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'आयुष्मान भारत योजना' से जुड़े अस्पतालों पर उठ रहीं उंगलियां, देखें हकीकत

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 'आयुष्मान भारत योजना' से जुड़े अस्पतालों में अनियमितियता देखने को मिली है. शहर के जेइल हॉस्पिटल में इलाज कराने गई महिला को 'आयुष्मान भारत योजना' के कार्ड पर इलाज नहीं किया गया.

आयुष्मान भारत योजना में अनियमितियता.
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Published : Oct 1, 2019, 5:21 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 'आयुष्मान भारत योजना' की शुरुआत पिछले साल सितंबर माह में की थी. मकसद था असहाय और जरूरतमंद निर्धन वर्ग को बेहतर इलाज मिल सके. इसके लिए बुलंदशहर में भी कुछ हॉस्पिटल हैं, जिनको आयुष्मान भारत योजना के तहत जोड़ा गया था, लेकिन इन अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को इलाज न देने की शिकायतें सामने आ रही हैं. दरअसल एक महिला शहर के जेइल हॉस्पिटल में इलाज कराने गई थी, जिसको योजना के तहत इलाज नहीं दिया गया. पीड़ित महिला का आरोप है कि आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद उससे निजी हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर पैसे मांगे गए और जब पैसे नहीं दिए तो अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया.

आयुष्मान भारत योजना में अनियमितियता.

आयुष्मान भारत योजना में अनियमितियता

  • 23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की थी.
  • योजना में लाभार्थियों को निशुल्क इलाज की सुविधा के साथ पांच लाख तक का फ्री इलाज निजी अस्पतालों में देने की व्यवस्था की गई थी.
  • योजना के तहत बुलंदशहर में तीन लाख से ज्यादा पात्रों का चिन्हांकन हो चुका है, लेकिन इस योजना से जुड़े निजी हॉस्पिटल रूचि नहीं दिखा रहे.
  • शहर के कचहरी रोड स्थित जेइल हॉस्पिटल में एक महिला अपने पति के साथ इलाज कराने आई थी, क्योंकि उसके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड था.
  • पीड़िता का कहना है कि उसे पहले भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन बाद में इलाज के लिए पैसे मांगे गए.
  • पैसे न देने पर अस्पताल प्रशासन ने इलाज करने से मना कर दिया. इसके बाद वह जिला अस्पताल में इलाज कराने को मजबूर है.
  • बीमार महिला का कहना है कि वो बार-बार अपनी मजबूरी गिनाती रही और बेबसी का हवाला देती रही, लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन का दिल नहीं पसीजा.


इसमें किसी कार्रवाई के लिए सीधे तौर पर सक्षम नहीं हैं, क्योंकि इसे सीधे तौर पर योजना से जुड़ी संस्था सांची देखती है और ऐसी शिकायतों पर वो ही पहले जांच करते हैं. इस तरह की शिकायतें आती रहती हैं, जिनमें कभी मरीज तो कभी हॉस्पिटल की गलती होती है.
-के.एन.तिवारी, सीएमओ

बुलंदशहर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 'आयुष्मान भारत योजना' की शुरुआत पिछले साल सितंबर माह में की थी. मकसद था असहाय और जरूरतमंद निर्धन वर्ग को बेहतर इलाज मिल सके. इसके लिए बुलंदशहर में भी कुछ हॉस्पिटल हैं, जिनको आयुष्मान भारत योजना के तहत जोड़ा गया था, लेकिन इन अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को इलाज न देने की शिकायतें सामने आ रही हैं. दरअसल एक महिला शहर के जेइल हॉस्पिटल में इलाज कराने गई थी, जिसको योजना के तहत इलाज नहीं दिया गया. पीड़ित महिला का आरोप है कि आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद उससे निजी हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर पैसे मांगे गए और जब पैसे नहीं दिए तो अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया.

आयुष्मान भारत योजना में अनियमितियता.

आयुष्मान भारत योजना में अनियमितियता

  • 23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की थी.
  • योजना में लाभार्थियों को निशुल्क इलाज की सुविधा के साथ पांच लाख तक का फ्री इलाज निजी अस्पतालों में देने की व्यवस्था की गई थी.
  • योजना के तहत बुलंदशहर में तीन लाख से ज्यादा पात्रों का चिन्हांकन हो चुका है, लेकिन इस योजना से जुड़े निजी हॉस्पिटल रूचि नहीं दिखा रहे.
  • शहर के कचहरी रोड स्थित जेइल हॉस्पिटल में एक महिला अपने पति के साथ इलाज कराने आई थी, क्योंकि उसके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड था.
  • पीड़िता का कहना है कि उसे पहले भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन बाद में इलाज के लिए पैसे मांगे गए.
  • पैसे न देने पर अस्पताल प्रशासन ने इलाज करने से मना कर दिया. इसके बाद वह जिला अस्पताल में इलाज कराने को मजबूर है.
  • बीमार महिला का कहना है कि वो बार-बार अपनी मजबूरी गिनाती रही और बेबसी का हवाला देती रही, लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन का दिल नहीं पसीजा.


इसमें किसी कार्रवाई के लिए सीधे तौर पर सक्षम नहीं हैं, क्योंकि इसे सीधे तौर पर योजना से जुड़ी संस्था सांची देखती है और ऐसी शिकायतों पर वो ही पहले जांच करते हैं. इस तरह की शिकायतें आती रहती हैं, जिनमें कभी मरीज तो कभी हॉस्पिटल की गलती होती है.
-के.एन.तिवारी, सीएमओ

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत पिछले साल सितंबर माह में की थी, मकसद था असहाय और जरूरतमंद निर्धन वर्ग को बेहतर इलाज मिल सके और इलाज के अभाव में किसी की जान ना जाए ,बुलंदशहर में भी ऐसे हॉस्पिटल हैं जो आयुष्मान भारत योजना के तहत जुड़े हुए हैं, लेकिन यहां कई बार ऐसी शिकायतें सामने आ रही है, जिससे योजना धराशाई होती दिख रही है ,एक महिला इन दिनों जेइल हॉस्पिटल में इलाज करा रही है ,जिसका आरोप है कि उससे निजी हॉस्पिटल में इलाज कर नाम पर आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद पैसे मांगे ,गए और जब पैसे नहीं दिए तो इलाज नहीं किया । देखिए यह खास एक्सक्लूसिव खबर ।


Body:23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना के तहत निर्धन और कमजोर वर्ग को निशुल्क इलाज की सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से 5 लाख तक के इलाज की फ्री व्यवस्था करते हुए योजना का शुभारंभ किया था ,योजना के तहत बुलंदशहर में तीन लाख से ज्यादा पात्रों का चिन्हांकन हो चुका है, लेकिन इसमें जहां पहले से ही काफी कम रूचि निजी हॉस्पिटल से जुड़ने के लिए भी दिखाई थी, तो वहीं जो इस में जुड़े हुए हैं उनके भी क्रियाकलाप आए दिन सामने आते रहते हैं ,यही वजह है कि जहां एक हॉस्पिटल काफी महीनों से आयुष्मान भारत योजना के पैनल से बाहर कुछ अनियमितताओं के आरोप के बाद किया गया था, तो वहीं उसके बाद दूसरे हॉस्पिटल की भी काफी चर्चाएं पिछले दिनों में सुर्खियों में थीं,क्योंकि वहां भी एक निजी चैनल के द्वारा किए गए स्टिंग के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे और आज जिस हॉस्पिटल की बात हम कर रहे हैं वह भी इन दोनों से अलग तीसरा हॉस्पिटल है । यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिले में फिलहाल सिर्फ पांच निजी हॉस्पिटल आयुष्मान भारत योजना के तहत पैनल से जुड़े हैं जिस हॉस्पिटल के बारे में हम बात कर रहे हैं यह शहर के कचहरी रोड पर है यहां एक महिला अपने पति के साथ इलाज कराने इस उम्मीद से आई क्योंकि उन्हें पीएम मोदी की योजना के तहत पात्रता की सूची में स्थान प्राप्त था ,और आयुष्मान योजना का कार्ड भी इनके पास था,पीड़िता का कहना है कि उसे पहले भर्ती तो कर लिया गया लेकिन बदले में महिला का आरोप है कि उससे इलाज के लिए पैसे मांगे गए ,यहां ये जानना जरूरी है कि इस योजना के तहत निशुल्क इलाज होता है ,बकौल पीड़िता जब उसने पैसे नहीं दिए तो फिर उससे खून की कमी बताकर खून के लिए पैसे मांगे गए महिला का पति एक होटल में बर्तन धोने का काम करता है और किसी तरह मेहनत मजदूरी करके अपना भरण-पोषण कर रहा है। महिला का कहना है कि वह बुखार से पीड़ित थी और कई दिनों से परेशान थी , लेकिन जब उसके पति किसी तरह से ग्लोबल हॉस्पिटल ले गए तो वहां उसे भर्ती तो किया गया लेकिन सिर्फ खानापूर्ति के लिए ,आलम यह हुआ कि जब उसकी हालत और ज्यादा बिगड़ने शुरू हो गई तो उसका पति बार-बार अपनी मनुहार डॉक्टरों और उस हॉस्पिटल के अन्य स्टाफ से भी लगाता रहा लेकिन किसी ने सुध नहीं ली ,जबकि बीमार महिला का कहना है कि वो बार-बार अपनी मजबूरी गिनाती रही और बेबसी का हवाला देती रही कि वह आयुष्मान भारत योजना के तहत पात्र है ,लेकिन इन सब बातों का हश्र ये हुआ,की मरीज से पैसे की चाहत रखने वाला लालची हॉस्पिटल का दिल नहीं पसीजा और अंत में पीड़िता को वहां से जिला अस्पताल का रुख करना पड़ा और रात के करीब 2:00 बजे महिला सरकारी हॉस्पिटल में किसी तरह पहुंची और जिला हॉस्पिटल के जिम्मेदारों ने उसकी हालत देखकर तत्काल भर्ती कर उसे ब्लड भी चढ़ाया गया।तो वहीं तमाम आरोपों पर सीएमओ का कहना है कि वो इसमें किसी कार्रवाई के लिए सीधे तौर पर सक्षम नहीं हैं,क्योंकि इसे सीधे तौर लर योजना से जुड़ी संस्था सांची देखती है,और ऐसी शिकायतों पर वो ही पहले जांच करते हैं,हालांकि सीएमओ ने ये स्वीकार जरूर किया कि इस तरह की शिकायत आती रहती हैं,जिनमे कभी मरीज तो कभी हॉस्पिटल की गलती होती है।फिलहाल पीड़िता का आरोप है कि उसे योजना के तहत पात्रता सूची में होने के बावजूद भी चिन्हित हॉस्पिटल इलाज नहीं हुआ यो उसने जिला हॉस्पिटल का रूख किया।
बाइट..... पूनम,पीड़िता मरीज,
बाइट....के.एन.तिवारी,सीएमओ,बुलंदशहर,

पीटीसी...श्रीपाल तेवतिया








Conclusion:फिलहाल बड़ा सवाल ये है कि जो सपना पीएम मोदी ने देखा था कि निर्धन और कमजोर वर्ग को इसका लाभ मिलेगा ,और लोगों के लिए ये योजना वरदान साबित होगी ,अगर यही आलम रहा तो आखिर वो कैसे पूरा होगा।और जरूरतमंद व निर्धन पीड़ित जो कि इलाज चाहता है ,उसका क्या होगा।


श्रीपाल तेवतिया,
बुलंदशहर

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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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