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जानिए टूण्डला विधानसभा सीट का मिजाज, कितने वोटर करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला

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Published : Oct 26, 2020, 7:36 PM IST

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की टूण्डला विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. पहले भी इस सीट पर तीन अलग-अलग पार्टियों के 4 विधायक चुने जा चुके हैं. इस सीट पर विकास एक बार फिर बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है. पढ़िए ये रिपोर्ट....

टूण्डला
टूण्डला

फिरोजाबाद: यूपी की जिन 7 सीटों पर विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है, उसमें एक सीट फिरोजाबाद जनपद की टूण्डला भी है. इस सीट पर 3 नवंबर को मतदान होगा और 10 नवंबर को परिणाम की घोषणा हो जाएगी. आंकड़े गवाह हैं कि इस सीट पर कभी एक दल का प्रभुत्व नहीं रहा है. बीते दो दशक की बात करें तो इस सीट पर तीन अलग-अलग पार्टियों के 4 विधायक चुने जा चुके हैं. इस बार सभी राजनीतिक दल इस सीट को अपने-अपने खाते में शामिल करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. इस सीट पर विकास एक बार फिर बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है. इस सीट का समीकरण क्या है उस पर एक नजर...

फिरोजाबाद जिले की टूंडला विधानसभा सीट की सीमा आगरा और एटा जनपद से लगती है. यह सीट साल 1952 में अस्तित्व में आई थी. उल्फत सिंह चौहान यहां से पहले विधायक चुने गए. इस सीट पर कुल 3 लाख 64 हजार 444 वोटर हैं, जो प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. इससे पहले साल 2017 के चुनाव में 3 लाख 49 हजार 525 वोटर थे, जो इस बार बढ़ गए हैं. इस सीट पर बीते चार दशकों में जो विधायक जीते हैं उनका विवरण इस प्रकार है-

साल विधायक पार्टी
1980गुलाब सेहराकांग्रेस
1986अशोक सेहराकांग्रेस
1989ओम प्रकाश दिवाकरजनता दल
1991ओम प्रकाश दिवाकरजनता दल
1993रमेश चंद्र चंचलसपा
1996शिव सिंह चकबीजेपी
2002मोहनदेव शंखबारसपा
2007राकेश बाबूबसपा
2012राकेश बाबू बसपा
2017एस पी बघेलबीजेपी

इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 3 लाख 64 हजार है. राजनीतिक समीकरण की बात करें तो इस सीट पर किसी एक दल का कब्जा नहीं रहा. बीते दो दशक में इस सीट पर सपा, बसपा और बीजेपी का कब्जा रहा है. अब यह सीट फिर से राजनीति दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है. इस सीट के लिए सभी दलों ने प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं. बीजेपी ने जहां प्रेम पाल धनकर को प्रत्याशी घोषित किया है, तो सपा ने महाराज सिंह धनगर और बीएसपी ने संजीव चक को प्रत्याशी घोषित किया है. कांग्रेस ने स्नेहलता बबली को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उनका पर्चा ही खारिज हो गया. वैसे तो इस सीट पर कुल 10 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है.

चुनाव प्रचार में बीजेपी आगे
वैसे तो सभी दल इस सीट को जीतने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी चुनाव प्रचार में सबसे आगे है. यहां खुद सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव खुद चुनाव प्रचार कर चुके हैं. कुछ दर्जा प्राप्त मंत्री तो कई बार इस इलाके का दौरा कर चुनावी बयार को अपने पक्ष में मोड़ने में लगे हैं. चुनाव से पहले भी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा ने यहां सभा करके जनपद को विकास कार्यों की सौगात दी थी.

सड़क, बिजली, पानी हैं यहां के मुद्दे
टूण्डला विधानसभा इलाके की बात करें तो सड़क, बिजली और पानी यहां के मुद्दे हैं. इन मुद्दों पर ही चुनाव हो रहा है. इस इलाके में करीब 40 गांव ऐसे हैं जहां पानी खारा है. यह भी एक बड़ा मुद्दा है. कई गांव ऐसे हैं, जहां सम्पर्क मार्ग काफी जर्जर हैं. इन पर होकर निकलना भी खतरे से खाली नहीं है. कुछ गांव में तो लोगों को पानी भी खरीदकर पीना पड़ता है. सिंचाई के साधनों का भी बुरा हाल है. इस इलाके में पड़ने वाले हाथरस माइनर में तो पिछले 20 साल से पानी नहीं आया है.

ये हैं जातिगत आंकड़े
इस सीट पर वोटरों की संख्या 3 लाख 64 हजार हैं. सबसे ज्यादा दलित वोटर हैं. अन्य कुछ जातियों की अगर बात करें तो आंकड़ा कुछ इस प्रकार होगा-

जाति वोट के आंकडे़
बघेल/धनगर 62,000
जाटव65,000
यादव30,000
ठाकुर35,000
ब्राह्ममण20,000
निषाद18,000
जाट15,000
मुस्लिम21,000
कुशवाह18,000
चक10,000

इसके अलावा अन्य कुछ जातियों की संख्या 10 हजार से कम है.

फिरोजाबाद: यूपी की जिन 7 सीटों पर विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है, उसमें एक सीट फिरोजाबाद जनपद की टूण्डला भी है. इस सीट पर 3 नवंबर को मतदान होगा और 10 नवंबर को परिणाम की घोषणा हो जाएगी. आंकड़े गवाह हैं कि इस सीट पर कभी एक दल का प्रभुत्व नहीं रहा है. बीते दो दशक की बात करें तो इस सीट पर तीन अलग-अलग पार्टियों के 4 विधायक चुने जा चुके हैं. इस बार सभी राजनीतिक दल इस सीट को अपने-अपने खाते में शामिल करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. इस सीट पर विकास एक बार फिर बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है. इस सीट का समीकरण क्या है उस पर एक नजर...

फिरोजाबाद जिले की टूंडला विधानसभा सीट की सीमा आगरा और एटा जनपद से लगती है. यह सीट साल 1952 में अस्तित्व में आई थी. उल्फत सिंह चौहान यहां से पहले विधायक चुने गए. इस सीट पर कुल 3 लाख 64 हजार 444 वोटर हैं, जो प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. इससे पहले साल 2017 के चुनाव में 3 लाख 49 हजार 525 वोटर थे, जो इस बार बढ़ गए हैं. इस सीट पर बीते चार दशकों में जो विधायक जीते हैं उनका विवरण इस प्रकार है-

साल विधायक पार्टी
1980गुलाब सेहराकांग्रेस
1986अशोक सेहराकांग्रेस
1989ओम प्रकाश दिवाकरजनता दल
1991ओम प्रकाश दिवाकरजनता दल
1993रमेश चंद्र चंचलसपा
1996शिव सिंह चकबीजेपी
2002मोहनदेव शंखबारसपा
2007राकेश बाबूबसपा
2012राकेश बाबू बसपा
2017एस पी बघेलबीजेपी

इस सीट पर कुल वोटरों की संख्या 3 लाख 64 हजार है. राजनीतिक समीकरण की बात करें तो इस सीट पर किसी एक दल का कब्जा नहीं रहा. बीते दो दशक में इस सीट पर सपा, बसपा और बीजेपी का कब्जा रहा है. अब यह सीट फिर से राजनीति दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है. इस सीट के लिए सभी दलों ने प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं. बीजेपी ने जहां प्रेम पाल धनकर को प्रत्याशी घोषित किया है, तो सपा ने महाराज सिंह धनगर और बीएसपी ने संजीव चक को प्रत्याशी घोषित किया है. कांग्रेस ने स्नेहलता बबली को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उनका पर्चा ही खारिज हो गया. वैसे तो इस सीट पर कुल 10 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है.

चुनाव प्रचार में बीजेपी आगे
वैसे तो सभी दल इस सीट को जीतने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी चुनाव प्रचार में सबसे आगे है. यहां खुद सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव खुद चुनाव प्रचार कर चुके हैं. कुछ दर्जा प्राप्त मंत्री तो कई बार इस इलाके का दौरा कर चुनावी बयार को अपने पक्ष में मोड़ने में लगे हैं. चुनाव से पहले भी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा ने यहां सभा करके जनपद को विकास कार्यों की सौगात दी थी.

सड़क, बिजली, पानी हैं यहां के मुद्दे
टूण्डला विधानसभा इलाके की बात करें तो सड़क, बिजली और पानी यहां के मुद्दे हैं. इन मुद्दों पर ही चुनाव हो रहा है. इस इलाके में करीब 40 गांव ऐसे हैं जहां पानी खारा है. यह भी एक बड़ा मुद्दा है. कई गांव ऐसे हैं, जहां सम्पर्क मार्ग काफी जर्जर हैं. इन पर होकर निकलना भी खतरे से खाली नहीं है. कुछ गांव में तो लोगों को पानी भी खरीदकर पीना पड़ता है. सिंचाई के साधनों का भी बुरा हाल है. इस इलाके में पड़ने वाले हाथरस माइनर में तो पिछले 20 साल से पानी नहीं आया है.

ये हैं जातिगत आंकड़े
इस सीट पर वोटरों की संख्या 3 लाख 64 हजार हैं. सबसे ज्यादा दलित वोटर हैं. अन्य कुछ जातियों की अगर बात करें तो आंकड़ा कुछ इस प्रकार होगा-

जाति वोट के आंकडे़
बघेल/धनगर 62,000
जाटव65,000
यादव30,000
ठाकुर35,000
ब्राह्ममण20,000
निषाद18,000
जाट15,000
मुस्लिम21,000
कुशवाह18,000
चक10,000

इसके अलावा अन्य कुछ जातियों की संख्या 10 हजार से कम है.

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