ही त्यौहार का इंतजार रहता हैl वह है भैया दूजl रक्षाबंधन ने मनाने की कमी भाई बहन भैया दूज पर पूरी करते हैं। रक्षाबंधन का पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मगर दिल्ली एनसीआर गाजियाबाद से सटे मुरादनगर गांव सुराना सुठारी के छबडिया गोत्र के लोग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते। रक्षाबंधन वाले दिन मोहम्मद गोरी ने सोहनगढ़ अब (गांव सुराना) है ।पर हमला कर गांव के लोगों का कत्ल कर दिया था ।इसी कारण छबडिया गोत्र के लोग रक्षाबंधन के पर्व को अपशगुन मानते हैं। गांव सुराना हिंडन नदी किनारे पर बसा है।

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