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गाजियाबाद: डासना जेल में कैदियों ने मनाई लोहड़ी

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Published : Jan 15, 2020, 11:43 PM IST

डासना जेल में ही आग जलाकर त्योहार मनाया गया और लोहड़ी के गीत गाए गए. लोहड़ी का त्योहार समाज को जोड़ने का त्योहार है. गाजियाबाद में कैदियों ने भी इस पावन त्योहार को डासना जेल में नाच-गाकर और एक दूसरे को रेवड़ियां खिलाकर मनाया.

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डासना जेल में लोहड़ी मनाते कैदी और पुलिस

गाजियाबाद : जहां एक तरफ देश भर में लोहड़ी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया, वहीं कैदियों ने भी इस पावन त्योहार को डासना जेल में नाच-गाकर और एक दूसरे को रेवड़ियां खिलाकर मनाया.

डासना जेल में लोहड़ी मनाते कैदी और पुलिस

डासना जेल में मनाआ गया लोहड़ी का त्योहार
डासना जेल में ही आग जलाकर त्योहार मनाया गया और लोहड़ी के गीत गाए गए. लोहड़ी का त्योहार समाज को जोड़ने का त्योहार है. इस दिन लोहड़ी के लिए आग जलाते हैं. जिसमे आस-पास के लोग भी शामिल होते हैं और सभी इकठ्ठा होकर एक साथ आग में मूंगफली और रेवड़ी डाल कर लोहड़ी का गीत गाते हुए खुशी मनाते हैं. इसके साथ ही ढोल की थाप पर सभी नाचते भी हैं.

इसे भी पढ़ें-गांधी की हत्या करने वाले गांधी को क्या समझेंगे : तुषार गांधी

गाजियाबाद : जहां एक तरफ देश भर में लोहड़ी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया, वहीं कैदियों ने भी इस पावन त्योहार को डासना जेल में नाच-गाकर और एक दूसरे को रेवड़ियां खिलाकर मनाया.

डासना जेल में लोहड़ी मनाते कैदी और पुलिस

डासना जेल में मनाआ गया लोहड़ी का त्योहार
डासना जेल में ही आग जलाकर त्योहार मनाया गया और लोहड़ी के गीत गाए गए. लोहड़ी का त्योहार समाज को जोड़ने का त्योहार है. इस दिन लोहड़ी के लिए आग जलाते हैं. जिसमे आस-पास के लोग भी शामिल होते हैं और सभी इकठ्ठा होकर एक साथ आग में मूंगफली और रेवड़ी डाल कर लोहड़ी का गीत गाते हुए खुशी मनाते हैं. इसके साथ ही ढोल की थाप पर सभी नाचते भी हैं.

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Intro:जहां एक तरफ देशभर में लोहड़ी के त्योहार को बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया, वहीं गाजियाबाद में कैदियों ने भी इस पावन त्योहार को डासना जेल में नाच-गाकर और एक दूसरे को रेवड़ीया खिलाकर मनाया. डासना जेल में ही आग जलाकर त्योहार मनाया गया एवं लोहड़ी के गीत गाए. Body:लोहड़ी का त्योहार समाज को जोड़ने का त्योहार है. इस दिन जो इस त्योहार को मनाता है वह लोहड़ी के लिए आग जलाते है. जिसमे आस-पास के लोग भी इसमें शामिल होते और सभी इकठ्ठा होकर एक साथ आग में मूँगफली और रेवड़ी डाल कर लोहड़ी का गीत गाते हुए खुशी मनाते हैं. साथ ही ढोल की थाप पर सभी नाचते हुए खुशियां मनाते है

क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार?
पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में ये त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था. उसी दिन की याद में ये पर्व मनाया जाता है.

इसके अलावा ये भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शा‍दी करवा दी थी. इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में इस पर्व को मनाया जाता है.


Conclusion:वहीं एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे. तब बालक कृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा, जिसे बालक कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था. लोहिता नामक राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा गया. उसी घटना को याद करते हुए लोहड़ी पर्व मनाया जाता है.
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