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उपभोक्ता परिषद का खुलासा; पूर्वांचल और दक्षिणांचल कंपनियों ने कम किया घाटा, फिर भी निजीकरण की रखी जा रही नींव - POWER CORPORATION

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की बिजली कंपनियों की वार्षिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट के हवाले से उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने किया खुलासा

उपभोक्ता दिवस पर उपभोक्ता परिषद ने किया खुलासा.
उपभोक्ता दिवस पर उपभोक्ता परिषद ने किया खुलासा. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 24, 2024, 10:53 PM IST

लखनऊः राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर मंगलवार को उपभोक्ता परिषद ने बड़ा खुलासा किया. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने मार्च में देश की सभी बिजली कंपनियों की 12 वीं वार्षिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट जारी की थी. उसमें कई वित्तीय पैरामीटर डिस्क्लोज किए थे. बताया था कि बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति के चलते कर्ज लेना पड़ रहा है. लेकिन अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच देश की जो पांच बिजली कंपनियां चिन्हित की गईं, उन्होंने अपने कर्ज को 1000 करोड़ रुपये से अधिक कम किया. इसमें दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम सहित केरला स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी शामिल हैं. ये निगम जब लगातार कर्ज कम कर रहे हैं तो इसका मतलब आने वाले समय में व्यापक सुधार होना है, फिर ऐसे में इन दोनों बिजली कंपनियों का निजीकरण क्यों?

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों में सुधार की भारी गुंजाइश है. निजीकरण करने की कोई जरूरत नहीं है, सिर्फ पारदर्शी नीति बनाकर सुधार की योजना को आगे बढाने की आवश्यकता है. एक और सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला है कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां कि बिजली कंपनियों ने अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक सबसे अधिक इक्विटी 6500 करोड़ रुपए प्राप्त किया. जो एक बहुत अच्छी वित्तीय पैरामीटर की शुरुआत है, लेकिन पीपीपी मॉडल में एनर्जी टास्क फोर्स में जो मसौदा अनुमोदित किया. इसमें नेगेटिव इक्विटी वैल्यूएशन है. जो अपने आप में गंभीर मामला है और जांच का विषय भी है. किसी भी कंपनी की इक्विटी एक तरह से उसकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी यानी अंश पूंजी होती है. अगर उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की वित्तीय स्थिति में सुधार परिलक्षित हो रहा है. यह पूरी तरह स्पष्ट है कि बिजली कंपनियों को वित्तीय संकट से बहुत आसानी से निकाला जा सकता है. इसी वित्तीय वर्ष में जो एटीण्डसी लॉस में कमी आई है उसमें जो देश की प्रमुख बिजली कंपनियां हैं, जिनमें पांच प्रतिशत तक इंप्रूवमेंट हुआ है, उसमें दक्षिणांचल, मध्यांचल व पूर्वांचल भी शामिल हैं.

नए साल पर काली पट्टी बांधकर काम करेंगे बिजली कर्मी
वहीं, उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की कोर कमेटी ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल के पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण किए जाने का विरोध किया है. उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों में आरक्षण समाप्त किए जाने की साजिश के खिलाफ पूरे प्रदेश के दलित व पिछड़ा वर्ग के अभियंता एक जनवरी यानी साल के पहले दिन ही काली पट्टी बांधकर अपने नियमित कार्य को करेंगे. इस दौरान प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की उपभोक्ता सेवा में कोई भी गिरावट नहीं आने दी जाएगी. उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, एके प्रभाकर, अजय कुमार, विनय कुमार, ट्रांसमिशन अध्यक्ष सुशील कुमार वर्मा और बनवारी लाल ने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने संगठन के साथ वार्ता में यह आश्वासन दिया था कि जो भी मसौदा तैयार होकर एनर्जी टास्क फोर्स व नियामक आयोग को जाएगा. सबसे पहले आप सभी संगठनों की उस पर राय ली जाएगी. आप सभी की राय से ही मसौदे को आगे बढाया जाएगा, लेकिन जिस प्रकार से मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया और किसी की भी राय नहीं ली गई, इससे ऐसा सिद्ध होता है कि पावर कारपोरेशन ने पहले से ही तय कर लिया था कि उसे क्या करना है. इसमें आपसी सहमति की बात कहां से आती है? बिजली विभाग के कार्मिकों का बिजली विभाग पर पहला हक है. बिना उनकी राय के इस प्रकार की निजीकरण की कार्रवाई पूरी तरह ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति पैदा कर रहा है. अभी भी समय है पावर कॉपोरेशन प्रबंधन को इस पर पुनर्विचार करते हुए फैसले को वापस लेना चाहिए.

लखनऊः राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर मंगलवार को उपभोक्ता परिषद ने बड़ा खुलासा किया. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने मार्च में देश की सभी बिजली कंपनियों की 12 वीं वार्षिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट जारी की थी. उसमें कई वित्तीय पैरामीटर डिस्क्लोज किए थे. बताया था कि बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति के चलते कर्ज लेना पड़ रहा है. लेकिन अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच देश की जो पांच बिजली कंपनियां चिन्हित की गईं, उन्होंने अपने कर्ज को 1000 करोड़ रुपये से अधिक कम किया. इसमें दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम सहित केरला स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी शामिल हैं. ये निगम जब लगातार कर्ज कम कर रहे हैं तो इसका मतलब आने वाले समय में व्यापक सुधार होना है, फिर ऐसे में इन दोनों बिजली कंपनियों का निजीकरण क्यों?

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों में सुधार की भारी गुंजाइश है. निजीकरण करने की कोई जरूरत नहीं है, सिर्फ पारदर्शी नीति बनाकर सुधार की योजना को आगे बढाने की आवश्यकता है. एक और सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला है कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां कि बिजली कंपनियों ने अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक सबसे अधिक इक्विटी 6500 करोड़ रुपए प्राप्त किया. जो एक बहुत अच्छी वित्तीय पैरामीटर की शुरुआत है, लेकिन पीपीपी मॉडल में एनर्जी टास्क फोर्स में जो मसौदा अनुमोदित किया. इसमें नेगेटिव इक्विटी वैल्यूएशन है. जो अपने आप में गंभीर मामला है और जांच का विषय भी है. किसी भी कंपनी की इक्विटी एक तरह से उसकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी यानी अंश पूंजी होती है. अगर उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की वित्तीय स्थिति में सुधार परिलक्षित हो रहा है. यह पूरी तरह स्पष्ट है कि बिजली कंपनियों को वित्तीय संकट से बहुत आसानी से निकाला जा सकता है. इसी वित्तीय वर्ष में जो एटीण्डसी लॉस में कमी आई है उसमें जो देश की प्रमुख बिजली कंपनियां हैं, जिनमें पांच प्रतिशत तक इंप्रूवमेंट हुआ है, उसमें दक्षिणांचल, मध्यांचल व पूर्वांचल भी शामिल हैं.

नए साल पर काली पट्टी बांधकर काम करेंगे बिजली कर्मी
वहीं, उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की कोर कमेटी ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल के पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण किए जाने का विरोध किया है. उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों में आरक्षण समाप्त किए जाने की साजिश के खिलाफ पूरे प्रदेश के दलित व पिछड़ा वर्ग के अभियंता एक जनवरी यानी साल के पहले दिन ही काली पट्टी बांधकर अपने नियमित कार्य को करेंगे. इस दौरान प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की उपभोक्ता सेवा में कोई भी गिरावट नहीं आने दी जाएगी. उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, एके प्रभाकर, अजय कुमार, विनय कुमार, ट्रांसमिशन अध्यक्ष सुशील कुमार वर्मा और बनवारी लाल ने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने संगठन के साथ वार्ता में यह आश्वासन दिया था कि जो भी मसौदा तैयार होकर एनर्जी टास्क फोर्स व नियामक आयोग को जाएगा. सबसे पहले आप सभी संगठनों की उस पर राय ली जाएगी. आप सभी की राय से ही मसौदे को आगे बढाया जाएगा, लेकिन जिस प्रकार से मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया और किसी की भी राय नहीं ली गई, इससे ऐसा सिद्ध होता है कि पावर कारपोरेशन ने पहले से ही तय कर लिया था कि उसे क्या करना है. इसमें आपसी सहमति की बात कहां से आती है? बिजली विभाग के कार्मिकों का बिजली विभाग पर पहला हक है. बिना उनकी राय के इस प्रकार की निजीकरण की कार्रवाई पूरी तरह ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति पैदा कर रहा है. अभी भी समय है पावर कॉपोरेशन प्रबंधन को इस पर पुनर्विचार करते हुए फैसले को वापस लेना चाहिए.

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