ETV Bharat / state

गोरखपुर में नकली दवाओं का काला कारोबार, गांव से लेकर शहर तक बिक्री कर मालामाल हो रहे जालसाज - GORAKHPUR NEWS

औषधि विभाग ने कई दुकानों के ड्रग लाइसेंस किए निलंबित, साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करने पर FIR और विभागीय कार्रवाई की चेतावनी

गोरखपुर में नकली दवाओं का कारोबार.
गोरखपुर में नकली दवाओं का कारोबार. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 11, 2025, 6:31 PM IST

गोरखपुर: सीएम सिटी में नकली दवाओं का कारोबार जमकर फल-फूल रहा है. गांव से लेकर शहर में नकली दवाओं की बिक्री कर जालसाज मालामाल हो रहे हैं. औषधि प्रशासन विभाग द्वारा पिछले दिनों में हुई जांच पड़ताल में ऐसे कई मामले पकड़ में आए तो विभाग के होश उड़ गये.

ऐसे में फार्मेसी की दुकानों पर गड़बड़ियों और अनियमितताओं पर औषधि विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए कई दुकानों के ड्रग लाइसेंस अग्रिम आदेश तक निलंबित कर दिए हैं. इसके साथ ही कई को नोटिस भेजते हुए स्पष्ट कर दिया है कि खरीद और बिक्री बिल में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सभी मेडिकल स्टोर संचालक अपने दस्तावेज सही रखें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई के लिए रहे तैयार. गोरखपुर मंडल के सहायक आयुक्त औषधि प्रशासन पूरन चंद ने कहा कि संदिग्ध और पकड़ में आये दवा कारोबरियों के बारे में सम्बंधित पुलिस को भी सूचना दे दिया गया है. अगर यह साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये तो FIR और विभागीय कार्रवाई होनी तय है.

सहायक आयुक्त औषधि प्रशासन पूरन चंद. (Video Credit; ETV Bharat)
10 दुकानों के लाइसेंस निरस्तः गोरखपुर में करीब चार साल पहले नशीली दवाओं के कारोबार का पर्दाफाश हुआ था. जिसमें एक ही दुकान से करीब 25 से 30 करोड़ रुपए की दवा के कारोबार होने का खुलासा हुआ था. इसके बाद दवा मार्केट भालोटिया में ड्रग विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी. यह मार्केट पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवा मंडी है. इसी प्रकार करीब कुछ वर्ष पहले लखनऊ और गोरखपुर में एक ब्रांडेड कंपनी की नकली इंजेक्शन की बड़ी खेप पकड़ी गई थी. लेकिन बीते 15 दिनों में छोटी-छोटी दुकानों पर जो अधोमानक दवाएं बरामद हुई हैं, इनके खरीद और बिक्री के कागजात जिन दुकानों पर उपलब्ध नहीं रहे हैं, ऐसी 10 दुकानों का लाइसेंस ड्रग विभाग में निरस्त कर दिया है. 15 से अधिक को नोटिस दिया है और सख्त कार्रवाई का निर्देश भी.

24 से अधिक दवाओं में मिलावटः दवा की इस मिली भगत में ब्रांडेड दवा के नाम पर मिलती-जुलती दवाई सस्ते दर पर बेची जाती है. इसमें ज्यादातर कैंसर, गठिया, गर्भपात, फेफड़े और संक्रमण के अलावा प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी दवायें शामिल हैं. दो दर्जन से अधिक दवाएं एलोपैथिक हैं, जिनके मिश्रण में मिलावट पाया गया है. यह दवाएं एलर्जी, बुखार, दर्द और पेट से संबंधित हैं.

नकली सिरप की सप्लाईः गोरखपुर से बस्ती और आजमगढ़ मंडल तक दवाई भेजी जाती है. बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल भी यहां से दवा की आपूर्ति की जाती है. इसी वर्ष जनवरी में शासन के निर्देश पर हुई जांच में कई मामले पकड़ में आए हैं. सभी दवा विक्रेताओं को हर सप्ताह ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय में दवा की रिपोर्ट दर्ज करानी है, लेकिन कोई दवा व्यापारी अपनी रिपोर्ट को कार्यालय तक नहीं पहुंचाया है. ऐसी दवाएं बिना बिल-बाउचर के दुकानदारों द्वारा बेची जा रही हैं. सर्दी के मौसम में खांसी और जुकाम से पीड़ित मरीजों को नकली सिरप की सप्लाई का मामला भी विभाग ने पकड़ा है. जिसकी अंदर खाने जांच चल रही है. शहर के अलीनगर क्षेत्र में छापेमारी कर विभाग ने लाखों की नकली दवा पकड़ी थी. लेकिन इस मामले में अभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है.

सेहत के साथ खिलवाड़ः विभाग के सूत्रों ने बताया कि दो साल पहले नोएडा में दवा बनाने की नकली कंपनी पकड़ी गई थी. यहां से पता चला कि ऐसी दवाएं गोरखपुर- वाराणसी के रास्ते बिहार और पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य राज्य तक पहुंच रही हैं. पकड़े गए लोगों ने बताया था कि नकली दवा के धंधे में दो नेटवर्क काम करता है. एक नेटवर्क हिमाचल और पंजाब में चल रही कंपनियों से दवा को गोरखपुर की मंडी तक लाता है और इसके बाद दूसरा नेटवर्क उसे छोटे-छोटे बाजार तक पहुंचाता है. इसी मिलीभगत में लोगों के सेहत के साथ खिलवाड़ और जालसाज मालामाल हो रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-गोरखपुर में शिक्षा के बड़े केंद्रों की संख्या में इजाफा, उत्तर भारत की पहली फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी जल्द लेगी आकार

गोरखपुर: सीएम सिटी में नकली दवाओं का कारोबार जमकर फल-फूल रहा है. गांव से लेकर शहर में नकली दवाओं की बिक्री कर जालसाज मालामाल हो रहे हैं. औषधि प्रशासन विभाग द्वारा पिछले दिनों में हुई जांच पड़ताल में ऐसे कई मामले पकड़ में आए तो विभाग के होश उड़ गये.

ऐसे में फार्मेसी की दुकानों पर गड़बड़ियों और अनियमितताओं पर औषधि विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए कई दुकानों के ड्रग लाइसेंस अग्रिम आदेश तक निलंबित कर दिए हैं. इसके साथ ही कई को नोटिस भेजते हुए स्पष्ट कर दिया है कि खरीद और बिक्री बिल में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सभी मेडिकल स्टोर संचालक अपने दस्तावेज सही रखें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई के लिए रहे तैयार. गोरखपुर मंडल के सहायक आयुक्त औषधि प्रशासन पूरन चंद ने कहा कि संदिग्ध और पकड़ में आये दवा कारोबरियों के बारे में सम्बंधित पुलिस को भी सूचना दे दिया गया है. अगर यह साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये तो FIR और विभागीय कार्रवाई होनी तय है.

सहायक आयुक्त औषधि प्रशासन पूरन चंद. (Video Credit; ETV Bharat)
10 दुकानों के लाइसेंस निरस्तः गोरखपुर में करीब चार साल पहले नशीली दवाओं के कारोबार का पर्दाफाश हुआ था. जिसमें एक ही दुकान से करीब 25 से 30 करोड़ रुपए की दवा के कारोबार होने का खुलासा हुआ था. इसके बाद दवा मार्केट भालोटिया में ड्रग विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी. यह मार्केट पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवा मंडी है. इसी प्रकार करीब कुछ वर्ष पहले लखनऊ और गोरखपुर में एक ब्रांडेड कंपनी की नकली इंजेक्शन की बड़ी खेप पकड़ी गई थी. लेकिन बीते 15 दिनों में छोटी-छोटी दुकानों पर जो अधोमानक दवाएं बरामद हुई हैं, इनके खरीद और बिक्री के कागजात जिन दुकानों पर उपलब्ध नहीं रहे हैं, ऐसी 10 दुकानों का लाइसेंस ड्रग विभाग में निरस्त कर दिया है. 15 से अधिक को नोटिस दिया है और सख्त कार्रवाई का निर्देश भी.

24 से अधिक दवाओं में मिलावटः दवा की इस मिली भगत में ब्रांडेड दवा के नाम पर मिलती-जुलती दवाई सस्ते दर पर बेची जाती है. इसमें ज्यादातर कैंसर, गठिया, गर्भपात, फेफड़े और संक्रमण के अलावा प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी दवायें शामिल हैं. दो दर्जन से अधिक दवाएं एलोपैथिक हैं, जिनके मिश्रण में मिलावट पाया गया है. यह दवाएं एलर्जी, बुखार, दर्द और पेट से संबंधित हैं.

नकली सिरप की सप्लाईः गोरखपुर से बस्ती और आजमगढ़ मंडल तक दवाई भेजी जाती है. बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल भी यहां से दवा की आपूर्ति की जाती है. इसी वर्ष जनवरी में शासन के निर्देश पर हुई जांच में कई मामले पकड़ में आए हैं. सभी दवा विक्रेताओं को हर सप्ताह ड्रग इंस्पेक्टर कार्यालय में दवा की रिपोर्ट दर्ज करानी है, लेकिन कोई दवा व्यापारी अपनी रिपोर्ट को कार्यालय तक नहीं पहुंचाया है. ऐसी दवाएं बिना बिल-बाउचर के दुकानदारों द्वारा बेची जा रही हैं. सर्दी के मौसम में खांसी और जुकाम से पीड़ित मरीजों को नकली सिरप की सप्लाई का मामला भी विभाग ने पकड़ा है. जिसकी अंदर खाने जांच चल रही है. शहर के अलीनगर क्षेत्र में छापेमारी कर विभाग ने लाखों की नकली दवा पकड़ी थी. लेकिन इस मामले में अभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है.

सेहत के साथ खिलवाड़ः विभाग के सूत्रों ने बताया कि दो साल पहले नोएडा में दवा बनाने की नकली कंपनी पकड़ी गई थी. यहां से पता चला कि ऐसी दवाएं गोरखपुर- वाराणसी के रास्ते बिहार और पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य राज्य तक पहुंच रही हैं. पकड़े गए लोगों ने बताया था कि नकली दवा के धंधे में दो नेटवर्क काम करता है. एक नेटवर्क हिमाचल और पंजाब में चल रही कंपनियों से दवा को गोरखपुर की मंडी तक लाता है और इसके बाद दूसरा नेटवर्क उसे छोटे-छोटे बाजार तक पहुंचाता है. इसी मिलीभगत में लोगों के सेहत के साथ खिलवाड़ और जालसाज मालामाल हो रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-गोरखपुर में शिक्षा के बड़े केंद्रों की संख्या में इजाफा, उत्तर भारत की पहली फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी जल्द लेगी आकार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.