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राकेश टिकैत की मासूम पोती बोली- दादा ! कृषि कानूनों को वापस कराकर ही घर आना

स्वतंत्रता दिवस पर राकेश टिकैत ने अपनी नन्हीं सी पोती को वीडियो कॉल किया. इस बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि मैं वापस घर आ रहा हूं. इसपर बच्ची ने अपने दादा को जवाब दिया. जिसे सुनकर राकेश टिकैत हैरान रह गए.

राकेश टिकैत
राकेश टिकैत
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Published : Aug 15, 2021, 10:45 PM IST

गाजियाबाद: पिछले 9 महीने से चल रहे किसान आंदोलन में सैकड़ों किसान ऐसे भी हैं जो एक बार भी अपने घर नहीं गए हैं. इनमें अधिकतर बुजुर्ग हैं. परिवार से दूर होने का दर्द इनकी आंखों में देखा जा सकता है. इन्हीं किसानों में से एक राकेश टिकैत भी हैं. जब भी परिवार की याद आती है तो राकेश टिकैत और अन्य किसान अपने परिवार को वीडियो कॉलिंग करते हैं. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब राकेश टिकैत ने अपनी नन्हीं सी पोती को वीडियो कॉल किया तो उस मासूम ने अपने दादा को शुभकामनाएं दी.

मुजफ्फरनगर से गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने आए 90 साल के सुक्खा सिंह पिछले 9 महीने से अपने परिवार से नहीं मिले हैं. उन्होंने परिवार से कहां था कि जब तक किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा तब तक नहीं आएंगे. 90 साल के बुजुर्ग सुक्खा सिंह के पोता-पोती अपने दादा से वीडियो कॉल पर बात करते हैं. वह कहते हैं कि दादा घर आ जाओ. लेकिन दादा सुक्खा सिंह कहते है कि बेटा यह आंदोलन भी आप लोगों के लिए है और जब तक यह पूरा नहीं होगा तब तक वापस घर नहीं आएंगे. यह कहते हुए सुक्खा सिंह निराश हो गए.

स्वतंत्रता दिवस पर राकेश टिकैत

इसी तरह से आंदोलन में शामिल होने आए करीब 100 से ज्यादा बुजुर्ग किसान ऐसे हैं, जो एक बार भी अपने घर वापस नहीं गए हैं. उन सभी के पास भी सिर्फ डिजिटल माध्यम है. जिससे वह अपने परिवारों से बात करते हैं. मुख्य रूप से उनके घर में मौजूद छोटे नन्हे बच्चे जब उन्हें याद करते हैं तो वह भावुक भी हो जाते हैं. मगर कुछ देर के भावुक क्षणों के बाद फिर से आंदोलन में मशगूल हो जाते हैं. लेकिन वापस घर जाने की नहीं सोचते.

बता दें, राकेश टिकैत उन किसानों में से एक है जो पिछले 9 महीनों से अपने घर नहीं गए हैं. आने वाले 5 सितंबर को वह अपने जिला मुजफ्फरनगर जा रहे हैं. जहां एक महापंचायत होगी. लेकिन तब भी उन्होंने फैसला किया है कि वह घर नहीं जाएंगे. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राकेश टिकैत ने अपने घर में वीडियो कॉल की. वीडियो कॉलिंग पर उनकी नन्हीं सी पोती उनसे बात कर रही थी. पोती ने दादा राकेश टिकैत को अपनी तुतलाती हुई ज़ुबान में कविता सुनाई. दादा ने पूछा कैसी हो, तो पगड़ी पहने हुई नन्ही सी पोती ने जो खिलौने दिखाएं उससे दादा राकेश टिकैत भावुक हो गए.

यह भी पढ़ें:- दिल्ली के बॉर्डरों पर चाक-चौबंद है सुरक्षा व्यवस्था, बोले पुलिस कमिश्नर

दरअसल, नन्ही सी पोती ने दूसरी तरफ से जो खिलौने दिखाएं वह किसानों से जुड़े हुए ही थे. नन्ही सी मासूम ने दूसरी तरफ से वीडियो कॉल कर ट्रैक्टर वाला खिलौना दिखाया. हाथ में तिरंगा और हल लेकर दादा राकेश टिकैत से जय हिन्द कहने लगी. यह सब देख दादा राकेश टिकैत ने पोती को भरपूर आशीर्वाद दिया. मजाक में दादा राकेश टिकैत बोले कि मैं घर आ रहा हूं, तो दूसरी तरफ से नन्ही सी पोती ने दादा के दिल जीत लेने वाला जवाब दिया. नन्हीं मासूम बोली कि जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं.

यह भी पढ़ें:- उत्तराखंड : राकेश टिकैत बोले- बीजेपी सरकार के पास हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने का एजेंडा

गाजियाबाद: पिछले 9 महीने से चल रहे किसान आंदोलन में सैकड़ों किसान ऐसे भी हैं जो एक बार भी अपने घर नहीं गए हैं. इनमें अधिकतर बुजुर्ग हैं. परिवार से दूर होने का दर्द इनकी आंखों में देखा जा सकता है. इन्हीं किसानों में से एक राकेश टिकैत भी हैं. जब भी परिवार की याद आती है तो राकेश टिकैत और अन्य किसान अपने परिवार को वीडियो कॉलिंग करते हैं. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब राकेश टिकैत ने अपनी नन्हीं सी पोती को वीडियो कॉल किया तो उस मासूम ने अपने दादा को शुभकामनाएं दी.

मुजफ्फरनगर से गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने आए 90 साल के सुक्खा सिंह पिछले 9 महीने से अपने परिवार से नहीं मिले हैं. उन्होंने परिवार से कहां था कि जब तक किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा तब तक नहीं आएंगे. 90 साल के बुजुर्ग सुक्खा सिंह के पोता-पोती अपने दादा से वीडियो कॉल पर बात करते हैं. वह कहते हैं कि दादा घर आ जाओ. लेकिन दादा सुक्खा सिंह कहते है कि बेटा यह आंदोलन भी आप लोगों के लिए है और जब तक यह पूरा नहीं होगा तब तक वापस घर नहीं आएंगे. यह कहते हुए सुक्खा सिंह निराश हो गए.

स्वतंत्रता दिवस पर राकेश टिकैत

इसी तरह से आंदोलन में शामिल होने आए करीब 100 से ज्यादा बुजुर्ग किसान ऐसे हैं, जो एक बार भी अपने घर वापस नहीं गए हैं. उन सभी के पास भी सिर्फ डिजिटल माध्यम है. जिससे वह अपने परिवारों से बात करते हैं. मुख्य रूप से उनके घर में मौजूद छोटे नन्हे बच्चे जब उन्हें याद करते हैं तो वह भावुक भी हो जाते हैं. मगर कुछ देर के भावुक क्षणों के बाद फिर से आंदोलन में मशगूल हो जाते हैं. लेकिन वापस घर जाने की नहीं सोचते.

बता दें, राकेश टिकैत उन किसानों में से एक है जो पिछले 9 महीनों से अपने घर नहीं गए हैं. आने वाले 5 सितंबर को वह अपने जिला मुजफ्फरनगर जा रहे हैं. जहां एक महापंचायत होगी. लेकिन तब भी उन्होंने फैसला किया है कि वह घर नहीं जाएंगे. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राकेश टिकैत ने अपने घर में वीडियो कॉल की. वीडियो कॉलिंग पर उनकी नन्हीं सी पोती उनसे बात कर रही थी. पोती ने दादा राकेश टिकैत को अपनी तुतलाती हुई ज़ुबान में कविता सुनाई. दादा ने पूछा कैसी हो, तो पगड़ी पहने हुई नन्ही सी पोती ने जो खिलौने दिखाएं उससे दादा राकेश टिकैत भावुक हो गए.

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दरअसल, नन्ही सी पोती ने दूसरी तरफ से जो खिलौने दिखाएं वह किसानों से जुड़े हुए ही थे. नन्ही सी मासूम ने दूसरी तरफ से वीडियो कॉल कर ट्रैक्टर वाला खिलौना दिखाया. हाथ में तिरंगा और हल लेकर दादा राकेश टिकैत से जय हिन्द कहने लगी. यह सब देख दादा राकेश टिकैत ने पोती को भरपूर आशीर्वाद दिया. मजाक में दादा राकेश टिकैत बोले कि मैं घर आ रहा हूं, तो दूसरी तरफ से नन्ही सी पोती ने दादा के दिल जीत लेने वाला जवाब दिया. नन्हीं मासूम बोली कि जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं.

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