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15 साल से पहले फर्जी प्रमाण पत्रों पर लिपिक ने हासिल की थी नौकरी, अब हुआ ऐसे खुलासा - Basti Latest news

बस्ती के एक स्कूल में कार्यरत लिपिक की मार्कशीट फर्जी पाई गई है. बताया जा रहा है कि नाबालिग होते हुए बालिग का फर्जी प्रमाण पत्र बनावकर नौकरी हासिल की थी.

राष्ट्रीय कृषक इंटर कॉलेज बस्ती
राष्ट्रीय कृषक इंटर कॉलेज बस्ती
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Published : May 17, 2023, 10:50 PM IST

बस्तीः एक क्लर्क पिछले 15 साल से सरकार की आंख में धूल झोंक कर नौकरी कर रहा था. पहले उसकी नियुक्ति चपरासी के पद पर हुई और बाद में क्लर्क बन गया. फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर वह हर साल लाखों रुपये बतौर सैलरी उठा रहा था. अब खुलासा होने पर फर्जी बाबू (लिपिक) पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. दुबौलिया थाना क्षेत्र के राष्ट्रीय कृषक इंटर कॉलेज रघुराज नगर सुदीपुर में 1999 में मृतक आश्रित एक अनुचर की नियुक्ति हुई. नियुक्ति के वक्त नाबालिग होने के बावजूद जाली प्रमाण पत्र लगाकर राम सनेही यादव ने नौकरी हथिया ली. मगर 15 साल बाद अब इस फ्रॉड से पर्दा उठ गया है. सुशील कुमार सिंह की शिकायत पर इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठा.


जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय कृषक इंटर कॉलेज बस्ती में अनुचर के पद पर तैनात सरजू प्रसाद यादव की सेवा काल के दौरान 1994 में मृत्यु हो गई. मृतक आश्रित कोटे से उसके वारिस रामसनेही यादव की नियुक्ति चयन समिति द्वारा 25 फरवरी 1999 को की गई. चयन समिति की लापरवाही की वजह से रामसनेही यादव वर्ष 1997 में हाईस्कूल की परीक्षा जन्म तिथि 1/1/81 को इसलिए छुपाया, क्योंकि उस समय उसकी उम्र 17 वर्ष लगभग थी और वह नाबालिग था. इस कारण हाईस्कूल की मार्कशीट को छुपाकर कक्षा 8 की फर्जी मार्कशीट तैयार करके अनुचर का पद हथिया लिया.

इसके बाद इसी फर्जी जन्मतिथि को सही साबित करने के लिए रामसनेही यादव ने वर्ष 2004 में एक बार फिर से हाईस्कूल की परीक्षा पास की, जिसमें वह अपनी जन्मतिथि 1/1/1980 दर्शाया. बाद में उसी के आधार पर इंटरमीडिएट और आगे की परीक्षा उत्तीर्ण करके उसी विद्यालय में वर्तमान समय में लिपिक के पद पर तैनात है. शिकायत के बाद बोर्ड ने जांच के बाद 2004 की मार्कशीट को निरस्त कर दिया. जिसके बाद एक बार फिर से चपरासी से बाबू बने राम सनेही यादव की कक्षा 8 पर नियुक्ति के समय की मार्कशीट ही उस की शैक्षणिक योग्यता सही मानी जायेगी.

राम सनेही यादव ने नाबालिग होने के बावजूद नौकरी हासिल की और बालिग बनने के लिए दो बार हाई स्कूल की परीक्षा दिया. बावजूद एक मार्क शीट को बोर्ड ने निरस्त कर दिया. राम सनेही यादव ने 1999 में नौकरी हासिल की, उससे पहले 1997 में वे हाई स्कूल पास हो चुके थे, जिस हिसाब से वे नाबालिग थे. इसके बाद एक बार फिर से वे 2004 में हाई स्कूल पास किए जिसमे वे खुद को बालिग साबित कर ले गए. मगर बोर्ड ने उस मार्क शीट को निरस्त कर दिया. वही फर्जी बाबू ने सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया.

जिला विद्यालय निरीक्षक दल सिंगार यादव ने बताया कि लिपिक राम सनेही की दूसरी मार्कशीट बोर्ड ने निरस्त कर दिया है. लिपिक रामसनेही यादव पर कार्रवाई किए जाने के जवाब में उन्होंने कहा कि डीएम के निर्देश पर 2 सदस्य टीम गठित की गई है. एक बार फिर से इस पूरे मामले की जांच खुद करेंगे. इसके बाद अगर रामसनेही यादव दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ रिकवरी और एफआई तक कराई जाएगी.

इसे भी पढ़ें-मरीज की जान बचाने के लिए रुक गया शहर का ट्रैफिक, 9 मिनट में एम्बुलेंस पहुंची गोरखपुर एयरपोर्ट


बस्तीः एक क्लर्क पिछले 15 साल से सरकार की आंख में धूल झोंक कर नौकरी कर रहा था. पहले उसकी नियुक्ति चपरासी के पद पर हुई और बाद में क्लर्क बन गया. फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर वह हर साल लाखों रुपये बतौर सैलरी उठा रहा था. अब खुलासा होने पर फर्जी बाबू (लिपिक) पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. दुबौलिया थाना क्षेत्र के राष्ट्रीय कृषक इंटर कॉलेज रघुराज नगर सुदीपुर में 1999 में मृतक आश्रित एक अनुचर की नियुक्ति हुई. नियुक्ति के वक्त नाबालिग होने के बावजूद जाली प्रमाण पत्र लगाकर राम सनेही यादव ने नौकरी हथिया ली. मगर 15 साल बाद अब इस फ्रॉड से पर्दा उठ गया है. सुशील कुमार सिंह की शिकायत पर इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठा.


जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय कृषक इंटर कॉलेज बस्ती में अनुचर के पद पर तैनात सरजू प्रसाद यादव की सेवा काल के दौरान 1994 में मृत्यु हो गई. मृतक आश्रित कोटे से उसके वारिस रामसनेही यादव की नियुक्ति चयन समिति द्वारा 25 फरवरी 1999 को की गई. चयन समिति की लापरवाही की वजह से रामसनेही यादव वर्ष 1997 में हाईस्कूल की परीक्षा जन्म तिथि 1/1/81 को इसलिए छुपाया, क्योंकि उस समय उसकी उम्र 17 वर्ष लगभग थी और वह नाबालिग था. इस कारण हाईस्कूल की मार्कशीट को छुपाकर कक्षा 8 की फर्जी मार्कशीट तैयार करके अनुचर का पद हथिया लिया.

इसके बाद इसी फर्जी जन्मतिथि को सही साबित करने के लिए रामसनेही यादव ने वर्ष 2004 में एक बार फिर से हाईस्कूल की परीक्षा पास की, जिसमें वह अपनी जन्मतिथि 1/1/1980 दर्शाया. बाद में उसी के आधार पर इंटरमीडिएट और आगे की परीक्षा उत्तीर्ण करके उसी विद्यालय में वर्तमान समय में लिपिक के पद पर तैनात है. शिकायत के बाद बोर्ड ने जांच के बाद 2004 की मार्कशीट को निरस्त कर दिया. जिसके बाद एक बार फिर से चपरासी से बाबू बने राम सनेही यादव की कक्षा 8 पर नियुक्ति के समय की मार्कशीट ही उस की शैक्षणिक योग्यता सही मानी जायेगी.

राम सनेही यादव ने नाबालिग होने के बावजूद नौकरी हासिल की और बालिग बनने के लिए दो बार हाई स्कूल की परीक्षा दिया. बावजूद एक मार्क शीट को बोर्ड ने निरस्त कर दिया. राम सनेही यादव ने 1999 में नौकरी हासिल की, उससे पहले 1997 में वे हाई स्कूल पास हो चुके थे, जिस हिसाब से वे नाबालिग थे. इसके बाद एक बार फिर से वे 2004 में हाई स्कूल पास किए जिसमे वे खुद को बालिग साबित कर ले गए. मगर बोर्ड ने उस मार्क शीट को निरस्त कर दिया. वही फर्जी बाबू ने सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया.

जिला विद्यालय निरीक्षक दल सिंगार यादव ने बताया कि लिपिक राम सनेही की दूसरी मार्कशीट बोर्ड ने निरस्त कर दिया है. लिपिक रामसनेही यादव पर कार्रवाई किए जाने के जवाब में उन्होंने कहा कि डीएम के निर्देश पर 2 सदस्य टीम गठित की गई है. एक बार फिर से इस पूरे मामले की जांच खुद करेंगे. इसके बाद अगर रामसनेही यादव दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ रिकवरी और एफआई तक कराई जाएगी.

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