बुलंदशहर: राष्ट्रीय लोक दल के पूर्व विधायक दिलनवाज खान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने बुधवार को कृषि कानून के खिलाफ जिलाधिकारी कार्यालय पर ज्ञापन दिया. इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने बताया कि जब देश का किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू किए कृषि कानून का विरोध शुरू से ही कर रहा है तो सरकार को किसानों से बात करके उन्हें कानून के विषय में समझाना चाहिए था. आज जब देश का किसान कृषि कानून का विरोध करने के लिए दिल्ली जा रहा है तो सरकार को इस शांतिपूर्ण विरोध को लाठी के बल पर नहीं रोकना चाहिए.
कृषि कानून को निरस्त करे सरकार
रालोद कार्यकर्ताओं ने कहा कि कोरोना काल में जब लोग लॉकडाउन के समय अपने घरों से निकलने में भी डर रहे थे, उस समय किसान देश का पेट भरने के लिए दिन-रात खेतों में कड़ी मेहनत कर रहा था. लोकदल की मांग है कि सरकार कृषि कानून को निरस्त करे.
अर्थव्यवस्था में किसानों का रहा योगदान
रालोद कार्यकर्ताओं का कहना है कि किसानों ने देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. केंद्र सरकार द्वारा कृषि संबंधी ऐसे कानून पारित किए गए हैं, जिनके लागू होने से आज देश का किसान आंदोलन को विवश है.
पूंजीपतियों को मिलेगा लाभ
कार्यकर्ताओं ने कहा कि किसान विरोधी कानूनों के फलस्वरुप मंडी समिति और एमएसपी समाप्त हो जाएगी. पूंजीपतियों को इसका लाभ मिलेगा. किसानों और पूंजीपतियों के बीच संभावित विवादों का निस्तारण सिविल कोर्ट में न होने से किसानों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा. इकरारनामा के माध्यम से किसानों का शोषण होगा और तैयार फसलों की कीमत गुणवत्ता के बहाने कम मिल पाएगी. रालोद इस कानून को निरस्त करने की मांग करता है.