बस्ती: जिले के गौर ब्लॉक के डमरूवा जंगल गांव में वन विभाग और कास्तकारों के बीच जमीन का विवाद चल रहा है. वन विभाग का दावा है कि जमीन उसकी है, जबकि कास्तकारों का कहना है कि उनके पास जमीन के पूरे दस्तावेज हैं. बावजूद इसके वन विभाग ने जबरन उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया है. इतना ही नहीं कास्तकारों की जमीन कब्जा कर कागजों में लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण भी कर दिया गया. बताते चलें कि कास्तकारों और वन विभाग के बीच ये विवाद 2012 से चल रहा है. कई बार जमीन की पैमाइस भी हुई, मगर नतीजा कुछ नहीं निकला.
मामला सदर रेंज के डमरूआ जंगल ग्राम पंचायत का है. पिछले दिनों जमीन की पैमाइश के दौरान करीब चार दर्जन लोगों का वन्य भूमि पर कब्जा पाया गया. इन्हें बेदखल कर इस जमीन पर विभाग ने फिर से कब्जा लिया और जमीन के चारों ओर पिलर लगाकर इसे सुरक्षित कर लिया. गाटा संख्या 241 और 505 में वन विभाग की कुल जमीन 217 बीघा 19 विस्वा और 17 धुर थी. ग्रामीणों की मानें तो इस गाटा संख्या में उनकी भी जमीन है. गांव के 19 दलितों ने आरोप लगाया है कि उनकी पट्टे की जमीन वन विभाग ने अपनी जमीन के साथ ही मिलाकर उस पर पिलर लगाकर उसे अपने कब्जे में ले लिया है.
कास्तकारों के मुताबिक कोदई गांव की 431 एयर कास्तकारी जमीन और 253 एयर पट्टे की जमीन, रामलुटावन और राम बुझारत की संयुक्त रूप से, 293 एयर जमीन सुखराम की, 917 एयर दयाराम की, 253 एयर रामदास की, 76 एयर परशुराम की, 63 एयर छविलाल की, 63 एयर, नोखई की, 63 एयर महावीर की, 50 एयर नीबर की, 38 एयर लुदुर की, 51 एयर बाबूराम की, 38 एयर गुरु प्रसाद की, 38 एयर अदालती की, 51 एयर संपत की, 51 एयर जटाशंकर की, 418 एयर विश्राम की, 63 एयर रघुवीर की, 135 एयर हरिश्चंद्र की और 34 एयर पट्टे की जमीन वन विभाग ने कब्जे में ले रखा है.
इस मामले को लेकर बस्ती मंडलायुक्त अनिल सागर ने कहा कि पट्टे की जमीन की फिर से जांच कराएंगे. यदि पट्टा सही मिलेगा तो पट्टेदारों की जमीन को विभाग वापस कर देगा. उन्होंने कहा कि विभाग ने किसी की जमीन पर कब्जा नहीं किया है. पट्टे की जमीन को लेकर सवाल उठे थे. कई लोगों के पट्टे निरस्त हो चुके हैं. ऐसे में इसकी जांच आवश्यक है.
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