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बस्ती: बीएलओ ने मनमानी कर हटाए वोटर लिस्ट ने नाम, ग्रामीणों ने लगाया आरोप - बस्ती ताजा समाचार

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में ग्रामीणों ने बीएलओ पर वोटर लिस्ट से नाम काटने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान के दबाव में आकर बीएलओ ने कई मदताओं के नाम काट दिए हैं. वहीं ग्राम प्रधान के जानने वाले ऐसे लोगों का नाम इसमें जोड़ा गया है, जो कई सालो से गांव में हैं भी नहीं.

ग्रामीणों ने बीएलओ पर लगाया आरोप.
ग्रामीणों ने बीएलओ पर लगाया आरोप.
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Published : Jan 2, 2021, 10:36 AM IST

बस्ती: सरकार का घर-घर जाकर वोटर लिस्ट पुनरीक्षण कार्यक्रम बस्ती जिले में औधे मुंह गिर गया. अब सवाल उठ रहा है कि यहां निष्पक्ष पंचायत चुनाव कैसे होगा. जैसे-जैसे पंचायत चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे प्रशासन निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने का दावा कर रहा है. इसके लिए गांव-गांव में सर्वे कराकर बीएलओ के द्वारा डोर-टू-डोर जाकर वोटर लिस्ट बनाई जा रही है. वहीं बस्ती में एक बीएलओ की मनबढ़ई के चलते अधिकांश ग्रामसभा की मतदाता सूची से सैकड़ों मतदाताओं का नाम ही गायब हो गया. ऐसे में पंचायत चुनाव लड़ने वालों के माथे पर शिकन बढती जा रही है. वहीं मतदाता भी हैरान हैं कि कैसे चुनाव में वह अपना मतदान करेंगे.

ग्रामीणों ने बीएलओ पर लगाया आरोप.

दरअसल, हरैया तहसील के खेमराजपुर, नरायनपुर तिवारी, भेलमापुर, कुंवागांव, अर्जुनपुर, सुनगहा, पूरेहेमराज, सिटकहा पाण्डेय सहित दर्जनों ग्रामसभा के सैकड़ों मतदाताओं ने समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय के नेतृत्व में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का घेराव कर अपनी समस्या से अवगत कराया. समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय ने ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि जहां बीएलओ को घर-घर जाकर मतदाता का नाम सम्मिलित और संशोधित करने का काम करना चाहिए, वह नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर कई मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से गायब है. विक्रमजोत विकास खण्ड के खेमराजपुर ग्रामसभा के 140 तो वहीं दुबौलिया विकास खण्ड के भेलमापुर के 160 मतदाताओं का नाम सूची से गायब है. इसके जिम्मेदार निश्चित तौर पर बीएलओ, सुपरवाइजर और कम्प्यूटर ऑपरेटर ही हैं. उन्होंने जिम्मदारों की भूमिका की जांच कर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि वंचित मतदाताओं का नाम सम्मिलित और संशोधित करने के लिए तहसील स्तर पर एक अलग सेल का गठन कर नाम सम्लित किया जाए.

वहीं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नन्द किशोर कलाल ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान मे आया है और मैने तुरंत ग्रामीणों की शिकायत पर लेखपाल और कानूनगो को इस मामले मे जांच के लिए निर्देशित कर दिया है. जैसे ही जांच पूरी हो जायेगी, वैसे ही गांव में कैम्प लगाकर, जो भी उस गांव के निवासी होंगे उनका नाम सूची मे जोड़ दिया जायेगा. जो भी जांच मे दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

बस्ती: सरकार का घर-घर जाकर वोटर लिस्ट पुनरीक्षण कार्यक्रम बस्ती जिले में औधे मुंह गिर गया. अब सवाल उठ रहा है कि यहां निष्पक्ष पंचायत चुनाव कैसे होगा. जैसे-जैसे पंचायत चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे प्रशासन निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने का दावा कर रहा है. इसके लिए गांव-गांव में सर्वे कराकर बीएलओ के द्वारा डोर-टू-डोर जाकर वोटर लिस्ट बनाई जा रही है. वहीं बस्ती में एक बीएलओ की मनबढ़ई के चलते अधिकांश ग्रामसभा की मतदाता सूची से सैकड़ों मतदाताओं का नाम ही गायब हो गया. ऐसे में पंचायत चुनाव लड़ने वालों के माथे पर शिकन बढती जा रही है. वहीं मतदाता भी हैरान हैं कि कैसे चुनाव में वह अपना मतदान करेंगे.

ग्रामीणों ने बीएलओ पर लगाया आरोप.

दरअसल, हरैया तहसील के खेमराजपुर, नरायनपुर तिवारी, भेलमापुर, कुंवागांव, अर्जुनपुर, सुनगहा, पूरेहेमराज, सिटकहा पाण्डेय सहित दर्जनों ग्रामसभा के सैकड़ों मतदाताओं ने समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय के नेतृत्व में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का घेराव कर अपनी समस्या से अवगत कराया. समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय ने ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि जहां बीएलओ को घर-घर जाकर मतदाता का नाम सम्मिलित और संशोधित करने का काम करना चाहिए, वह नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर कई मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से गायब है. विक्रमजोत विकास खण्ड के खेमराजपुर ग्रामसभा के 140 तो वहीं दुबौलिया विकास खण्ड के भेलमापुर के 160 मतदाताओं का नाम सूची से गायब है. इसके जिम्मेदार निश्चित तौर पर बीएलओ, सुपरवाइजर और कम्प्यूटर ऑपरेटर ही हैं. उन्होंने जिम्मदारों की भूमिका की जांच कर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि वंचित मतदाताओं का नाम सम्मिलित और संशोधित करने के लिए तहसील स्तर पर एक अलग सेल का गठन कर नाम सम्लित किया जाए.

वहीं ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नन्द किशोर कलाल ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान मे आया है और मैने तुरंत ग्रामीणों की शिकायत पर लेखपाल और कानूनगो को इस मामले मे जांच के लिए निर्देशित कर दिया है. जैसे ही जांच पूरी हो जायेगी, वैसे ही गांव में कैम्प लगाकर, जो भी उस गांव के निवासी होंगे उनका नाम सूची मे जोड़ दिया जायेगा. जो भी जांच मे दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

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