फर्रुखाबाद: पुलिस प्रशासन में वैसे तो नियम है कि आरोपी पुलिसकर्मी अपने खिलाफ खुद जांच नहीं कर सकता, लेकिन फर्रुखाबाद जनपद में सब कुछ मुमकिन है. यहां एक आरोपी दारोगा ने अपने ही खिलाफ जांचकर खुद को क्लीनचिट भी दे दी. जब कोर्ट ने जवाब तलब किया तो बोले ‘हुजूर अभी नया हूं, कोर्ट कचहरी के टेक्निकल बिंदुओं की जानकारी नहीं थी’. जिसके बाद उनके बचाव में अपर पुलिस अधीक्षक भी उतर आए हैं. फिलहाल एसीजेएम विनीता सिंह ने जांच दूसरे थाने में ट्रांसफर कर दी है.
कोतवाली फर्रुखाबाद में तैनात रहे दारोगा तेज बहादुर सिंह के खिलाफ मारपीट, अवैध रूप से बंधक बनाने और सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के एक मामले में दायर याचिका पर एसीजेएम ने रिपोर्ट तलब की तो दारोगा जी ने अपने खिलाफ जांच कर खुद को क्लीनचिट दे दी.
धांधली पर न्यायालय ने किया तलब
इंस्पेक्टर की जानकारी के बिना ही रिपोर्ट कोर्ट भेज दी गई. न्यायालय ने इस धांधली पर जवाब तलब किया, तो लिखित माफीनामा देकर कहा गया कि वह अभी नए हैं, उन्हें कोर्ट कचहरी के इन टेक्निकल बिंदुओं की जानकारी ही नहीं थी.
जांच थाना मऊदरवाजा को सौंपा गया
अपनी पूर्व रिपोर्ट पर ही साथी दारोगा से हस्ताक्षर करवाकर फिर से कोर्ट भेज दिया. इसके बाद वादी के वकील दीपक द्विवेदी ने मामला पकड़ा तो न्यायालय ने जांच कोतवाली से छीनकर थाना मऊदरवाजा को सौंप दी. अब दरोगा तेज बहादुर सिंह को फंसता देख अपर पुलिस अधीक्षक त्रिभुवन सिंह ने उनका पक्ष लेते हुए कहा कि अपने खिलाफ नियमानुसार कोई खुद जांच कर ही नहीं सकता.
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करीब 45 से अधिक विवेचनाओं में कैसे लगेगी रिपोर्ट
अब सवाल यह उठता है कि जब दारोगा तेज बहादुर सिंह ने कोर्ट में लिखित माफीनामा देकर कहा है कि वह अभी नए हैं और उन्हें न्यायालय के टेक्निकल बिंदुओं की जानकारी ही नहीं है. इसके बावजूद उच्चाधिकारियों ने अब तक उनके पास लंबित करीब 45 से अधिक विवेचनाओं का कोई संज्ञान नहीं लिया है. ऐसे में टेक्निकल बिंदुओं से अनभिज्ञ दारोगा जी इन जांच में क्या रिपोर्ट लगा देते हैं, इसके तो अधिकारी ही मालिक होंगे.