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IPS नवनीत सिकेरा ने अपनी जिंदगी से जुड़ी कहानी को किया साझा, पढ़ें वजह

यूपी के एटा जिले के छोटे से गांव के रहने वाले आईपीएस नवनीत सिकेरा ने अपने जीवन से संबंधित घटना को अपने फेसबुक वॉल पर साझा किया है. पढ़िए पूरी कहानी...

नवनीत सिकेरा ने अपने जीवन से जुड़ी कहानी को फेसबुक वॉल किया शेयर.
IPS नवनीत सिकेरा पोस्ट.
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Published : Aug 23, 2020, 7:46 PM IST

एटा : मध्य प्रदेश के धार जिले के एक गांव का 38 वर्षीय गरीब व्यक्ति अपने बेटे को दसवीं कक्षा की बोर्ड का एग्जाम दिलाने के लिए 105 किलोमीटर दूर साइकिल पर बैठाकर ले गया. आईपीएस नवनीत सिकेरा इस खबर को पढ़कर भावुक हो गए. इसके बाद उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी कहानी को फेसबुक वॉल पर साझा किया. उन्होंने बताया कि "कुछ दशक पहले मेरे पिता भी मुझे मांगी हुई साइकिल पर बिठाकर आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम दिलाने के लिए ले गए थे. वहां पर बहुत से स्टूडेंट्स कार से भी आए थे".

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IPS नवनीत सिकेरा.
उन्होंने लिखा, "परीक्षा से पहले उनके अभिभावक उनकी तैयारी भी करा रहे थे. मैं ललचायी आंखों से उनकी नई-नई किताबों की ओर देख रहा था. मैं सोचने लगा कि इन लड़कों के सामने मैं कहां टिक पाऊंगा. इसको लेकर एक निराशा सी मेरे मन में आने लगी. मेरे पिता ने इस बात को नोटिस कर लिया और वहां से थोड़ी दूर अलग ले गए. पिता जी ने शानदार उत्साह बढ़ाने वाली बातें की.
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IPS नवनीत सिकेरा पोस्ट.

नवनीत सिकेरा ने लिखा है कि "पिताजी ने कहा कि इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर करती है, ना की उस पर लटके झाड़ फानूस पर. मेरे पिताजी ने मेरे मनोबल को पूरी जोश से भर दिया. उसके बाद मैं फिर एग्जाम दिया. परिणाम भी आया, आगरा के उस सेंटर से मात्र दो ही लड़के पास हुए थे, जिनमें एक मेरा भी नाम था. ईश्वर से प्रार्थना है कि इन पिता-पुत्र को भी इनकी मेहनत का मीठा फल दें".

एटा : मध्य प्रदेश के धार जिले के एक गांव का 38 वर्षीय गरीब व्यक्ति अपने बेटे को दसवीं कक्षा की बोर्ड का एग्जाम दिलाने के लिए 105 किलोमीटर दूर साइकिल पर बैठाकर ले गया. आईपीएस नवनीत सिकेरा इस खबर को पढ़कर भावुक हो गए. इसके बाद उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी कहानी को फेसबुक वॉल पर साझा किया. उन्होंने बताया कि "कुछ दशक पहले मेरे पिता भी मुझे मांगी हुई साइकिल पर बिठाकर आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम दिलाने के लिए ले गए थे. वहां पर बहुत से स्टूडेंट्स कार से भी आए थे".

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उन्होंने लिखा, "परीक्षा से पहले उनके अभिभावक उनकी तैयारी भी करा रहे थे. मैं ललचायी आंखों से उनकी नई-नई किताबों की ओर देख रहा था. मैं सोचने लगा कि इन लड़कों के सामने मैं कहां टिक पाऊंगा. इसको लेकर एक निराशा सी मेरे मन में आने लगी. मेरे पिता ने इस बात को नोटिस कर लिया और वहां से थोड़ी दूर अलग ले गए. पिता जी ने शानदार उत्साह बढ़ाने वाली बातें की.
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नवनीत सिकेरा ने लिखा है कि "पिताजी ने कहा कि इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर करती है, ना की उस पर लटके झाड़ फानूस पर. मेरे पिताजी ने मेरे मनोबल को पूरी जोश से भर दिया. उसके बाद मैं फिर एग्जाम दिया. परिणाम भी आया, आगरा के उस सेंटर से मात्र दो ही लड़के पास हुए थे, जिनमें एक मेरा भी नाम था. ईश्वर से प्रार्थना है कि इन पिता-पुत्र को भी इनकी मेहनत का मीठा फल दें".

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