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फर्रुखाबाद : सरकारी नौकरियों में बदलाव के नियम का अभ्यर्थियों ने किया विरोध - cm yogi

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सरकारी नौकरियों में नई भर्ती को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी में है. इसके तहत समूह ख व ग की भर्तियों में चयन के बाद 5 वर्ष तक संविदा कर्मचारी के तौर पर काम करना होगा. इसका राजनैतिक दलों के नेताओं के साथ ही बेरोजगार युवक-युवतियों ने भी विरोध करना शुरू कर दिया है.

सरकारी नौकरियों में बदलाव के नियम को लेकर विरोध प्रदर्शन.
सरकारी नौकरियों में बदलाव के नियम को लेकर विरोध प्रदर्शन.
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Published : Sep 15, 2020, 12:21 PM IST

फर्रुखाबाद: जिले के फतेहगढ़ स्थित कलेक्ट्रेट परिसर में सोमवार को बेरोजगार युवक-युवतियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. युवाओं का कहना था कि प्रदेश सरकार समूह ख व ग की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव कर रही है. जो युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है.

बेरोजगार युवक-युवतियों का कहना था कि परीक्षा से आए समूह ख व ग के कर्मचारियों को पहले 5 साल तक संविदा पर रखा जाएगा. इसके बाद 5 वर्षीय कठिन संविदा प्रक्रिया में छटनी से वे जब बच पाएंगे तभी पक्की नौकरी मिल पाएगी. युवकों का कहना था कि 5 वर्षीय संविदा अवधि भ्रष्टाचार और उगाही को प्रेरित करेगी. दूसरी ओर संविदा कर्मी को स्वतंत्र रूप से कार्य करने में भी बाधा उत्पन्न करेगी. साथ ही युवकों ने कहा कि भर्ती परीक्षा का उद्देश ही योग्य अभ्यार्थियों का चयन है. इस तरह के किसी भी नियमावली के प्रस्ताव को कैबिनेट के द्वारा मंजूरी न दी जाए. वहीं प्रदेश में पिछले 4 वर्षों से भी अधिक समय से अनेक भर्तियों के परिणाम लंबित हैं.

नए नियमों की यह है तैयारी

उत्तर प्रदेश में अब नई नौकरी पाने वालों की 5 साल तक संविदा पर तैनाती होगी. इन 5 वर्ष के दौरान भी हर वर्ष छह-छह माह में कर्मचारी का मूल्यांकन किया जाएगा. वर्ष में 60 फीसदी से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर हो जाएंगे. लिहाजा 5 वर्ष बाद उन्हीं कर्मचारी को नियमित सेवा में रखा जाएगा, जिन्हें 60 प्रतिशत अंक मिलेंगे. इस दौरान कर्मचारियों को नियमित सेवकों की तरह मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ भी नहीं मिलेंगे.

फर्रुखाबाद: जिले के फतेहगढ़ स्थित कलेक्ट्रेट परिसर में सोमवार को बेरोजगार युवक-युवतियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. युवाओं का कहना था कि प्रदेश सरकार समूह ख व ग की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव कर रही है. जो युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है.

बेरोजगार युवक-युवतियों का कहना था कि परीक्षा से आए समूह ख व ग के कर्मचारियों को पहले 5 साल तक संविदा पर रखा जाएगा. इसके बाद 5 वर्षीय कठिन संविदा प्रक्रिया में छटनी से वे जब बच पाएंगे तभी पक्की नौकरी मिल पाएगी. युवकों का कहना था कि 5 वर्षीय संविदा अवधि भ्रष्टाचार और उगाही को प्रेरित करेगी. दूसरी ओर संविदा कर्मी को स्वतंत्र रूप से कार्य करने में भी बाधा उत्पन्न करेगी. साथ ही युवकों ने कहा कि भर्ती परीक्षा का उद्देश ही योग्य अभ्यार्थियों का चयन है. इस तरह के किसी भी नियमावली के प्रस्ताव को कैबिनेट के द्वारा मंजूरी न दी जाए. वहीं प्रदेश में पिछले 4 वर्षों से भी अधिक समय से अनेक भर्तियों के परिणाम लंबित हैं.

नए नियमों की यह है तैयारी

उत्तर प्रदेश में अब नई नौकरी पाने वालों की 5 साल तक संविदा पर तैनाती होगी. इन 5 वर्ष के दौरान भी हर वर्ष छह-छह माह में कर्मचारी का मूल्यांकन किया जाएगा. वर्ष में 60 फीसदी से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर हो जाएंगे. लिहाजा 5 वर्ष बाद उन्हीं कर्मचारी को नियमित सेवा में रखा जाएगा, जिन्हें 60 प्रतिशत अंक मिलेंगे. इस दौरान कर्मचारियों को नियमित सेवकों की तरह मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ भी नहीं मिलेंगे.

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