ETV Bharat / state

21 साल बाद सामान्य हुई फिरोजाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट - 21 साल बाद सामान्य हुई फिरोजाबाद सीट

फिरोजाबाद में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. 21 साल बाद जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए सामान्य सीट हुई है, जिसके बाद तनातनी और भी बढ़ गई है. इस बार सीट के सामान्य होने से राजनीतिक दल भी गुणाभाग करने में जुट गए हैं.

फिरोजाबाद जिला पंचायत
फिरोजाबाद जिला पंचायत
author img

By

Published : Mar 20, 2021, 12:13 PM IST

फिरोजाबादः त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण का काम पूरा होते ही एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. फिरोजाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष का पद इस बार सामान्य हुआ है. 21 साल बाद इस पद के लिए कोई भी सामान्य जाति का व्यक्ति चुनाव लड़ सकेगा. अभी तक ज्यादातर यह सीट पिछड़े वर्ग या फिर पिछड़ी महिला के लिए ही आरक्षित होती चली आई है. इस बार सीट के सामान्य होने से राजनीतिक दल भी इस सीट को अपनी झोली में डालने के लिए गुणाभाग लगाने में जुट गए हैं.

साल 2018 में हुआ था बीजेपी नेता का कब्जा
जनवरी 2021 में जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हो चुका है. इस सीट पर अभी बीजेपी का कब्जा था. जसराना के पूर्व विधायक रामवीर सिंह यादव के पुत्र अमोल यादव जिला पंचायत अध्यक्ष थे. कार्यकाल खत्म होने के साथ ही नए चुनाव के लिए आरक्षण का काम शुरू हुआ और फरवरी में नए आरक्षण और नई प्रक्रिया के तहत यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित कर दी गयी. आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में आपत्ति की थी तो फिर से आरक्षण तय किया गया और नए आरक्षण में यह सीट सामान्य हो गयी है. यानी कि इस सीट पर कोई भी चुनाव लड़ सकता है.

ज्यादातर सपा नेता ही अध्यक्ष चुने गए
जिला पंचायत पर चुने जाने वाले अध्यक्ष के इतिहास की बात करें तो अभी तक ज्यादातर इस सीट पर सपा का ही कब्जा रहा है. सपा नेता खुद या फिर उनके परिवार की महिलाएं ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनी जाती रही हैं. साल 1995 की बात करें तो इस सीट पर सिरसागंज के सपा विधायक हरिओम यादव की पत्नी राम सखी यादव चुनाव जीतीं. साल 2000 में इस सीट से तत्कालीन सपा नेता हरिओम यादव चुनाव जीते. साल 2002 में फिर से हुए उप चुनाव में सपा नेता अरविंद यादव की पत्नी गुड्डी देवी जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं. बाद में जिला पंचायत संचलन के लिए तीन सदस्यीय एक कमेटी भी गठित हुयी.

यह भी पढ़ेंः-लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर डिवाइडर पर चढ़ी बस, 8 यात्री घायल

2005 में महिला आरक्षित हुई सीट
2005 में यह सीट महिला के लिए आरक्षित हुयी और सपा विधायक रामवीर यादव की बहन राम सिया अध्यक्ष बनीं. 2010 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुयी और बीएसपी विधायक राकेश बाबू के बेटे प्रमोद कुमार जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए. साल 2013 में सपा के पूर्व विधायक रमेश चंद्र चंचल जिला पंचायत अध्यक्ष बने. साल 2015 में यह सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुयी और सपा विधायक हरिओम यादव के पुत्र विजय प्रताप अध्यक्ष चुने गए. 2018 में इस सीट पर बीजेपी नेता अमोल यादव अध्यक्ष चुने गए. इस तरह साल 2000 के बाद अब 21 साल बाद यह सीट सामान्य जाति के लिए आरक्षित हुयी है. ऐसे में सपा के साथ बीजेपी और बसपा तीनों ही राजनीति दलों की निगाह इस सीट पर टिकी हैं.

फिरोजाबादः त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण का काम पूरा होते ही एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. फिरोजाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष का पद इस बार सामान्य हुआ है. 21 साल बाद इस पद के लिए कोई भी सामान्य जाति का व्यक्ति चुनाव लड़ सकेगा. अभी तक ज्यादातर यह सीट पिछड़े वर्ग या फिर पिछड़ी महिला के लिए ही आरक्षित होती चली आई है. इस बार सीट के सामान्य होने से राजनीतिक दल भी इस सीट को अपनी झोली में डालने के लिए गुणाभाग लगाने में जुट गए हैं.

साल 2018 में हुआ था बीजेपी नेता का कब्जा
जनवरी 2021 में जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हो चुका है. इस सीट पर अभी बीजेपी का कब्जा था. जसराना के पूर्व विधायक रामवीर सिंह यादव के पुत्र अमोल यादव जिला पंचायत अध्यक्ष थे. कार्यकाल खत्म होने के साथ ही नए चुनाव के लिए आरक्षण का काम शुरू हुआ और फरवरी में नए आरक्षण और नई प्रक्रिया के तहत यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित कर दी गयी. आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में आपत्ति की थी तो फिर से आरक्षण तय किया गया और नए आरक्षण में यह सीट सामान्य हो गयी है. यानी कि इस सीट पर कोई भी चुनाव लड़ सकता है.

ज्यादातर सपा नेता ही अध्यक्ष चुने गए
जिला पंचायत पर चुने जाने वाले अध्यक्ष के इतिहास की बात करें तो अभी तक ज्यादातर इस सीट पर सपा का ही कब्जा रहा है. सपा नेता खुद या फिर उनके परिवार की महिलाएं ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनी जाती रही हैं. साल 1995 की बात करें तो इस सीट पर सिरसागंज के सपा विधायक हरिओम यादव की पत्नी राम सखी यादव चुनाव जीतीं. साल 2000 में इस सीट से तत्कालीन सपा नेता हरिओम यादव चुनाव जीते. साल 2002 में फिर से हुए उप चुनाव में सपा नेता अरविंद यादव की पत्नी गुड्डी देवी जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं. बाद में जिला पंचायत संचलन के लिए तीन सदस्यीय एक कमेटी भी गठित हुयी.

यह भी पढ़ेंः-लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर डिवाइडर पर चढ़ी बस, 8 यात्री घायल

2005 में महिला आरक्षित हुई सीट
2005 में यह सीट महिला के लिए आरक्षित हुयी और सपा विधायक रामवीर यादव की बहन राम सिया अध्यक्ष बनीं. 2010 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुयी और बीएसपी विधायक राकेश बाबू के बेटे प्रमोद कुमार जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए. साल 2013 में सपा के पूर्व विधायक रमेश चंद्र चंचल जिला पंचायत अध्यक्ष बने. साल 2015 में यह सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुयी और सपा विधायक हरिओम यादव के पुत्र विजय प्रताप अध्यक्ष चुने गए. 2018 में इस सीट पर बीजेपी नेता अमोल यादव अध्यक्ष चुने गए. इस तरह साल 2000 के बाद अब 21 साल बाद यह सीट सामान्य जाति के लिए आरक्षित हुयी है. ऐसे में सपा के साथ बीजेपी और बसपा तीनों ही राजनीति दलों की निगाह इस सीट पर टिकी हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.