मेरठ : यूपी का पहला डॉल्फिन रिसर्च सेंटर पश्चिमी यूपी में बनाने की तैयारी है. डॉल्फिन को बढ़ावा देने और इन्हें संरक्षित करने के उद्देश्य से इस सेंटर की स्थापना की जाएगी. हस्तिनापुर और मुजफ्फरनगर में हस्तिनापुर सेंचुरी में जमीन चिह्नित कर ली गई है. इन दो जगहों में से किसी एक स्थान पर इस सेंटर का निर्माण कराया जाना है. यहां गंगा नदी में आने वाली डॉल्फिन हमेशा से ही सैलानियों का ध्यान खींचती रहीं हैं. इस लिहाज से भी यह सेंटर काफी अहम होगा. प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्ताव को स्वीकृति मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा.
मेरठ के हस्तिनापुर की अलग पहचान है. गंगा नदी में कछुओं और घड़ियालों के साथ डॉल्फिन को भी आसानी से अठखेलियां करते देखा जा सकता है. अब इनके संरक्षण के साथ ही इनका कुनबा बढ़ाने की भी तैयारी है. वन विभाग की तरफ से यूपी सरकार को डॉल्फिन रिसर्च सेंटर बनाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है. डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि मेरठ के हस्तिनापुर और मुजफ्फरनगर में जमीन चयनित कर ली गई है. स्वीकृति मिलते ही इनमें से किसी एक जगह पर काम शुरू करा दिया जाएगा.
अपर गंगा नदी का क्षेत्र में 52 डॉल्फिन : ईटीवी भारत से बातचीत में डीएफओ ने बताया कि बिजनौर बैराज से लेकर बुलंदशहर के नरोरा बैराज तक अपर गंगा नदी का क्षेत्र है. इस क्षेत्र में साल 2020 की गणना में लगभग 40 डॉल्फिन थीं. 2023 में 50 थीं. जबकि इस बार की गणना में 52 डॉल्फिन पाई गईं हैं. इनमें 5 से 6 उनके छोटे बच्चे भी हैं. इस क्षेत्र का 80 फीसदी एरिया हस्तिनापुर सेंचुरी में पड़ता है. आगे हापुड़ के गढ़ गंगा से लेकर बुलंदशहर जिले के नरौरा तक वन विभाग डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर काम कर रहा है.
मेरठ में डॉल्फिन के 5 हॉट स्पॉट : डीएफओ ने बताया कि कुछ रिव्यूज भी गणना के दौरान लिए गए थे. अगर डॉल्फिन के हॉटस्पॉट की बात करें तो तकरीबन हर जिले में कुछ ऐसे स्थान चयनित किए गए हैं, जहां डॉल्फिन को देखा जा सकता है. मेरठ जिले में ऐसे 5 हॉटस्पॉट हैं. डॉल्फिन मित्र बनाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. गंगा नदी के तटीय गांव के लोगों को जोड़ा जाएगा. इसके लिए एक फंड भी निर्धारित किया गया है.
डॉल्फिन मित्र भी बनाए जाएंगे : डीएफओ ने बताया कि जिस प्रकार टाइगर रिजर्व में बाघ मित्र होते हैं. ठीक वैसे ही डॉल्फिन मित्र भी बनाए जाएंगे. डॉल्फिन हमें नदी की हेल्थ के बारे में भी बताती है. वहीं दूसरी ओर इससे पहले हस्तिनापुर में देश का पहला डाल्फिन ब्रीडिंग सेंटर बनाने की तैयारी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था. बिहार के भागलपुर में डाल्फिन का रेस्क्यू एवं संरक्षण केंद्र है, लेकिन प्रजनन केंद्र अभी भी नहीं है.
भारत सरकार ने साल 2009 में गंगेटिक डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था. इनकी विशेषता यह है कि यह साफ-सुथरे पानी में रहने वाला स्तनपायी जीव है. समंदर में मिलने वाली डॉल्फिन से गंगा में मिलने वाली डॉल्फिन अलग होती हैं. गंगेटिक रीवर डॉल्फिन को सामाजिक प्राणी कहा जाता है, यह कभी-कभी नाव या पानी में तैरने वाले मनुष्यों के नजदीक आकर उनके साथ तैरने भी लग जाती हैं. इन्हें इंसान प्रिय हैं. ये क्षति नहीं पहुंचातीं.
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