बुलंदशहर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 'आयुष्मान भारत योजना' की शुरुआत पिछले साल सितंबर माह में की थी. मकसद था असहाय और जरूरतमंद निर्धन वर्ग को बेहतर इलाज मिल सके. इसके लिए बुलंदशहर में भी कुछ हॉस्पिटल हैं, जिनको आयुष्मान भारत योजना के तहत जोड़ा गया था, लेकिन इन अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को इलाज न देने की शिकायतें सामने आ रही हैं. दरअसल एक महिला शहर के जेइल हॉस्पिटल में इलाज कराने गई थी, जिसको योजना के तहत इलाज नहीं दिया गया. पीड़ित महिला का आरोप है कि आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद उससे निजी हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर पैसे मांगे गए और जब पैसे नहीं दिए तो अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया.
आयुष्मान भारत योजना में अनियमितियता
- 23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की थी.
- योजना में लाभार्थियों को निशुल्क इलाज की सुविधा के साथ पांच लाख तक का फ्री इलाज निजी अस्पतालों में देने की व्यवस्था की गई थी.
- योजना के तहत बुलंदशहर में तीन लाख से ज्यादा पात्रों का चिन्हांकन हो चुका है, लेकिन इस योजना से जुड़े निजी हॉस्पिटल रूचि नहीं दिखा रहे.
- शहर के कचहरी रोड स्थित जेइल हॉस्पिटल में एक महिला अपने पति के साथ इलाज कराने आई थी, क्योंकि उसके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड था.
- पीड़िता का कहना है कि उसे पहले भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन बाद में इलाज के लिए पैसे मांगे गए.
- पैसे न देने पर अस्पताल प्रशासन ने इलाज करने से मना कर दिया. इसके बाद वह जिला अस्पताल में इलाज कराने को मजबूर है.
- बीमार महिला का कहना है कि वो बार-बार अपनी मजबूरी गिनाती रही और बेबसी का हवाला देती रही, लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन का दिल नहीं पसीजा.
इसमें किसी कार्रवाई के लिए सीधे तौर पर सक्षम नहीं हैं, क्योंकि इसे सीधे तौर पर योजना से जुड़ी संस्था सांची देखती है और ऐसी शिकायतों पर वो ही पहले जांच करते हैं. इस तरह की शिकायतें आती रहती हैं, जिनमें कभी मरीज तो कभी हॉस्पिटल की गलती होती है.
-के.एन.तिवारी, सीएमओ