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बर्बादी का ऐसा कहर, टापू बन गए प्रदेश के शहर

उत्तर प्रदेश के लोगों को बारिश के बाद गर्मी से भले ही राहत मिल रही हो, लेकिन ये बारिश किसानों और नदी किनारे रहने वाले लोगों पर कहर बनकर टूटी है. यहां भारी बारिश की वजह से गांव के गांव पानी में समा गए हैं. बहुत से क्षेत्र तो टापू बन गए हैं. कई खेतों में 8 फीट तक बाढ़ का पानी भरा हुआ है. हालातों के आगे सरकारी तंत्र फेल हो चुका है.

गांव के गांव पानी में समाए
गांव के गांव पानी में समाए
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Published : Jul 27, 2021, 8:34 PM IST

फर्रुखाबाद: जिले में गंगा (Ganga River) के किनारे बसे गांव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. बाढ़ का पानी (Flood) घरों में घुस गया है. गंगा नदी किनारे बसे गांव में इस कदर लोग परेशान हैं कि वह लोग रात-दिन निगरानी कर रहे हैं. गंगा नदी का जलस्तर (Water level of Ganga) 136.60 मीटर पहुंच गया जो कि चेतावनी निशान है. रामगंगा नदी (Ramganga River) का जलस्तर बढ़कर 135.75 पर पहुंच गया है. नरौरा बांध से गंगा नदी में 51,740 हरिद्वार से 72,912, बिजनौर से 55,503 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. गंगा नदी के चेतावनी बिंदु पर ठहरने से लोग भयभीत हैं.


रामगंगा नदी यदि चेतावनी बिंदु तक पहुंची तो क्षेत्र में भारी तबाही हो सकती है, क्योंकि रामगंगा नदी का फैलाव अधिक नहीं है. पिछले 24 घंटे में रामगंगा नदी के जलस्तर में 25 सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी हुई है. पानी का दबाव इस कदर बढ़ रहा है कि तेजी के साथ कटान हो रहा है और लोगों की जमीन भी देखते ही देखते नदी में समा जा रही है. प्रशासनिक स्तर से मदद न मिलने से पीड़ितों में मायूसी है तो वहीं नरौरा समेत विभिन्न बांधों से पानी छोड़े जाने का सिलसिला जारी है. शमसाबाद तराई क्षेत्र की बात करें तो 20 से अधिक गांव की ओर अभी भी पानी का रुख तेजी के साथ बढ़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 15 घंटों से पानी का दबाव कम नहीं हो रहा है. कई संपर्क मार्ग पानी की चपेट में आ गए हैं.

यूपी में टापू बने शहर

वहीं फिरोजाबाद की खारजा नहर के कटान को 10 दिन का समय बीत चुका है. कटान को रोक भी दिया गया है, लेकिन खेतों में अभी भी बाढ़ जैसे हालात हैं. खेतों में आठ-आठ फीट तक पानी भरा हुआ है. 6 गांव के किसानों की सैकड़ों बीघा फसल पानी में डूबी है. जनप्रतिनिधि और हुक्मरान भी इस इलाके का दौरा कर चुके हैं, लेकिन हालात नहीं बदल सके, हालातों के आगे सरकारी तंत्र भी बेबस नजर आ रहा है.

कुछ ऐसा ही हाल उन्नाव का भी है. यहां मंगलवार को हुई बारिश ने नगर पालिका के बेहतर सिस्टम की पोल खोल दी है. चंद मिनटों की बारिश में आज उन्नाव शहर एक टापू में तब्दील हो गया है. जिलाधिकारी उन्नाव के आवास के बाहर घुटनों तक पानी भर गया है. इसके अलावा एसपी ऑफिस के बाहर भी घुटनों तक पानी भर गया, जिससे राहगीरों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. रोड से गुजरने वाले या एसपी ऑफिस आने वाले फरियादी आज घुटनों तक पानी से होकर ही जिम्मरदारों की चौखट पर पहुंचे. यही नहीं कई राहगीर और बाइक सवार जलभराव के कारण नालों में भी गिर पड़े.

अमरोहा में आशिकपुरा गांव में जरा सी बारिश के बाद गांव का मुख्स रास्ता पानी से लबालब भर जाता है. लगभग 20 गांव के लोगों का इस रास्ते को आना जाना लगा रहता है. मंगलवार को यहां के लोगों ने पानी में खड़े होकर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया.

फर्रुखाबाद: जिले में गंगा (Ganga River) के किनारे बसे गांव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. बाढ़ का पानी (Flood) घरों में घुस गया है. गंगा नदी किनारे बसे गांव में इस कदर लोग परेशान हैं कि वह लोग रात-दिन निगरानी कर रहे हैं. गंगा नदी का जलस्तर (Water level of Ganga) 136.60 मीटर पहुंच गया जो कि चेतावनी निशान है. रामगंगा नदी (Ramganga River) का जलस्तर बढ़कर 135.75 पर पहुंच गया है. नरौरा बांध से गंगा नदी में 51,740 हरिद्वार से 72,912, बिजनौर से 55,503 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. गंगा नदी के चेतावनी बिंदु पर ठहरने से लोग भयभीत हैं.


रामगंगा नदी यदि चेतावनी बिंदु तक पहुंची तो क्षेत्र में भारी तबाही हो सकती है, क्योंकि रामगंगा नदी का फैलाव अधिक नहीं है. पिछले 24 घंटे में रामगंगा नदी के जलस्तर में 25 सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी हुई है. पानी का दबाव इस कदर बढ़ रहा है कि तेजी के साथ कटान हो रहा है और लोगों की जमीन भी देखते ही देखते नदी में समा जा रही है. प्रशासनिक स्तर से मदद न मिलने से पीड़ितों में मायूसी है तो वहीं नरौरा समेत विभिन्न बांधों से पानी छोड़े जाने का सिलसिला जारी है. शमसाबाद तराई क्षेत्र की बात करें तो 20 से अधिक गांव की ओर अभी भी पानी का रुख तेजी के साथ बढ़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 15 घंटों से पानी का दबाव कम नहीं हो रहा है. कई संपर्क मार्ग पानी की चपेट में आ गए हैं.

यूपी में टापू बने शहर

वहीं फिरोजाबाद की खारजा नहर के कटान को 10 दिन का समय बीत चुका है. कटान को रोक भी दिया गया है, लेकिन खेतों में अभी भी बाढ़ जैसे हालात हैं. खेतों में आठ-आठ फीट तक पानी भरा हुआ है. 6 गांव के किसानों की सैकड़ों बीघा फसल पानी में डूबी है. जनप्रतिनिधि और हुक्मरान भी इस इलाके का दौरा कर चुके हैं, लेकिन हालात नहीं बदल सके, हालातों के आगे सरकारी तंत्र भी बेबस नजर आ रहा है.

कुछ ऐसा ही हाल उन्नाव का भी है. यहां मंगलवार को हुई बारिश ने नगर पालिका के बेहतर सिस्टम की पोल खोल दी है. चंद मिनटों की बारिश में आज उन्नाव शहर एक टापू में तब्दील हो गया है. जिलाधिकारी उन्नाव के आवास के बाहर घुटनों तक पानी भर गया है. इसके अलावा एसपी ऑफिस के बाहर भी घुटनों तक पानी भर गया, जिससे राहगीरों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. रोड से गुजरने वाले या एसपी ऑफिस आने वाले फरियादी आज घुटनों तक पानी से होकर ही जिम्मरदारों की चौखट पर पहुंचे. यही नहीं कई राहगीर और बाइक सवार जलभराव के कारण नालों में भी गिर पड़े.

अमरोहा में आशिकपुरा गांव में जरा सी बारिश के बाद गांव का मुख्स रास्ता पानी से लबालब भर जाता है. लगभग 20 गांव के लोगों का इस रास्ते को आना जाना लगा रहता है. मंगलवार को यहां के लोगों ने पानी में खड़े होकर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया.

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