बस्ती: सरयू नहर परियोजना पूर्वांचल की लाइफ लाइन मानी जाती है, लेकिन तीन दशक बीत जाने के बाद भी अब तक किसानों तक पानी नहीं पहुंचा है. योजना में अब तक करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए, लेकिन अभी भी नहर पूरी नहीं बन पाई है. विभागीय लापरवाही की वजह से जमीन का पूरा अधिग्रहण नहीं हो सका है. ऐसे में ये महत्वाकांक्षी परियोजना दम तोड़ती नजर आ रही है.
भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन आज देश में किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है. देश का पेट भरने वाले किसानों को खुद के पेट भरने के लाले पड़ रहे हैं. लगातार मौसम की बेरुखी से एक के बाद एक कई फसलें खराब हो गईं, जिसकी वजह से किसान कर्ज में डूब गए हैं.
किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार चर्चा तो करती है, लेकिन धरातल पर किसानों के लाभ के लिए जो भी योजनाएं चलाई जाती हैं, वह सब सिर्फ कागजों पर चलती हैं. किसानों को इन योजनाओं से कोई भी फायदा नहीं मिल पा रहा है.
1982 में शुरू हुई थी परियोजना
दरअसल, सरयू नहर परियोजना को साल 1982 में नेशनल प्रोग्राम के रूप में शुरू किया गया था. सरयू नहर परियोजना बहराइच, बस्ती, गोरखपुर समेत 9 जिलों के लिए शुरू की गई, लेकिन तीन दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी आज तक नहरों में पानी नहीं पहुंच सका है. नहर को बनाने में अब तक साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. फिर भी नहर अब तक चालू नहीं हो सकी है.
एक तरफ नहरों में पानी न पहुंचने से किसानों को नहर का लाभ नहीं मिला तो वहीं दूसरी तरफ नहर के लिए जो उपजाऊ जमीन अधिग्रहण की गई थी वो भी बेकार पड़ी हुई है. कागजों में पंप कैनाल से रजली गांव तक नहर की लंबाई 14 किलोमीटर है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है.
अधिकारियों की सफाई
इसको लेकर आयुक्त अनिल सागर ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण न होने की वजह से परियोजना पूरी नहीं हो पाई है. नहर को पूरा करने के लिए अधिग्रहण की कार्रवाई चल रही है. अगर कहीं किसी जगह नहर में पानी नहीं आया है तो इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी.