देवरियाः जिला कारागार में बंद एक बदमाश ने महराजगंज के ठेकेदार से फोन कर रंगदारी मांगी है. बदमाश पर केस दर्ज कराकर जेल प्रशासन अपने बचाव में जुट गया है. आईजी जेल को रिपोर्ट भेज दी गई है. रिपोर्ट में बंदी का बयान, बरामद मोबाइल की जानकारी, मुकदमे की कांपी और बैरक में तैनात बंदी रक्षकों और वार्डर के बारे में पूरी जानकारी दी गई है. अधिकारियों की जांच में बंदी रक्षकों और वार्डर की गलती सामने आई है.
बंदी से 4G मोबाइल हुआ बरामद
कुशीनगर जिले के विशुनपुर थाना क्षेत्र के शाहपुर उचकी गांव का रहने वाला गोविंद उर्फ संदीप देवरिया जिला कारागार के बैरक नंबर-10 में बंद है. 16 मार्च को जेल से महराजगंज के ठेकेदार शिवभूषण उर्फ चचंल चौबे को फोन कर जमानत नहीं कराने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी थी. इसकी जानकारी होने पर आईजी जेल आनन्द कुमार ने जेल के अधिकारियों से मामले की रिपोर्ट तलब की थी. इस संबंध में जेल अधीक्षक ने बंदी से पूछताछ की. बंदी के पास 4G मोबाइल बरामद हुआ है. जांच पूरी होने के बाद जेल अधीक्षक ने आईजी जेल को रिपोर्ट भेज दी.
बंदी रक्षकों पर गिर सकती है गाज
पूछताछ में धमकी देने वाले बदमाश ने बताया कि एक जेलकर्मी ने मोबाइल पर बात करने से पहले मना किया था. उसने मोबाइल को जब्त करने की बात कही लेकिन जब उसे पांच सौ रुपये दिये तो उसने बात करने की अनुमति दे दी. ऐसे में माना जा रहा है कि जांच आगे बढ़ी तो मामले में कुछ बंदी रक्षकों पर गाज गिर सकती है.
किसके इशारे पर जेलर ने बदली थी बैरक
आरोपी बदमाश गोविंद पहले बैरक नबर-7 में था लेकिन कुछ दिनों पूर्व ही जेलर ने उसे बैरक नंबर-10 में उसे शिफ्ट कर दिया. बैरक नंबर-10 में कुशीनगर के कुछ अन्य अपराधी भी बंद हैं. इस गिरोह के पास पहुंचने के बाद गोविंद का रंग बदल गया और मोबाइल पर भी बात करने लगा.
3G मोबाइल के लिए लगा है जैमर
बता दें कि जिला कारागार में सिर्फ 3G मोबाइल को जैमर प्रभावित करता है. सिर्फ जिला कारागार में तैनात अधिकारियों के पास ही 3G का सिम कार्ड है, जबकि जेल में बंदी 4G मोबाइल का उयोग करते हैं. सवाल यह है कि आखिर बदमाशों के बैरक में कैसे मोबाइल पहुंचता है. इसको लेकर जेल प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है.
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देवरिया जिला कारागार में बंद माफिया अतीक के जाने के बाद भी जेल में बदमाशों की धमक वैसे ही कायम है. अतीक ने तो देवरिया जेल को घर जैसा बना रखा था, बिना रोक टोक के लोग उससे जेल में जाकर मिलते थे. वहीं फोन पर बात करना तो सामान्य बात थी. उस समय भी ऐसे कई मामले आए, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति तक सिमट गया. जेल अधीक्षक केपी त्रिपाठी ने बताया कि जेल अधिकारियों ने मामले में रिपोर्ट मांगी थी. जांच पर रिपोर्ट जेल के आलाधिकारियों को उपलब्ध करा दी गई है. मामले में मोबाइल बरामद होने पर मुकदमा दर्ज कराया गया है.