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मतदान के दिन बवाल करने वाले आरोपियों को कोर्ट ने किया बरी - चुनाव के दौरान हंगामा

फिरोजाबाद में साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेसी नेताओं ने बवाल किया था. इस मामले में कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया है. अधिवक्ता का कहना है कि मुकदमा बसपा सरकार में राजनीतिक दबाव के चलते लिखा गया था.

फिरोजाबाद कोर्ट.
फिरोजाबाद कोर्ट.
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Published : Feb 6, 2021, 7:55 PM IST

फिरोजाबादः साल 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के दिन खैरगढ़ थाना क्षेत्र के गांव प्रतापपुर में जमकर बवाल हुआ था. इस मामले में कांग्रेसी नेताओं और तिवारी परिवार के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में केस भी दर्ज हुआ था. इस मामले में करीब 11 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है. अदालत ने इस मामले में जिन लोगों को नामजद किया गया था. उन सभी को बरी कर दिया है. अभियुक्तों की तरफ से पैरवी करने वाले अधिवक्ता धर्म सिंह यादव ने बताया उस दौरान यह मुकदमा बसपा सरकार में राजनीतिक दबाव में लिखा गया था, जिसमें हम लोगों की जीत हुई है.

लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ था बवाल

साल 2009 में 8 नवंबर को लोकसभा उप चुनाव के लिए मतदान हुआ था. इस चुनाव में राज बब्बर चुनाव जीते थे. मतदान के दौरान जमकर पत्थरबाजी हुई थी. अधिवक्ता धर्म सिंह यादव ने बताया कि मतदान में कांग्रेस समर्थकों को रोकने की कोशिश की गई थी, जिसकी वजह से बवाल हुआ और उल्टे मुकुल तिवारी के घर पर तोड़फोड़ की गई. बाद में राजनीतिक दवाब के कारण मुकुल तिवारी, विमल तिवारी, उपेंद्र तिवारी, विमलेश तिवारी, योगेंद्र तिवारी और कमलेश के विरुद्ध केस दर्ज कराया गया था.

सभी को किया गया बरी

अधिवक्ता धर्म सिंह यादव ने बताया इस केस की सुनवाई स्पेशल न्यायालय में चली. अभियोजन पक्ष ने न्यायालय में 5 गवाहों के भी बयान भी दर्ज कराएं, लेकिन अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के विरुद्ध दोष सिद्ध करने में नाकाम रहा. लिहाजा स्पेशल कोर्ट न्यायाधीश जय सिंह पुंडीर ने सभी अभियुक्तों को साक्ष्य अभाव में बरी कर दिया.

फिरोजाबादः साल 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के दिन खैरगढ़ थाना क्षेत्र के गांव प्रतापपुर में जमकर बवाल हुआ था. इस मामले में कांग्रेसी नेताओं और तिवारी परिवार के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में केस भी दर्ज हुआ था. इस मामले में करीब 11 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है. अदालत ने इस मामले में जिन लोगों को नामजद किया गया था. उन सभी को बरी कर दिया है. अभियुक्तों की तरफ से पैरवी करने वाले अधिवक्ता धर्म सिंह यादव ने बताया उस दौरान यह मुकदमा बसपा सरकार में राजनीतिक दबाव में लिखा गया था, जिसमें हम लोगों की जीत हुई है.

लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ था बवाल

साल 2009 में 8 नवंबर को लोकसभा उप चुनाव के लिए मतदान हुआ था. इस चुनाव में राज बब्बर चुनाव जीते थे. मतदान के दौरान जमकर पत्थरबाजी हुई थी. अधिवक्ता धर्म सिंह यादव ने बताया कि मतदान में कांग्रेस समर्थकों को रोकने की कोशिश की गई थी, जिसकी वजह से बवाल हुआ और उल्टे मुकुल तिवारी के घर पर तोड़फोड़ की गई. बाद में राजनीतिक दवाब के कारण मुकुल तिवारी, विमल तिवारी, उपेंद्र तिवारी, विमलेश तिवारी, योगेंद्र तिवारी और कमलेश के विरुद्ध केस दर्ज कराया गया था.

सभी को किया गया बरी

अधिवक्ता धर्म सिंह यादव ने बताया इस केस की सुनवाई स्पेशल न्यायालय में चली. अभियोजन पक्ष ने न्यायालय में 5 गवाहों के भी बयान भी दर्ज कराएं, लेकिन अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के विरुद्ध दोष सिद्ध करने में नाकाम रहा. लिहाजा स्पेशल कोर्ट न्यायाधीश जय सिंह पुंडीर ने सभी अभियुक्तों को साक्ष्य अभाव में बरी कर दिया.

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