फर्रुखाबाद: एक ओर सरकार जहां 2024 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के अभियान में जुटी हुई है तो वहीं सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था फिलहाल सरकार के इस लक्ष्य पर पानी फेर रही है. मौजूदा समय में कई ऐसे अस्पताल हैं जहां स्टाफ की भारी कमी के चलते टीबी मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऐसा ही एक अस्पताल है फर्रुखाबाद में. जिले में स्टाफ की कमी के चलते टीबी मरीजों की पहचान से लेकर उनके इलाज में विभाग को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. विभाग के पास जिला क्षय रोग अधिकारी तक नहीं है. मौजूदा समय में सरकारी अस्पताल में 1603 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिसर पर टीबी अस्पताल संचालित है. यहां पर एक क्षय रोग के अधिकारी,उप क्षय रोग अधिकारी, चार मेडिकल आफिसर होने चाहिए. इनमें उपक्षय रोग अधिकारी नहीं है जबकि क्षह रोग अधिकारी का चार्ज अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रंजन गौतम के पास है.
इसी प्रकार सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर का एक पद रिक्त है. सीनियर ट्रीटमेंट लैब सुपरवाइजर के 6 पद हैं इसमें चार कर्मचारी ही कार्यरत हैं. 13 लैब टेक्नीशियन में 12 ही तैनात हैं. यहां भी एक कर्मचारी की कमी बनी हुई है. टीबी हेल्थ विजिटर पांच के बजाय चार ही हैं.
ट्यूबरक्लोसिस यूनिट 11 में 10 से चल रही हैं. बताया गया है कि सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर की कमी के कारण यूनिट शुरू नहीं हो सकी है. कर्मचारियों की कमी के कारण मौजूद 2 कर्मचारियों पर अतिरिक्त कार्य करना पड़ रहा है.
स्टाफ की कमी के बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अवनीदर कुमार ने बताया कि शासन से अभी क्षय रोग अधिकारी की तैनाती नहीं हुई है इसलिए उन्होंने सीएमओ को उसकी जिम्मेदारी दे रखी है ताकि मरीजों के इलाज में कोई बाधा न आए.
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