बुलंदशहर: कोरोना संकट की वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं डगमगाई हुई हैं. जिले में एक शख्स को उसके परिजन इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकते रहे. लेकिन धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों ने मरीज का इलाज तक करना उचित नहीं समझा. जिसके चलते मरीज की मौत हो गई.
जिले के गुलावठी कस्बे के रहने वाले युवक फुरकान के सीने में अचानक दर्द हुआ था. आनन-फानन में परिवार के लोग और गुलावठी नगर पालिका चेयरमैन काले खां फुरकान को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. नगर पालिका चेयरमैन के मुताबिक सीएचसी के डॉक्टरों ने फुरकान का इलाज करने से साफ मना कर दिया, जिसके बाद परिजन फुरकान को लेकर कई प्राइवेट डॉक्टरों के पास भी गए, लेकिन किसी ने भी कोरोना के डर से फुरकान का उपचार नहीं किया. इसके बाद भी परिजनों ने हिम्मत नहीं हारी और वह फुरकान को गुलावठी के उसी स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर पहुंच गए, जहां से उनको बैरंग लौटाया गया था.
अस्पताल प्रशासन से बड़ी मन्नत करने के बाद डॉक्टरों ने फुरकान को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. लेकिन सरकार के सभी दावों की जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने भी हवा निकाल कर रख दी. जिला अस्पताल में भी फुरकान को उपचार नहीं मिला और वह दर्द से कराहता हुआ जिंदगी की जंग हार गया. अब इस मामले पर गुलावठी नगरपालिका के चेयरमेन काले खां ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से शिकायत करने की बात कही है.
जिला अस्पताल के सीएमएस दिनेश कुमार ने सफाई दी है कि इलाज के लिये मरीज को एडमिट तो किया गया था, लेकिन कोविड की जांच करने की कोशिश की जा रही थी लेकिन अस्पताल में कॉर्डियोलॉजिस्ट नहीं होने से उनको भर्ती नहीं किया गया. इस सम्बंध में डीएम का फोन भी आया था, तब मरीज को भर्ती कर उनकी जांच कारवाई गई. मरीज की हालत गम्भीर थी और कोविड वार्ड में भर्ती कराने से पहले ही मरीज ने दम तोड़ दिया.