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जीर्णोद्धार के इंतजार में बस्ती रोडवेज डिपो, बजट के अभाव में रुके विकास कार्य

उत्तर प्रदेश के बस्ती में विकास परिजनाओं पर अब मंदी का असर देखने को मिल रहा है. रोडवेज बस्ती डिपो को नए सिरे से तैयार करने की योजना पर संटक के बादल मंडरा रहे है. सितंबर में पूर्ण होने वाला कार्य अभी भी अधर में लटका है.

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रोडवेज परिसर का अधर में लटका जीर्णोद्धार
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Published : Dec 4, 2019, 11:39 AM IST

बस्ती: शहर के रोडवेज डिपो को नए सिरे से तैयार करने की योजना पर संटक के बादल मंडरा रहे हैं. उम्मीद थी कि रोडवेज परिसर के जर्जर भवनों से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन बजट के फेर में उम्मीदों को झटका लगता नजर आ रहा है. 54 लाख रुपये की लागत से रोडवेज बस्ती डिपो में यात्री शेड, प्रशासनिक भवन, बस स्टेशन, चालक विश्रामालय बनाए जाने हैं.

रोडवेज परिसर का अधर में लटका जीर्णोद्धार

जानें क्या है पूरा मामला-

  • बस्ती में विकास परिजनाओं पर भी अब मंदी का असर देखने को मिल रहा है.
  • कार्यदायी संस्था ने आधे से अधिक कार्य कर दिया लेकिन बजट नहीं मिलने पर काम रोक दिया गया.
  • रोडवेज बस्ती डिपो को नए सिरे से तैयार करने की योजना पर संटक के बादल मंडरा रहे हैं.
  • स्वीकृति के बाद भी निदेशालय से धनराशि हस्तांतरित नहीं की गई. जिसके चलते कार्य अधर में लटका है.
  • कार्यदायी संस्था ने निर्माण कार्य रोक दिया जिसके चलते सितंबर में पूर्ण होने वाला कार्य लटका है.
  • 54 लाख रुपये की लागत से डिपो में यात्री शेड, प्रशासनिक भवन, बस स्टेशन बनाए जाने हैं.

परिसर को बड़ा करने के लिए डिपो और कार्यालय के बीच स्थित चार दीवारी को तोड़ा जाना है. कार्यदायी संस्था के द्वारा आधे से अधिक कार्य कर दिया गया है, लेकिन बजट नहीं मिलने पर संस्था ने काम रोक दिया है. इससे तय समय में निर्माण कार्य पूरा किए जाने की योजना फेल होती नजर आ रही है.

कार्य की स्वीकृति बहुत पहले मिल चुकी थी. अभी तक कार्यदायी संस्था को धनराशि हस्तांतरित नहीं हो पाई है, जिसके चलते काम रुका हुआ है. उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर जल्द बजट जारी करने के लिए कहा गया है. ताकि समय से निर्माण कार्य पूरा कराया जा सके.
-आरपी सिंह, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक

बस्ती: शहर के रोडवेज डिपो को नए सिरे से तैयार करने की योजना पर संटक के बादल मंडरा रहे हैं. उम्मीद थी कि रोडवेज परिसर के जर्जर भवनों से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन बजट के फेर में उम्मीदों को झटका लगता नजर आ रहा है. 54 लाख रुपये की लागत से रोडवेज बस्ती डिपो में यात्री शेड, प्रशासनिक भवन, बस स्टेशन, चालक विश्रामालय बनाए जाने हैं.

रोडवेज परिसर का अधर में लटका जीर्णोद्धार

जानें क्या है पूरा मामला-

  • बस्ती में विकास परिजनाओं पर भी अब मंदी का असर देखने को मिल रहा है.
  • कार्यदायी संस्था ने आधे से अधिक कार्य कर दिया लेकिन बजट नहीं मिलने पर काम रोक दिया गया.
  • रोडवेज बस्ती डिपो को नए सिरे से तैयार करने की योजना पर संटक के बादल मंडरा रहे हैं.
  • स्वीकृति के बाद भी निदेशालय से धनराशि हस्तांतरित नहीं की गई. जिसके चलते कार्य अधर में लटका है.
  • कार्यदायी संस्था ने निर्माण कार्य रोक दिया जिसके चलते सितंबर में पूर्ण होने वाला कार्य लटका है.
  • 54 लाख रुपये की लागत से डिपो में यात्री शेड, प्रशासनिक भवन, बस स्टेशन बनाए जाने हैं.

परिसर को बड़ा करने के लिए डिपो और कार्यालय के बीच स्थित चार दीवारी को तोड़ा जाना है. कार्यदायी संस्था के द्वारा आधे से अधिक कार्य कर दिया गया है, लेकिन बजट नहीं मिलने पर संस्था ने काम रोक दिया है. इससे तय समय में निर्माण कार्य पूरा किए जाने की योजना फेल होती नजर आ रही है.

कार्य की स्वीकृति बहुत पहले मिल चुकी थी. अभी तक कार्यदायी संस्था को धनराशि हस्तांतरित नहीं हो पाई है, जिसके चलते काम रुका हुआ है. उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर जल्द बजट जारी करने के लिए कहा गया है. ताकि समय से निर्माण कार्य पूरा कराया जा सके.
-आरपी सिंह, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक

Intro:रिपोर्ट - सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो - 9889557333

स्लग - बजट है नहीं, रुक गया विकास

एंकर - बस्ती के विकाश योजनाओं पर भी अब मंदी का असर दिखने लगा है, रोडवेज बस्ती डिपो को नए सिरे से तैयार करने की योजना पर बजट का अड़ंगा सामने आ गया है। जो कार्य सितंबर में पूर्ण हो जाने थे, वह अभी भी निर्माणाधीन हैं। बता रहे कि स्वीकृति के बाद भी निदेशालय स्तर से धनराशि हस्तांतरित नहीं की गई। इससे कार्यदायी संस्था ने निर्माण कार्य रोक दिया है।



Body:उम्मीद थी कि रोडवेज परिसर के जर्जर भवनों से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन बजट के फेर में उम्मीदों को झटका लगा है। 54 लाख रुपये की लागत से रोडवेज बस्ती डिपो में यात्री शेड, प्रशासनिक भवन, बस स्टेशन, चालक विश्रामालय बनाए जाने हैं। इसके अलावा परिसर को बड़ा करने के लिए डिपो व कार्यालय के बीच स्थित चहारदीवारी को तोड़ा जाना है। कार्यदायी संस्था के द्वारा आधे से अधिक कार्य वैसे कर दिया गया है। लेकिन, इधर बजट न मिलने पर संस्था ने काम रोक दिया है। इससे तय समय में निर्माण कार्य पूरा किए जाने की योजना फेल हो गई है।





Conclusion:सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक आरपी सिंह ने बताया कि कार्य की स्वीकृति बहुत पहले मिल चुकी थी। अभी तक कार्यदायी संस्था को धनराशि हस्तांतरित नहीं हो पाई है। उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर जल्द बजट जारी करने के लिए कहा गया है, ताकि समय से निर्माण कार्य पूरा कराया जा सके।

बाइट - आरपी सिंह,,,,ए आर एम्


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