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कम बारिश से किसान परेशान, बाजरा-धान की फसलें सूखने के कगार पर

सितम्बर के महीने में बारिश कम होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. बरसात के कम होने से तापमान बढ़ा हुआ है, जिससे धान और बाजरे की फसलें सूखती जा रहीं है.

बरसात कम होने से किसान हैं परेशान.
बरसात कम होने से किसान हैं परेशान.
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Published : Sep 30, 2020, 11:58 PM IST

फिरोजाबाद : सितंबर का महीना खत्म होने वाला है. अक्टूबर माह शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं. लेकिन गर्मी का सितम कम होने का नाम नहीं ले रही है. बारिश कम होने की वजह से जिले के किसान फसल को सूखने को लेकर परेशान हैं. किसानों को फसल की उत्पादकता कम होने का डर सता रहा है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस बार सितम्बर माह में केवल 47.20 मिली मीटर ही बरसात हुयी है. जो पिछले साल की तुलना में लगभग आधी है. जानकारों की मानें तो बरसात का सीजन 20 जून से 10 सितम्बर माना जाता है. इसलिए अब किसानों ने बरसात की उम्मीद भी छोड़ दी है. पिछले सालों में सितम्बर माह के तुलनात्मक आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2016 में जरूर 20 मिमी बरसात हुई थी. लेकिन उसके बाद ऐसे हालात कभी नहीं हुए. साल 2017 में 101.42 मिमी बरसात हुयी थी. साल 2018 में मेघा जमकर बरसे थे और 136 .14 मिमी बरसात हुयी थी. 2019 में 93.60 और साल 2020 में 47.20 मिमी बरसात ही हुई है. जो सामान्य से भी काफी कम है. वैसे भी अगर पूरे साल में हुई बरसात की बात करें तो 429.66 मिमी बरसात हुई है. वहीं पिछले साल 521.21 मिमी बरसात हुई थी.

बरसात कम होने का ही नतीजा है कि मौसम का तापमान फिरोजाबाद और आसपास के जनपदों में 40 डिग्री तक पहुंच गया है. तापमान में हुई बढ़ोतरी के चलते फसलों के सूखने का खतरा पैदा हो गया है. फिरोजाबाद जिले में बाजरा और धान की फसलें ही खरीफ की प्रमुख फसलें हैं, लेकिन बाजरा की फसल तो पीली भी पड़ गयी है और सूखने लगी है. नहर के किनारे जो धान हैं वहां फिर भी गनीमत है. किसान फसलों को सूखे से बचाने के लिए फसलों की सिंचाई तो कर रहे है, लेकिन फसलों की उत्पादकता प्रभावित होने का खतरा है. वहीं कृषि वैज्ञानिकों का भी मानना है कि बरसात न होने से किसानों की जेब पर बोझ बढ़ेगा क्योंकि किसानों के पास फसल में पानी लगाने के अलावा कोई और चारा भी नहीं है.

फिरोजाबाद : सितंबर का महीना खत्म होने वाला है. अक्टूबर माह शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं. लेकिन गर्मी का सितम कम होने का नाम नहीं ले रही है. बारिश कम होने की वजह से जिले के किसान फसल को सूखने को लेकर परेशान हैं. किसानों को फसल की उत्पादकता कम होने का डर सता रहा है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस बार सितम्बर माह में केवल 47.20 मिली मीटर ही बरसात हुयी है. जो पिछले साल की तुलना में लगभग आधी है. जानकारों की मानें तो बरसात का सीजन 20 जून से 10 सितम्बर माना जाता है. इसलिए अब किसानों ने बरसात की उम्मीद भी छोड़ दी है. पिछले सालों में सितम्बर माह के तुलनात्मक आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2016 में जरूर 20 मिमी बरसात हुई थी. लेकिन उसके बाद ऐसे हालात कभी नहीं हुए. साल 2017 में 101.42 मिमी बरसात हुयी थी. साल 2018 में मेघा जमकर बरसे थे और 136 .14 मिमी बरसात हुयी थी. 2019 में 93.60 और साल 2020 में 47.20 मिमी बरसात ही हुई है. जो सामान्य से भी काफी कम है. वैसे भी अगर पूरे साल में हुई बरसात की बात करें तो 429.66 मिमी बरसात हुई है. वहीं पिछले साल 521.21 मिमी बरसात हुई थी.

बरसात कम होने का ही नतीजा है कि मौसम का तापमान फिरोजाबाद और आसपास के जनपदों में 40 डिग्री तक पहुंच गया है. तापमान में हुई बढ़ोतरी के चलते फसलों के सूखने का खतरा पैदा हो गया है. फिरोजाबाद जिले में बाजरा और धान की फसलें ही खरीफ की प्रमुख फसलें हैं, लेकिन बाजरा की फसल तो पीली भी पड़ गयी है और सूखने लगी है. नहर के किनारे जो धान हैं वहां फिर भी गनीमत है. किसान फसलों को सूखे से बचाने के लिए फसलों की सिंचाई तो कर रहे है, लेकिन फसलों की उत्पादकता प्रभावित होने का खतरा है. वहीं कृषि वैज्ञानिकों का भी मानना है कि बरसात न होने से किसानों की जेब पर बोझ बढ़ेगा क्योंकि किसानों के पास फसल में पानी लगाने के अलावा कोई और चारा भी नहीं है.

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