फर्रुखाबाद: जिले के कोतवाली क्षेत्र के गंगा तट के पंचाल घाट पर गुरु पूर्णिमा के मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. श्रद्धालु अपने गुरुओं का गुरु पूर्णिमा पर आशीर्वाद ले रहे हैं. इस बीच जमकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई.
गुरु पूर्णिमा के मौके पर कोरोना महामारी के चलते जिले के गंगा घाट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े. इसी बीच श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ाई. जिला प्रशासन की तरफ से भीड़ भाड़ रोकने के इंतजाम किए गए. फिर भी श्रद्धालु गंगा घाट पर पहुंचे. गुरु पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई. आधी रात से ही गंगा तटों पर श्रद्धालुओं का हुजूम जुड़ने लगा था. जिससे प्रशासन की आधी अधूरी तैयारियों के बीच गंगा दशहरा का स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को जाम का भी सामना करना पड़ा.
यहां लोगों ने गंगा स्नान कर पूजा अर्चना की और गुरुओं का आशीर्वाद लिया. ऐसा मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा पर गंगा में स्नान कर गुरु का आशीर्वाद लेने से लोगों का जीवन आसान व सरल हो जाता है. फर्रुखाबाद के पांचाल घाट पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ गंगा घाटों को देखी जा सकती है. इसके अलावा किला घाट में भी स्नान की लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंच रहे हैं. पूर्णिमा स्नान को लेकर बीती रात से ही पांचाल घाट पर श्रद्धालु पहुंचने लगे थे.
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ऐसे करें पूजा
गुरु पूर्णिमा के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान करके सबसे पहले अपने गुरु की पूजा के लिए सामग्री (पान का पत्ता, पानी वाला नारियल, पुष्प, इलायची, कर्पूर, लौंग, मोदक आदि) तैयार करें. जिसमें फूल-माला, तांबूल, श्रीफल, रोली-मोली, जनेउ, सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा और पंचवस्त्र लेकर अपने गुरु के स्थान पर जाएं. उसके बाद अपने गुरु के चरणों को धुलकर उसकी पूजा करें और उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार फल-फूल, मेवा, मिष्ठान और धन आदि दें. पूर्णिमा की शाम को चंद्र दर्शन करने के बाद दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र दोष दूर होता है. अर्घ्य देने के बाद चंद्रदेव के मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नमः’ का जप करना न भूलें.
वाराणसी में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गंगा नदी में स्नान करते श्रद्धालु
वाराणसी में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गंगा नदी में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. आधी रात से ही गंगा तटों पर श्रद्धालुओं का हुजूम जुड़ने लगा था. एक श्रद्धालु लाल चंद केसरी ने कहा कि यह सभी शिक्षकों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन छात्र श्रद्धा व्यक्त करते हैं और अपने शिक्षकों का आभार व्यक्त करते हैं.