एटा: जिले में लगातार जहरखुरानी के मामले सामने आ रहे हैं. इससे निपटने के लिए पुलिस की तरफ से जो प्रयास किए जाते हैं, वह नाकाफी साबित हो रहे हैं. जहरखुरानी के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिले के लेखक कृष्ण प्रभाकर उपाध्याय ने हाईकोर्ट में साल 2012 में एक जनहित याचिका डाली थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने करीब 7 साल पहले पुलिस महानिदेशक को निर्देश जारी कर कहा था कि एक सेल बनाया जाये.
कृष्ण प्रभाकर उपाध्याय का आरोप है कि अभी तक कोई सेल नहीं बनाया गया. बता दें, एटा दिल्ली-कानपुर जीटी रोड पर स्थित है और यहां आए दिन जहरखुरानी के मामले सामने आते हैं. बीते 1 महीना 6 दिन में कई मामले सामने आ चुके हैं. जनवरी 2020 की बात करें तो 25 और 6 फरवरी तक 9 मामले सामने आए हैं, जबकि 2019 में पुलिस ने सिर्फ 3 मुकदमे जहरखुरानी के दर्ज किए थे, जिनकी अभी जांच चल रही है.
जहरखुरानी के मामलों में हो रही है कार्रवाई
जहरखुरानी के बढ़ते मामलों पर जिले के एडिशनल एसपी क्राइम राहुल कुमार की मानें तो 2019 में महज 3 मामले जहरखुरानी के जलेसर थाने में दर्ज हुए. इन मामलों में क्राइम ब्रांच और स्थानीय पुलिस ने आपस में समन्वय स्थापित कर पीड़ितों को त्वरित सुविधा पहुंचाई. उन्होंने बताया कि इन तीन मामलों में गुणवत्तापूर्ण विवेचना की जा रही है, जिससे दोषियों को कड़ी सजा मिले.
अक्सर जहरखुरानी के जो मामले आते हैं, वह दूरदराज के होते हैं. जब पीड़ित शहर में पहुंचता है तब जहरखुरानी के मामले की जानकारी हो पाती है, जिसके चलते ज्यादातर मामले नगर कोतवाली में ही आते हैं. हालांकि जब इसकी जांच की जाती है तो पता चलता है कि इस अपराध की शुरुआत सुदूर क्षेत्र में हुई थी. ऐसे में लोगों की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह मामला दर्ज कराएं अथवा नहीं. पीड़ित चाहता है तो संबंधित थाने पर पुलिस मुकदमा दर्ज करवा देती है.
राहुल कुमार, एडिशनल एसपी