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फर्रुखाबाद: रामनगरिया मेले में कल्पवासी लगा रहे आस्था की डुबकी - latest news

पांचाल घाट पर विश्व प्रसिद्ध रामनगरिया मेले में कल्पवासियों ने पहुंचकर पूजा पाठ करके गंगा में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया है.

रामनगरिया मेला
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Published : Feb 2, 2019, 9:13 AM IST

फर्रुखाबाद: शहर स्थित गंगा के किनारे बने पांचाल घाट पर विश्व प्रसिद्ध रामनगरिया मेले में तंबू का शहर सज गया है. यहां कल्पवासियों ने डेरा जमा कर पूजा पाठ करके गंगा में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया है. मेले में सुरक्षा के मद्देनजर चप्पे- चप्पे पर पुलिस तैनात है.

रामनगरिया मेले में बड़ी संख्या में श्रृध्दालुगण पहुंच रहे हैं.
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बता दें कि फर्रुखाबाद जिले में लगने वाला माघ मेला रामनगरिया प्रयागराज कुंभ के बाद प्रदेश का सबसे बड़ा मेला माना जाता है. एक ओर प्रयागराज में नागा साधु और श्रद्धालु कल्पवास व गंगा स्नान के लिए डेरा जमाए हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर भी एक माह तक चलने वाले इस मेले में साधु-संतों ने अपने-अपने क्षेत्रों में तंबू लगाकर पूजा पाठ के साथ कल्पवास करना शुरू कर दिया है.

बता दें कि कल्पवासी 20 फरवरी तक गंगा घाट पर रह कर पूजा अर्चना करेंगे. माघ मेले के दौरान पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा तक कल्पवास किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस 1 महीने गंगा तट पर भजन पूजन का प्रभाव श्रद्धालुओं के आगामी जीवन पर भी पड़ता है. माघ मेले के दौरान कल्पवास से पुण्य प्राप्त होता है.

साधु संतों के साथ बाहरी राज्यों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आते हैं. वहीं शासन की ओर से भी मेले परिसर में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं. मेले में सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ खोया पाया केंद्र समेत कई पुलिस चौकियां बनाई गई है.

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कल्पवास करने आए ओम प्रकाश दीक्षित ने बताया कि इस मेले का पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. रामनगरिया मेले में वह करीब 30 सालों से आ रहे हैं. यहां एक माह तक तंबू में रहकर सांसारिक माया से मुक्त हो वैराग्य जीवन का पालन करते हैं, सुबह 4 बजे उठकर नित्य क्रिया करके भगवान की पूजा में जुट जाते हैं . इसके बाद परिवार के साथ कथा और प्रवचन सुनते हैं. उनका कहना है कि यहां आने से मन को शांति तो मिलती है साथ में परिवार में सुख शांति भी बनी रहती है,

फर्रुखाबाद: शहर स्थित गंगा के किनारे बने पांचाल घाट पर विश्व प्रसिद्ध रामनगरिया मेले में तंबू का शहर सज गया है. यहां कल्पवासियों ने डेरा जमा कर पूजा पाठ करके गंगा में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया है. मेले में सुरक्षा के मद्देनजर चप्पे- चप्पे पर पुलिस तैनात है.

रामनगरिया मेले में बड़ी संख्या में श्रृध्दालुगण पहुंच रहे हैं.
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बता दें कि फर्रुखाबाद जिले में लगने वाला माघ मेला रामनगरिया प्रयागराज कुंभ के बाद प्रदेश का सबसे बड़ा मेला माना जाता है. एक ओर प्रयागराज में नागा साधु और श्रद्धालु कल्पवास व गंगा स्नान के लिए डेरा जमाए हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर भी एक माह तक चलने वाले इस मेले में साधु-संतों ने अपने-अपने क्षेत्रों में तंबू लगाकर पूजा पाठ के साथ कल्पवास करना शुरू कर दिया है.

बता दें कि कल्पवासी 20 फरवरी तक गंगा घाट पर रह कर पूजा अर्चना करेंगे. माघ मेले के दौरान पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा तक कल्पवास किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस 1 महीने गंगा तट पर भजन पूजन का प्रभाव श्रद्धालुओं के आगामी जीवन पर भी पड़ता है. माघ मेले के दौरान कल्पवास से पुण्य प्राप्त होता है.

साधु संतों के साथ बाहरी राज्यों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आते हैं. वहीं शासन की ओर से भी मेले परिसर में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं. मेले में सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ खोया पाया केंद्र समेत कई पुलिस चौकियां बनाई गई है.

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कल्पवास करने आए ओम प्रकाश दीक्षित ने बताया कि इस मेले का पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. रामनगरिया मेले में वह करीब 30 सालों से आ रहे हैं. यहां एक माह तक तंबू में रहकर सांसारिक माया से मुक्त हो वैराग्य जीवन का पालन करते हैं, सुबह 4 बजे उठकर नित्य क्रिया करके भगवान की पूजा में जुट जाते हैं . इसके बाद परिवार के साथ कथा और प्रवचन सुनते हैं. उनका कहना है कि यहां आने से मन को शांति तो मिलती है साथ में परिवार में सुख शांति भी बनी रहती है,

Intro:एंकर- यूपी के फर्रुखाबाद स्थित गंगा के किनारे बने पांचाल घाट पर विश्व प्रसिद्ध रामनगरिया मेले में तंबू का शहर सज गया है. यहां कल्पवासियों ने डेरा जमा कर पूजा पाठ करके गंगा में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया है.


Body:विओ- फर्रुखाबाद जिले में लगने वाला माघ मेला रामनगरिया प्रयागराज कुंभ के बाद प्रदेश का सबसे बड़ा मेला है एक ओर प्रयागराज में नागा साधु और श्रद्धालु कल्पवास व गंगा स्नान के लिए डेरा जमाए हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर भी एक माह तक चलने वाले रामनगरिया मेले में साधु-संतों ने अपने-अपने क्षेत्रों में तंबू लगाकर पूजा पाठ के साथ कल्पवास करना शुरू कर दिया है. पंडित दीनदयाल शुक्ल ने बताया कि इस मेले का पौराणिक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है.
बाइट-दीनदयाल शुक्ल, पंडित


Conclusion:विओ- कल्पवास करने आए ओम प्रकाश दीक्षित ने बताया कि रामनगरिया मेले में वह करीब 30 सालों से आ रहे हैं. यहां एक माह तक तंबू में रहकर सांसारिक माया से मुक्त हो वैराग्य जीवन का पालन करते हैं, सुबह 4 बजे उठकर नित्य क्रिया करके भगवान की पूजा में जुट जाते हैं . इसके बाद परिवार के साथ कथा और प्रवचन सुनते हैं. उनका कहना है कि यहां आने से मन को शांति तो मिलती है साथ में परिवार में सुख शांति भी बनी रहती है, बता दें कि या कल प्रवासी 20 फरवरी तक गंगा घाट पर रह कर पूजा अर्चना करेंगे. वैसे तो मेले का विधिवत शुभारंभ 21 जनवरी को हो चुका है.माघ मेले के दौरान पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा तक कल्पवास किया जाता है. माना जाता है कि इस 1 महीने गंगा तट पर भजन पूजन का प्रभाव श्रद्धालुओं के आगामी जीवन पर भी पड़ता है. माघ मेले के दौरान कल्पवास से पुण्य प्राप्त होता है. साधु संतों के साथ बाहरी राज्यों से श्रद्धालु यहां आते हैं. वहीं शासन की ओर से भी मेले परिसर में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं. सीसीटीवी कैमरे, खोया पाया केंद्र समेत कई पुलिस चौकियां बनाई गई है.
बाइट- ओम प्रकाश दीक्षित, कल्पवासी
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