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टिकट न मिलने से नाराज सपा नेता ने लगाए पोस्टर, लिखा- सदर सपा विधायक बेवफा है

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Published : Apr 25, 2023, 10:22 PM IST

बस्ती में सभासदी का टिकट नहीं मिलने से नाराज मोहम्मद अकरम ने अपनी पंचर की दुकान पर सपा विधायक बेवफा हैं के पोस्टर लगा दिए हैं.

पंचर बनाने वाले 22 साल पुराने सपा नेता मोहम्मद अकरम
पंचर बनाने वाले 22 साल पुराने सपा नेता मोहम्मद अकरम
पंचर बनाने वाले 22 साल पुराने सपा नेता मोहम्मद अकरम

बस्ती: उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे प्रदेश में चुनाव के कई रंग देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश में निकाय चुनाव के उम्मीदवारों का नामांकन खत्म हो गया है और अब सभी पार्टियां अपने पूरे दमखम से चुनावी मैदान में ताल ठोक रही हैं. लेकिन इन्हीं पार्टियों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द इस समय इनके ही बागी नेता बन रहे हैं. पार्टियों को यह नहीं समझ में आ रहा है कि हम अपने वोटर को लुभाए या आपने बागी कार्यकर्ताओं को मनाएं. बात की जाए अगर बागियों की तो उनका भी अपना अलग दर्द है, क्योंकि कई सालों से पार्टी के टिकट की आस लगाए बैठे इन कार्यकर्ताओं को जब टिकट देने की बारी आती है. तो यह पार्टियां अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं के अरमानों पर पानी फेर कर किसी धनबली और दलबदलू को उम्मीदवार बना देते हैं.

सदर सपा विधायक बेवफा है के पोस्टर
सदर सपा विधायक बेवफा है के पोस्टर

मजे की बात यह है कि पार्टी में दलबदलू नेता जी को आए जुम्मा-जुम्मा दो-चार दिन ही होता है, लेकिन जैसे ही कोई बाहरी पार्टी में आता है तो पार्टियों को लगता है कि उन्हें तुरुप का इक्का मिल गया है. वह अपने समर्थित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करते हुए ऐसे दलबदलू को पार्टी का टिकट दे देती है. ऐसे ही एक कार्यकर्ता की कहानी से आज हम आपको रूबरू कराएंगे. जिसने 22 सालों से समाजवादी पार्टी की सेवा की, लेकिन जब इस कार्यकर्ता को पार्टी का टिकट देने का वक्त आया तो उसका टिकट काटकर एक दलबदलू को दे दिया.

टिकट ना मिलने से नाराज सपा नेता ने लगाए पोस्टर
टिकट ना मिलने से नाराज सपा नेता ने लगाए पोस्टर

सपा के इस कार्यकर्ता का आरोप है कि पार्टी के एक नेता ने उन्हें टिकट देने का वादा किया था. उन्हें भरोसा दिलाया था कि इस बार उन्हें टिकट जरूर दिया जाएगा, लेकिन नामांकन के आखिरी दिन उन्होंने इस कार्यकर्ता का टिकट काटकर दलबदलू नेता को टिकट दे दिया. इसके बाद कार्यकर्ता अपनी पंचर की दुकान पर पोस्टर लगाकर अपने साथ हुए धोखेबाजी का बदला ले रहे हैं और बस्ती की जनता को यह बता रहे हैं.

दरअसल बस्ती के नगर पालिका बभनगांवा वार्ड में रहने वाले अकरम जो कि सपा के बहुत ही पुराने कार्यकर्ता है और पेशे से यह पंचर की दुकान चलाते हैं. बावजूद इसके वह पार्टी की पिछले 22 सालों से सेवा करते चले आ रहे हैं. उनका सपना था कि वह पार्टी के टिकट से सभासदी का चुनाव लड़े और जनता की सेवा करे. जिसको देखते हुए इन्होंने इस बार अपने वार्ड से दावेदारी ठोकी. उनकी दावेदारी को लेकर पार्टी के सभी नेताओं ने हरी झंडी दे दी और वह तन-मन-धन से अपने चुनाव में लग गए. लेकिन टिकट नहीं मिला.

जिसके बाद अकरम अब अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि मैं गरीब हूं और गाड़ी और साइकिल का पंचर बनाता हूं. इसलिए मुझे टिकट नहीं दिया गया और दल बदल कर कुछ ही दिन पहले समाजवादी पार्टी में आए गौतम यादव को टिकट दे दिया गया, क्योंकि वह धनबली है. कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी सिर्फ यादवों की पार्टी रह गई है. उन्होंने ऐसे कई कैंडिडेटों का नाम बताया जिन्हें सिर्फ और सिर्फ इसलिए टिकट दे दिया गया क्योंकि वह यादव हैं. अकरम ने अपना दुख और अपने साथ हुई बेवफाई को जाहिर करने के लिए उन्होंने अपने दुकान में कई पोस्टर लगा डालें.

पोस्टर लगाने के पीछे उनका उन्होंने तर्क दिया कि जैसे मेरे साथ बेवफाई और धोखेबाजी हुई वैसा किसी और के साथ ना हो, इसलिए मैं जनता को यह बताने के लिए इस पोस्टर को अपने दुकान पर लगाया है. बरहाल जैसे-जैसे से चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे पार्टी के यह बागी नेता अपनी ही पार्टियों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं.अब देखना यह होगा कि बस्ती में क्या इसका खामियाजा सपा को भुगतना पड़ेगा या नहीं.

यह भी पढ़ें: मेयर प्रत्याशी वंदना मिश्रा ने कहा- सपा ही करा सकती है लखनऊ का चहुंमुखी विकास

पंचर बनाने वाले 22 साल पुराने सपा नेता मोहम्मद अकरम

बस्ती: उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे प्रदेश में चुनाव के कई रंग देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश में निकाय चुनाव के उम्मीदवारों का नामांकन खत्म हो गया है और अब सभी पार्टियां अपने पूरे दमखम से चुनावी मैदान में ताल ठोक रही हैं. लेकिन इन्हीं पार्टियों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द इस समय इनके ही बागी नेता बन रहे हैं. पार्टियों को यह नहीं समझ में आ रहा है कि हम अपने वोटर को लुभाए या आपने बागी कार्यकर्ताओं को मनाएं. बात की जाए अगर बागियों की तो उनका भी अपना अलग दर्द है, क्योंकि कई सालों से पार्टी के टिकट की आस लगाए बैठे इन कार्यकर्ताओं को जब टिकट देने की बारी आती है. तो यह पार्टियां अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं के अरमानों पर पानी फेर कर किसी धनबली और दलबदलू को उम्मीदवार बना देते हैं.

सदर सपा विधायक बेवफा है के पोस्टर
सदर सपा विधायक बेवफा है के पोस्टर

मजे की बात यह है कि पार्टी में दलबदलू नेता जी को आए जुम्मा-जुम्मा दो-चार दिन ही होता है, लेकिन जैसे ही कोई बाहरी पार्टी में आता है तो पार्टियों को लगता है कि उन्हें तुरुप का इक्का मिल गया है. वह अपने समर्थित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करते हुए ऐसे दलबदलू को पार्टी का टिकट दे देती है. ऐसे ही एक कार्यकर्ता की कहानी से आज हम आपको रूबरू कराएंगे. जिसने 22 सालों से समाजवादी पार्टी की सेवा की, लेकिन जब इस कार्यकर्ता को पार्टी का टिकट देने का वक्त आया तो उसका टिकट काटकर एक दलबदलू को दे दिया.

टिकट ना मिलने से नाराज सपा नेता ने लगाए पोस्टर
टिकट ना मिलने से नाराज सपा नेता ने लगाए पोस्टर

सपा के इस कार्यकर्ता का आरोप है कि पार्टी के एक नेता ने उन्हें टिकट देने का वादा किया था. उन्हें भरोसा दिलाया था कि इस बार उन्हें टिकट जरूर दिया जाएगा, लेकिन नामांकन के आखिरी दिन उन्होंने इस कार्यकर्ता का टिकट काटकर दलबदलू नेता को टिकट दे दिया. इसके बाद कार्यकर्ता अपनी पंचर की दुकान पर पोस्टर लगाकर अपने साथ हुए धोखेबाजी का बदला ले रहे हैं और बस्ती की जनता को यह बता रहे हैं.

दरअसल बस्ती के नगर पालिका बभनगांवा वार्ड में रहने वाले अकरम जो कि सपा के बहुत ही पुराने कार्यकर्ता है और पेशे से यह पंचर की दुकान चलाते हैं. बावजूद इसके वह पार्टी की पिछले 22 सालों से सेवा करते चले आ रहे हैं. उनका सपना था कि वह पार्टी के टिकट से सभासदी का चुनाव लड़े और जनता की सेवा करे. जिसको देखते हुए इन्होंने इस बार अपने वार्ड से दावेदारी ठोकी. उनकी दावेदारी को लेकर पार्टी के सभी नेताओं ने हरी झंडी दे दी और वह तन-मन-धन से अपने चुनाव में लग गए. लेकिन टिकट नहीं मिला.

जिसके बाद अकरम अब अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि मैं गरीब हूं और गाड़ी और साइकिल का पंचर बनाता हूं. इसलिए मुझे टिकट नहीं दिया गया और दल बदल कर कुछ ही दिन पहले समाजवादी पार्टी में आए गौतम यादव को टिकट दे दिया गया, क्योंकि वह धनबली है. कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी सिर्फ यादवों की पार्टी रह गई है. उन्होंने ऐसे कई कैंडिडेटों का नाम बताया जिन्हें सिर्फ और सिर्फ इसलिए टिकट दे दिया गया क्योंकि वह यादव हैं. अकरम ने अपना दुख और अपने साथ हुई बेवफाई को जाहिर करने के लिए उन्होंने अपने दुकान में कई पोस्टर लगा डालें.

पोस्टर लगाने के पीछे उनका उन्होंने तर्क दिया कि जैसे मेरे साथ बेवफाई और धोखेबाजी हुई वैसा किसी और के साथ ना हो, इसलिए मैं जनता को यह बताने के लिए इस पोस्टर को अपने दुकान पर लगाया है. बरहाल जैसे-जैसे से चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे पार्टी के यह बागी नेता अपनी ही पार्टियों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं.अब देखना यह होगा कि बस्ती में क्या इसका खामियाजा सपा को भुगतना पड़ेगा या नहीं.

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