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मिड डे मील के पैसे आए या नहीं, परिजनों को पता नहीं - बस्ती जिले में मिड डे मिल

कोरोना महामारी के कारण सरकारी स्कूल बंद हैं. ऐसे में सरकार मिड डे मील का पैसा बैंक खातों में भेज रही है. उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में अभिभावकों को अभी पता ही नहीं कि खाते में पैसे आए या नहीं.

बस्तीः
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Published : Jun 8, 2021, 9:19 AM IST

बस्तीः पिछले एक साल से कोरोना महामारी की वजह से स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था अस्तव्यस्त है. प्राइवेट स्कूलों में तो किसी तरीके से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं मगर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. वहीं, अगर मिड डे मील की बात करें तो सरकार की तरफ से प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र और छात्राओं के अभिभावकों के खाते में मिड डे मील का पैसा सीधे भेजा जा रहा है. खाते में पैसे भेजने का उद्देश्य यह है कि जिस तरीके से इन बच्चों को प्राइमरी स्कूलों में सरकार की तरफ से मिड डे मील मिला करता था, उसी तरीके से यह सभी बच्चे घरों पर रहकर पोषण युक्त आहार ग्रहण करें.

मिड डे मील का हाल

ये बोले बच्चे और अभिभावक
ऐसे ही एक परिवार के पास पड़ताल की गई. कूदरहा ब्लॉक के सेलहरा गांव की रहने वाली मधु के घर पहुंचे. मधु गांव के ही प्राइमरी स्कूल में क्लास 6 में पढ़ाई करती हैं. जबसे स्कूल बंद हैं तबसे वह घर में ही रहकर पढ़ रही हैं. मधु ने बताया की उसके माता-पिता उसे स्कूल में मिलने वाले मिड डे मिल से भी अच्छा पोषक आहार खिला रहे हैं. वहीं, मधु की मां का कहना है कि उसका खाता नंबर तो मधु के स्कूल के अध्यापक लेकर गए थे मगर उनके खाते में पैसा नहीं आया. ज्यादा जानकारी करने पर उन्होंने बताया कि दरअसल, उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सरकार द्वारा भेजे जा रहे मिल डे मील का पैसा उसके खाते में भेजा जा रहा है या नहीं. खाते के पैसों की जानकारी बिना बैंक गए उन्हें नहीं होती. यही हाल गांव में तमाम लोगों का है. तमाम लाभार्थियों को यह पता ही नहीं की सरकारी योजना का उन्हें लाभ मिल रहा है या नहीं.

इसे भी पढ़ेंः जुलाई से ऑनलाइन बनेगा डीएल, आरटीओ जाने का झंझट खत्म

ज्यादातर को नहीं जानकारी
सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लाभार्थी आमतौर पर गरीब वर्ग से आते हैं. जब स्कूल खुले थे, तब ऐसे बच्चों को एक दिन में कम से कम एक टाइम उचित भोजन मिल जाता था. अब सरकार बच्चों के हक का पैसा तो भेजने का दावा तो कर रही है, मगर छात्रों के अभभावकों को इसकी जानकारी ही नहीं. लोगों का कहना है जब बैंक जाएंगे तभी उन्हें सही हिसाब पता चलेगा.

ये बोले बीएसए
बीएसए ने इस बारे में जानकारी दी कि अभी तक जिले के प्राइमरी और पूर्व माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों के अभिभावकों के खाते में शत प्रतिशत मिड डे मिल का पैसा भेजा जा चुका है. अभिभावक बैंक जाकर इसकी तस्दीक कर सकते हैं.

मिड डे मील के आंकड़े
प्राथमिक विद्यालय में प्रति छात्र सरकार मिडडे मिल का 4.97 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करती है. कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार ने प्राइमरी स्कूल के बच्चो के लिए 19 करोड़ 95 लाख बजट और जूनियर स्कूल के बच्चों के लिए 12 करोड़ 98 लाख रुपये जिले के बेसिक शिक्षा विभाग को भेजा. जिले में कुल 2230 सरकारी स्कूल हैं, जिसमें 1 लाख 59 हजार 240 छात्र प्राइमरी में पंजीकृत हैं जबकि जूनियर में 70 हजार 727 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं.

बस्तीः पिछले एक साल से कोरोना महामारी की वजह से स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था अस्तव्यस्त है. प्राइवेट स्कूलों में तो किसी तरीके से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं मगर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. वहीं, अगर मिड डे मील की बात करें तो सरकार की तरफ से प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र और छात्राओं के अभिभावकों के खाते में मिड डे मील का पैसा सीधे भेजा जा रहा है. खाते में पैसे भेजने का उद्देश्य यह है कि जिस तरीके से इन बच्चों को प्राइमरी स्कूलों में सरकार की तरफ से मिड डे मील मिला करता था, उसी तरीके से यह सभी बच्चे घरों पर रहकर पोषण युक्त आहार ग्रहण करें.

मिड डे मील का हाल

ये बोले बच्चे और अभिभावक
ऐसे ही एक परिवार के पास पड़ताल की गई. कूदरहा ब्लॉक के सेलहरा गांव की रहने वाली मधु के घर पहुंचे. मधु गांव के ही प्राइमरी स्कूल में क्लास 6 में पढ़ाई करती हैं. जबसे स्कूल बंद हैं तबसे वह घर में ही रहकर पढ़ रही हैं. मधु ने बताया की उसके माता-पिता उसे स्कूल में मिलने वाले मिड डे मिल से भी अच्छा पोषक आहार खिला रहे हैं. वहीं, मधु की मां का कहना है कि उसका खाता नंबर तो मधु के स्कूल के अध्यापक लेकर गए थे मगर उनके खाते में पैसा नहीं आया. ज्यादा जानकारी करने पर उन्होंने बताया कि दरअसल, उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि सरकार द्वारा भेजे जा रहे मिल डे मील का पैसा उसके खाते में भेजा जा रहा है या नहीं. खाते के पैसों की जानकारी बिना बैंक गए उन्हें नहीं होती. यही हाल गांव में तमाम लोगों का है. तमाम लाभार्थियों को यह पता ही नहीं की सरकारी योजना का उन्हें लाभ मिल रहा है या नहीं.

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ज्यादातर को नहीं जानकारी
सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लाभार्थी आमतौर पर गरीब वर्ग से आते हैं. जब स्कूल खुले थे, तब ऐसे बच्चों को एक दिन में कम से कम एक टाइम उचित भोजन मिल जाता था. अब सरकार बच्चों के हक का पैसा तो भेजने का दावा तो कर रही है, मगर छात्रों के अभभावकों को इसकी जानकारी ही नहीं. लोगों का कहना है जब बैंक जाएंगे तभी उन्हें सही हिसाब पता चलेगा.

ये बोले बीएसए
बीएसए ने इस बारे में जानकारी दी कि अभी तक जिले के प्राइमरी और पूर्व माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों के अभिभावकों के खाते में शत प्रतिशत मिड डे मिल का पैसा भेजा जा चुका है. अभिभावक बैंक जाकर इसकी तस्दीक कर सकते हैं.

मिड डे मील के आंकड़े
प्राथमिक विद्यालय में प्रति छात्र सरकार मिडडे मिल का 4.97 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करती है. कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार ने प्राइमरी स्कूल के बच्चो के लिए 19 करोड़ 95 लाख बजट और जूनियर स्कूल के बच्चों के लिए 12 करोड़ 98 लाख रुपये जिले के बेसिक शिक्षा विभाग को भेजा. जिले में कुल 2230 सरकारी स्कूल हैं, जिसमें 1 लाख 59 हजार 240 छात्र प्राइमरी में पंजीकृत हैं जबकि जूनियर में 70 हजार 727 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं.

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