बस्तीः उत्तर प्रदेश में सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है. लेकिन बस्ती जनपद में शासन के मनसे पर विभाग के ही अधिकारी पानी फेरते हुए नजर आ रहे हैं. ताजा मामला जिले के ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का है, जिसमें 7 करोड़ की लागत से बनने वाले सड़क में पहले ही घोटाले की बू आने लगी. कुछ लोगों ने आपत्ति जताई इसके बावजूद भी ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिकारियों के रिश्वत की खनक के आगे कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा और भ्रष्टाचार को हवा दे दी.
दरअसल, सदर, कप्तानगंज और हरैया विधानसभा क्षेत्र में आम नागरिकों की सुविधा के लिए उन खराब सड़कों के कायाकल्प की योजना तैयार हुई. इस पर चलना भी लोगों के लिए दुभर था. सरकार को प्रपोजल गया और कार्यदाई संस्था ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को सड़क निर्माण का कार्य मिला. विभाग के अधिकारियों ने टेंडर निकाला और यहीं से भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो गया.
ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिशाषी अभियंता और अधीक्षण अभियंता पर आरोप है कि अपने चहेते ठेकेदार को सड़क का काम देने के लिए नियम कानून की धज्जियां उड़ाईं. दोनों अफसरों ने 7 करोड़ की लागत से 10 सड़कों के निर्माण के लिए निविदा में गड़बड़झाला किया गया. एक ही निविदा में एक फर्म को पात्र बना दिया गया तो दूसरे फर्म को अपात्र कर दिया गया. पीड़ित ठेकेदार का कहना है कि लाट संख्या 8 और 9 में जो फर्म पात्र थे, उन्हें आखिर किस आधार पर लाट संख्या 5, 6 और 7 में अपात्र कर दिया गया.
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टेक्निकल बीड खुलते ही इसकी शिकायत हुई. लेकिन जिम्मेदारों ने कोई एक्शन नहीं लिया. इस कंस्ट्रक्शन फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर खोलने की कमेटी ने सारे नियमों को दरकिनार कर दिया. 18 जून को टेंडर खुला और इस दिन कमेटी में शामिल अधीक्षण अभियंता खुद मौजूद नहीं थे. शिकायत करने वाले ठेकेदारों ने बताया कि अधिकारी खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और चहेतों को फायदा पहुंचाने की पूरी कोशिश की जा रही है.
फिलहाल इस पूरे मामले को लेकर प्रभारी जिला अधिकारी राजेश प्रजापति ने बताया कि टेंडर को लेकर कुछ ठेकेदारों ने शिकायत की है, जिसकी जांच के लिए टीम बना दी गई है और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. करोड़ों की लागत से कई सड़क का निर्माण कार्य होना है और ठेके में गड़बड़ी करने की बात गंभीर है, जिस पर यथोचित कार्रवाई होगी.
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