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मौत के साए में जीने को मजबूर लोहिया अस्पताल के कर्मचारी, ऐसे ही भवनों की स्थिति

फर्रुखाबाद के लोहिया अस्पताल के सरकारी भवनों की हालत खराब है. यहां रह रहे कर्मचारियों को आए दिन डर लगता है कि कब कौनसा हादसा हो जाए.

मौत के साए में जीने को मजबूर लोहिया अस्पताल के कर्मचारी
मौत के साए में जीने को मजबूर लोहिया अस्पताल के कर्मचारी
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Published : Jan 9, 2023, 10:20 PM IST

मौत के साए में जीने को मजबूर लोहिया अस्पताल के कर्मचारी

फर्रुखाबाद: जिले के लोहिया अस्पताल में रह रहे अधिकारियों और कर्मचारियों की बिल्डिंग मुंह चिढ़ा रही है. वह कहती है कि तुम्हारे विकास सारे पैमाने झूठे हैं. अगर वह सच होते तो फिर इस बिल्डिंग की यह तस्वीर जरूर बदलती. लेकिन बदलते हैं तो केवल कैलेंडर में साल के पन्ने और आश्वासन देने वाले अधिकारियों के चेहरे नहीं बदलती है तो इस बिल्डिंग की तकदीर. जी हां आज इस अस्पताल के सरकारी भवनों की स्थिति काफी बेकार है. लोगों का यहां डर कर रहना पड़ रहा है.

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लोहिया अस्पताल के भवनों की स्थिति

लोहिया अस्पताल के कर्मचारी कौशल मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि ज्यादातर बिल्डिंग जर्जर की स्थिति में है. कभी भी गिर सकती है. अधिकारी कभी हम लोगों से मिलने नहीं आए हैं. न ही यह जर्जर भवन देखने आए हैं. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक का जब दौरा हुआ था तो लोहिया अस्पताल का भी दौरा किया और वह लौट गए थे. हम लोगों के भवन नहीं देखे. कहा कि यहां रहने में बहुत डर लगता है. कई बार अधिकारियों को लिखित भी दिया जा चुका है. पर किसी ने सुध नहीं ली है. कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ अधिकारी होंगे.

लोहिया अस्पताल के कर्मचारी नरेंद्र सिंह ने कहा कि भवनों के कमरे की छत पर लगा सीमेंट टूट टूट कर नीचे गिरता है. तब ऐसा लगता है मानो जिंदगी का लम्हा गिर रहा हो. इन भवनों की हालत यह है कि जब बारिश होती है तो बाहर बरसता का पानी थम जाता है. लेकिन भवनों के अंदर बारिश का मौसम बना रहता है. कहा कि किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है. बस डर लगता है कि कब कौनसा हादसा हो जाए.

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जर्जर हालत में सरकारी भवनों की स्थिति

सीएमएस राजकुमार गुप्ता ने कहा कि भावनाओं को बने हुए करीब 25 साल से ज्यादा का समय हो चुका हैं. इनकी रिपेयरिंग के AE और जेई को अवगत करा दिया गया है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां 158 सरकारी आवास है. कुछ लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे थे. उनको खाली कराया गया है. जो ब्लॉक हमारे जर्जर अवस्था में है. उनके कर्मचारियों को शिफ्ट करने के लिए योजना बनाई जा रही है. उनसे कहा गया है कि आप इन आवासों को खाली करा दीजिए. संबंधित विभाग ने काम शुरू कर दिया है. बजट की स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया है. जैसे ही बजट स्वीकृत होता है वैसे ही इन भवनों का निर्माण कराया जाएगा.

मौत के साए में जीने को मजबूर लोहिया अस्पताल के कर्मचारी

फर्रुखाबाद: जिले के लोहिया अस्पताल में रह रहे अधिकारियों और कर्मचारियों की बिल्डिंग मुंह चिढ़ा रही है. वह कहती है कि तुम्हारे विकास सारे पैमाने झूठे हैं. अगर वह सच होते तो फिर इस बिल्डिंग की यह तस्वीर जरूर बदलती. लेकिन बदलते हैं तो केवल कैलेंडर में साल के पन्ने और आश्वासन देने वाले अधिकारियों के चेहरे नहीं बदलती है तो इस बिल्डिंग की तकदीर. जी हां आज इस अस्पताल के सरकारी भवनों की स्थिति काफी बेकार है. लोगों का यहां डर कर रहना पड़ रहा है.

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लोहिया अस्पताल के भवनों की स्थिति

लोहिया अस्पताल के कर्मचारी कौशल मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि ज्यादातर बिल्डिंग जर्जर की स्थिति में है. कभी भी गिर सकती है. अधिकारी कभी हम लोगों से मिलने नहीं आए हैं. न ही यह जर्जर भवन देखने आए हैं. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक का जब दौरा हुआ था तो लोहिया अस्पताल का भी दौरा किया और वह लौट गए थे. हम लोगों के भवन नहीं देखे. कहा कि यहां रहने में बहुत डर लगता है. कई बार अधिकारियों को लिखित भी दिया जा चुका है. पर किसी ने सुध नहीं ली है. कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ अधिकारी होंगे.

लोहिया अस्पताल के कर्मचारी नरेंद्र सिंह ने कहा कि भवनों के कमरे की छत पर लगा सीमेंट टूट टूट कर नीचे गिरता है. तब ऐसा लगता है मानो जिंदगी का लम्हा गिर रहा हो. इन भवनों की हालत यह है कि जब बारिश होती है तो बाहर बरसता का पानी थम जाता है. लेकिन भवनों के अंदर बारिश का मौसम बना रहता है. कहा कि किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है. बस डर लगता है कि कब कौनसा हादसा हो जाए.

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जर्जर हालत में सरकारी भवनों की स्थिति

सीएमएस राजकुमार गुप्ता ने कहा कि भावनाओं को बने हुए करीब 25 साल से ज्यादा का समय हो चुका हैं. इनकी रिपेयरिंग के AE और जेई को अवगत करा दिया गया है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां 158 सरकारी आवास है. कुछ लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे थे. उनको खाली कराया गया है. जो ब्लॉक हमारे जर्जर अवस्था में है. उनके कर्मचारियों को शिफ्ट करने के लिए योजना बनाई जा रही है. उनसे कहा गया है कि आप इन आवासों को खाली करा दीजिए. संबंधित विभाग ने काम शुरू कर दिया है. बजट की स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया है. जैसे ही बजट स्वीकृत होता है वैसे ही इन भवनों का निर्माण कराया जाएगा.

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