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बुलंदशहरः अन्नदाता के खिले चेहरे, गन्ने के उत्पादन से आर्थिक स्थिति मजबूत

पश्चिमी यूपी के सबसे बड़े जिले बुलंदशहर में इस बार गन्ने की बुवाई में करीब 3 फ़ीसदी की कमी आई है. पिछले साल गन्ना किसानों को शुगर मिलों के द्वारा करीब 900 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था.

गन्ने के उत्पादन से जिले की आर्थिक स्थिति मजबूत
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Published : Jul 17, 2019, 12:26 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहरः पिछले वर्ष में गन्ना किसानों को शुगर मिलों द्वारा 900 करोड रुपये का भुगतान जिले के गन्ना किसानों को किया गया है. ऐसी दूसरी जिले में कोई फसल नहीं है जिसकी धनराशि इतनी ज्यादा हो या यूं कहिए कि गन्ने के उत्पादन से जिले की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है.

गन्ने के उत्पादन से जिले की आर्थिक स्थिति मजबूत.

पिछले साल गन्ने के उत्पाद के आंकड़े-

  • पिछले वर्ष जिले में गन्ने का क्षेत्रफल 66 हजार 780 हेक्टेयर था, जिसमें करीब 22 फीसदी क्षेत्रफल बढ़ा था.
  • 2017 में जिले में कुल 54 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की फसल थी. वहीं इस बार गन्ना उत्पादन में प्रति हेक्टेयर भी जिले में कमी देखी गयी है.
  • इस वर्ष औसतन 892 क्विंटल गन्ना प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ. जो पिछले साल की तुलना में कम है.
  • इस बार की सर्वे रिपोर्ट में 64 हजार 1 सौ 73 हेक्टेयर रकवा गन्ना उत्पादन हुआ है.
  • यानी इस साल साढे तीन प्रतिशत क्षेत्रफल गन्ने का जिले में घट गया है.
  • जिले के लोगों को पिछले साल 900 करोड़ रुपये यानी 9 अरब रुपये का भुगतान चीनी मिलों के द्वारा किया गया.


जिला गन्नाधिकारी डीके सैनी का कहना कि-
पिछले वर्ष का गन्ने के फसल का पूर्ण भुगतान चीनी मिलों के द्वारा तीन माह पूर्व ही कर दिया गया था.इस वर्ष कुल 836 करोड़ 54 लाख रुपये का भुगतान चीनी मिलों के द्वारा किया जाना है. जो कि करीब 70 फीसदी से ज्यादा है. अब तक 570 करोड़ रुपये का भुगतान जिले के अन्नदाता को हो चुका है. बुलंदशहर शुगर मिल अब तक 32 प्रतिशत भुगतान कर चुका है, जबकि अनुपशहर शुगर मिल 76 प्रतिशत भुगतान कर चुकी है,जबकि जिले के अगौता अनामिका शुगर मिल 76 प्रतिशत धनराशि का भुगतान किया जा चुका है, जिले के किसान को गन्ने की फसल का समय से भुगतान हो इसके पीछे अफसरों की कार्यशैली है.

बुलंदशहरः पिछले वर्ष में गन्ना किसानों को शुगर मिलों द्वारा 900 करोड रुपये का भुगतान जिले के गन्ना किसानों को किया गया है. ऐसी दूसरी जिले में कोई फसल नहीं है जिसकी धनराशि इतनी ज्यादा हो या यूं कहिए कि गन्ने के उत्पादन से जिले की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है.

गन्ने के उत्पादन से जिले की आर्थिक स्थिति मजबूत.

पिछले साल गन्ने के उत्पाद के आंकड़े-

  • पिछले वर्ष जिले में गन्ने का क्षेत्रफल 66 हजार 780 हेक्टेयर था, जिसमें करीब 22 फीसदी क्षेत्रफल बढ़ा था.
  • 2017 में जिले में कुल 54 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की फसल थी. वहीं इस बार गन्ना उत्पादन में प्रति हेक्टेयर भी जिले में कमी देखी गयी है.
  • इस वर्ष औसतन 892 क्विंटल गन्ना प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ. जो पिछले साल की तुलना में कम है.
  • इस बार की सर्वे रिपोर्ट में 64 हजार 1 सौ 73 हेक्टेयर रकवा गन्ना उत्पादन हुआ है.
  • यानी इस साल साढे तीन प्रतिशत क्षेत्रफल गन्ने का जिले में घट गया है.
  • जिले के लोगों को पिछले साल 900 करोड़ रुपये यानी 9 अरब रुपये का भुगतान चीनी मिलों के द्वारा किया गया.


जिला गन्नाधिकारी डीके सैनी का कहना कि-
पिछले वर्ष का गन्ने के फसल का पूर्ण भुगतान चीनी मिलों के द्वारा तीन माह पूर्व ही कर दिया गया था.इस वर्ष कुल 836 करोड़ 54 लाख रुपये का भुगतान चीनी मिलों के द्वारा किया जाना है. जो कि करीब 70 फीसदी से ज्यादा है. अब तक 570 करोड़ रुपये का भुगतान जिले के अन्नदाता को हो चुका है. बुलंदशहर शुगर मिल अब तक 32 प्रतिशत भुगतान कर चुका है, जबकि अनुपशहर शुगर मिल 76 प्रतिशत भुगतान कर चुकी है,जबकि जिले के अगौता अनामिका शुगर मिल 76 प्रतिशत धनराशि का भुगतान किया जा चुका है, जिले के किसान को गन्ने की फसल का समय से भुगतान हो इसके पीछे अफसरों की कार्यशैली है.

Intro:पश्चिमी यूपी के सबसे बड़े जिले बुलंदशहर में इस बार गन्ने की बुवाई में करीब 3 फ़ीसदी की कमी आई है ,और ये तब है जबकि पिछले साल का गन्ना किसानों को शुगर मिलों के द्वारा करीब 900 करोड रुपया का भुगतान किया गया था,उसके बावजूद इस बार जिले में करीब तीन प्रतिशत गन्ने की फसल क्षेत्रफल जिले में घट गया है,देखिये ये पूरी पडतालपूर्ण एक्सक्लुसिव रिपोर्ट।




Body:एक पड़ोसी राज्य के जीडीपी के बराबर पिछले वर्ष बुलंदशहर में गन्ना किसानों को शुगर मिलों द्वारा बुलंदशहर में पिछले वित्तीय वर्ष में 900 करोड रुपए का भुगतान जिले के गन्ना किसानों को किया गया है और अगर बात की जाए तो ऐसी दूसरी जिले में कोई फसल नहीं है जिसकी धनराशि इतनी ज्यादा हो या यूं कहिए कि गन्ने के उत्पादन से जिले की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है ,अगर आंकड़ों की बात की जाए तो पिछले कई सालों से बुलन्दशहर में गन्ने के उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी होती आ रही थी,आलम ये है कि

पिछले वर्ष जिले में गन्ने का क्षेत्रफल था 66 हजार सात सौ 80 हेक्टेयर,

पिछले वर्ष जिले में गन्ना उत्पादन के लिए करीब 22फीसदी क्षेत्रफल बढ़ा था,

2017 में जिले में कुल 54हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की फसल जिले में थी,


इस बार गन्ना उत्पादन में प्रति हेक्टेयर भी जिले में कमी देखी गयी है यहां औसतन 892 क्विंटल गन्ना प्रति हेक्टेयर उत्पादन हुआ है जो कि पिछले साल की तुलना में कम है,


64 हजार 1 सौ 73 हेक्टेयर रकवा इस बार की सर्वे रिपोर्ट के बाद सामने आया है ,यानी इस साल साढे तीन प्रतिशत क्षेत्रफल गन्ने का जिले में घट गया है,यानी जिले में गन्ने की फसल ने अकेले बुलन्दशहर जिले के लोगों को पिछले साल 900 करोड़ रुपये यानी 9 अरब रुपये का भुगतान चीनी मिलों के द्वारा किया गया,जिससे साफ़्तौर पर ये समझा जा सकता है कि गन्ने की फसल न सिर्फ किसान को आर्थिक रूप से सम्पन्न बना रही है बल्कि जिले की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है।
इस बारे में जिला गन्नाधिकारी डीके सैनी का कहना है कि
पिछले वर्ष का गन्ने का सभी भुगतान चीनी मिलों के द्वारा तीन माह पूर्व ही कर दिया गया था ,
इस बार जिले के अन्नदाता को गन्ना भुगतान के मामले में स्थिति पिछले वर्ष की तुलना में स्थिति काफी सुधरी हुई है,यही वजह है कि इस वर्ष कुल आठ सौ छत्तीस करोड़ 54 लाख रुपये कीमत का गन्ना भुगतान चीनी मिलों के द्वारा किया जाना है,जो कि करीव 70 फीसदी से ज्यादा है ,जो कि एक अच्छी खबर जिले के किसानों के लिए है, जिसमे से अब तक पांच सौ सत्तर करोड़ रुपये का भुगतान जिले के अन्नदाता का हो चुका है। अगर बात की जाए तो हमारे एक पड़ोसी राज्य (उत्तराखंड)की जीडीपी के बराबर हमारे जिले के अन्नदाता का सिर्फ गन्ना उत्पादन का पैसा
है।
फिलहाल अगर बात की जाए तो बुलन्दशहर शुगर मिल अब तक 32 प्रतिशत भुगतान कर चुका है,जबकि अनुपशहर शुगर मिल 76 प्रतिशत भुगतान कर चुकी है,जबकि जिले के अगौता अनामिका शुगर मिल 76 प्रतिशत धनराशि का भुगतान किया जा चुका है,

लेकिन जिस तरह से जिले में सभी शुगर मिल इस बार अन्नदाता के बकाये का भूगतान कर रही हैं ,उससे एक बात तो साफ है कि जिले के किसान को गन्ने की फसल का समय से भुगतान हो इसके पीछे बेहतरीन अफसरों की कार्यशैली व कहीं न कहीं सरकार की किसानों के प्रति हमदर्दी को भी बखूबी महसूस किया जा सकता है।

बाइट...डी.के सैनी ,ज़िला गन्ना अधिकारी।
पीटीसी...श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888.




Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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