ETV Bharat / state

सांप को दूध पिलाने से पहले जान लें, ये जरूरी बातें...

क्या आपको पता है कि सांप के लिए दूध जानलेवा है. अगर नहीं तो आप हमारा ये आर्टिकल ध्यान से पढ़ें क्योंकि हम आपको बताएंगे कि आखिर सांप के लिए दूध क्यों खतरनाक है. वो लोग जो नाग पंचमी पर सांपों को दूध पिलाते हैं वो ये जान लें कि आखिर वो किस कानून के तहत अपराध कर रहे हैं.

सांप को दूध पिलाने से पहले जान लें
सांप को दूध पिलाने से पहले जान लें
author img

By

Published : Aug 9, 2021, 12:11 PM IST

नई दिल्ली: नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. सामन के महीने में नाग पूजा और नाग पंचमी पर सांपों को दूध पिलाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु नाग देवता या सर्प की पूजा करते हैं और सापों का दूध से स्नान कराया जाता है, लेकिन ये सापों के लिए खतरनाक साबित होता है.

बता दें कि हिन्दु पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. साल 2021 में ये पंचमी तिथि गुरुवार यानी 12 अगस्त दोपहर 3 बजकर 28 मिनट से आरम्भ होगी और अगले दिन शुक्रवार यानी 13 अगस्त दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में इस साल ये नाग पंचमी 13 अगस्त को मनाया जाएगा.

ये भी पढ़ें: सावन के तीसरे सोमवार पर गौरी शंकर मंदिर पहुंचे श्रद्धालु, महादेव को किया जलाभिषेक

दरअसल सांप एक सरीसृप प्रजाति (Reptiles Species) का होता है. सरीसृप दूध का उत्पादन नहीं करते इस लिए उनके शरीर में दूध पचाने वाले एंजाइम्स नहीं होते. सांप दूध को हजम नहीं कर पाता. इसलिए सांप जब दूध पीता है तो उसका असर उसके फेफड़ों में पड़ता है और सांप के शरीर में इंफेक्शन फैलने लगता है जिससे कुछ समय बाद उसके फेफड़े फट जाते हैं और सांप की मृत्यु हो जाती है.

वहीं सांप को दूध पिलाने को लेकर गाजियाबाद के मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि लोग अज्ञानता के कारण सांप को दूध पिलाते हैं. उनका कहना है कि बरसात में बड़ी संख्या में सांप अपने बिल से निकलते हैं. जिन्हें लोग मार देते हैं. इसीलिए ऋषियों ने उन्हें दूध-लावा चढ़ाने की परंपरा शुरू की ताकि सांपों का जीवन और पारिस्थितिक संतुलन बना रहे.

ये भी पढ़ें: #DelhiMasterPlan2041: मास्टर प्लान 2041 के ड्राफ्ट में एक हजार साल पुराने गांव अवैध दिखाए गए

मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि दूध सांप का आहार नहीं है. सरीसृप होने के कारण सांप को दूध हजम नहीं होता है. लोगों के अंधविश्वास का फायदा उठाने के लिए सपेरे नाग पंचमी से पहले सांपों को भूखा रखते हैं, ताकि वह दूध को पी लें. नाग पंचमी के दिन जो सांप दूध पीते हुए दिख जाते हैं, उन्हें 15-20 दिनों से भूखा प्यासा रखा गया होता है. ऐसे में जब भूखे सांप के सामने दूध आता है तो वह अपनी भूख मिटाने के लिए विवशता में दूध को गटक लेता है, लेकिन वह दूध हजम नहीं कर पाता है. उसके शरीर में इंफेक्शन फैलने लगता है, जिससे कुछ समय के बाद उसके फेफड़े फट जाते हैं और सांप की मृत्यु हो जाती है.

मुख्य विकास अधिकारी के मुताबिक जो व्यक्ति किसी भी बहाने से सांप को दूध पिला रहा है, वह पुण्य का काम नहीं कर रहा, बल्कि सांप की मृत्यु का कारण बन रहा है. मुख्य विकास अधिकारी ने लोगों से अपील की कि कोई भी सांप को दूध न पिलायें. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कोबरा और अन्य सर्प संरक्षित हैं और उन्हें पकड़ना या चोट पहुंचाना एक दण्डनीय अपराध है. मुख्य विकास अधिकारी ने लोगों से अपील है कि ऐसा घोर अपराध करने से बचें और वन्य जीव संरक्षण में सहयोग प्रदान करें.

नई दिल्ली: नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. सामन के महीने में नाग पूजा और नाग पंचमी पर सांपों को दूध पिलाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु नाग देवता या सर्प की पूजा करते हैं और सापों का दूध से स्नान कराया जाता है, लेकिन ये सापों के लिए खतरनाक साबित होता है.

बता दें कि हिन्दु पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. साल 2021 में ये पंचमी तिथि गुरुवार यानी 12 अगस्त दोपहर 3 बजकर 28 मिनट से आरम्भ होगी और अगले दिन शुक्रवार यानी 13 अगस्त दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में इस साल ये नाग पंचमी 13 अगस्त को मनाया जाएगा.

ये भी पढ़ें: सावन के तीसरे सोमवार पर गौरी शंकर मंदिर पहुंचे श्रद्धालु, महादेव को किया जलाभिषेक

दरअसल सांप एक सरीसृप प्रजाति (Reptiles Species) का होता है. सरीसृप दूध का उत्पादन नहीं करते इस लिए उनके शरीर में दूध पचाने वाले एंजाइम्स नहीं होते. सांप दूध को हजम नहीं कर पाता. इसलिए सांप जब दूध पीता है तो उसका असर उसके फेफड़ों में पड़ता है और सांप के शरीर में इंफेक्शन फैलने लगता है जिससे कुछ समय बाद उसके फेफड़े फट जाते हैं और सांप की मृत्यु हो जाती है.

वहीं सांप को दूध पिलाने को लेकर गाजियाबाद के मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि लोग अज्ञानता के कारण सांप को दूध पिलाते हैं. उनका कहना है कि बरसात में बड़ी संख्या में सांप अपने बिल से निकलते हैं. जिन्हें लोग मार देते हैं. इसीलिए ऋषियों ने उन्हें दूध-लावा चढ़ाने की परंपरा शुरू की ताकि सांपों का जीवन और पारिस्थितिक संतुलन बना रहे.

ये भी पढ़ें: #DelhiMasterPlan2041: मास्टर प्लान 2041 के ड्राफ्ट में एक हजार साल पुराने गांव अवैध दिखाए गए

मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि दूध सांप का आहार नहीं है. सरीसृप होने के कारण सांप को दूध हजम नहीं होता है. लोगों के अंधविश्वास का फायदा उठाने के लिए सपेरे नाग पंचमी से पहले सांपों को भूखा रखते हैं, ताकि वह दूध को पी लें. नाग पंचमी के दिन जो सांप दूध पीते हुए दिख जाते हैं, उन्हें 15-20 दिनों से भूखा प्यासा रखा गया होता है. ऐसे में जब भूखे सांप के सामने दूध आता है तो वह अपनी भूख मिटाने के लिए विवशता में दूध को गटक लेता है, लेकिन वह दूध हजम नहीं कर पाता है. उसके शरीर में इंफेक्शन फैलने लगता है, जिससे कुछ समय के बाद उसके फेफड़े फट जाते हैं और सांप की मृत्यु हो जाती है.

मुख्य विकास अधिकारी के मुताबिक जो व्यक्ति किसी भी बहाने से सांप को दूध पिला रहा है, वह पुण्य का काम नहीं कर रहा, बल्कि सांप की मृत्यु का कारण बन रहा है. मुख्य विकास अधिकारी ने लोगों से अपील की कि कोई भी सांप को दूध न पिलायें. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कोबरा और अन्य सर्प संरक्षित हैं और उन्हें पकड़ना या चोट पहुंचाना एक दण्डनीय अपराध है. मुख्य विकास अधिकारी ने लोगों से अपील है कि ऐसा घोर अपराध करने से बचें और वन्य जीव संरक्षण में सहयोग प्रदान करें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.