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एक ऐसी बस्ती जहां हर घर में पाले जाते हैं सांप, रातों को करते हैं घर की रखवाली

अधकटा ब्रह्मनान गांव के हर घर में सांप पाले जाते हैं. इस गांव के घरों की रखवाली सांप करते हैं. यहां के लोग सांपों की देखभाल करते हैं.

सांपों से खेलते बच्चे.
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Published : Jul 2, 2019, 9:24 PM IST

बरेली: शहर से करीब 50 किमी दूर एक ऐसी बस्ती है, जहां हर घर में सांप पाले जाते हैं. अधकटा ब्रह्मनान गांव के लोग इनकी रखवाली करते हैं. इनको पूजते हैं. इस गांव में करीब 250 घर हैं, जहां घरों में दरवाजे नहीं हैं. इनकी रखवाली की जिम्मेदारी इन्हीं सांपों पर होती है.

यहां रहने वाले ग्रामीण इन सांपों को अपने परिवार का ही सदस्य मानते हैं. बड़ों से लेकर बच्चे इनको अपना दोस्त मानते हैं. इनके साथ खेलते हैं.

यहां घर में पाले जाते हैं सांप.

गांव निवासी तेजपाल बताते हैं कि गांव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है. रात में इन सांपों को खुले में छोड़ देते हैं. इस वजह से चोर घर में नहीं घुस पाते हैं. यह परंपरा आज से नहीं बल्कि हमारे पूर्वजों के समय से चली आ रही है. इनसे हमें बिल्कुल भी डर नहीं लगता.

वहीं एक और ग्रामीण ने बताया कि कभी-कभी यह सांप काट भी लेते हैं, लेकिन हम लोगों के पास दवाई होती है. उसको लगा लेते हैं. हम लोग सांप की देखभाल करते हैं. उनको नहलाते भी हैं. उन्होंने बताया कि जब हमने आंख खोली तब से सांपों को अपने घरों में देख रहे हैं. नाग पंचमी के दिन इन सांपों की पूजा भी की जाती है.

बरेली: शहर से करीब 50 किमी दूर एक ऐसी बस्ती है, जहां हर घर में सांप पाले जाते हैं. अधकटा ब्रह्मनान गांव के लोग इनकी रखवाली करते हैं. इनको पूजते हैं. इस गांव में करीब 250 घर हैं, जहां घरों में दरवाजे नहीं हैं. इनकी रखवाली की जिम्मेदारी इन्हीं सांपों पर होती है.

यहां रहने वाले ग्रामीण इन सांपों को अपने परिवार का ही सदस्य मानते हैं. बड़ों से लेकर बच्चे इनको अपना दोस्त मानते हैं. इनके साथ खेलते हैं.

यहां घर में पाले जाते हैं सांप.

गांव निवासी तेजपाल बताते हैं कि गांव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है. रात में इन सांपों को खुले में छोड़ देते हैं. इस वजह से चोर घर में नहीं घुस पाते हैं. यह परंपरा आज से नहीं बल्कि हमारे पूर्वजों के समय से चली आ रही है. इनसे हमें बिल्कुल भी डर नहीं लगता.

वहीं एक और ग्रामीण ने बताया कि कभी-कभी यह सांप काट भी लेते हैं, लेकिन हम लोगों के पास दवाई होती है. उसको लगा लेते हैं. हम लोग सांप की देखभाल करते हैं. उनको नहलाते भी हैं. उन्होंने बताया कि जब हमने आंख खोली तब से सांपों को अपने घरों में देख रहे हैं. नाग पंचमी के दिन इन सांपों की पूजा भी की जाती है.

Intro:बरेली। शहर से करीब 50 किमी दूर एक ऐसी बस्ती है जहां हर घर में सांप पाले जाते हैं। अधकटा ब्रह्मनान गांव के लोग इनकी रखवाली करते हैं। इनको पूजते हैं।

इस गांव में करीब 250 घर हैं जहां घरों में दरवाजे नहीं हैं। इनकी रखवाली की जिम्मेदारी इन्हीं सांपों पर है।


Body:मानते हैं परिवार का सदस्य

यहां रहने वाले ग्रामीण इन सांपों को अपने परिवार का ही सदस्य मानते हैं। बड़ों से लेकर बच्चे भी इनको अपना दोस्त मानते हैं। इनके साथ खेलते हैं।

रात को खुले में रहते हैं

अधकटा ब्रह्मनान गांव के रहने वाले तेजपाल ने बताया कि हमारे गांव में किसी भी घर में दरवाज़ा नहीं है। रात में इन सांपों को खुले में छोड़ देते हैं। इस वजह से चोर-उच्चके घर में घुस नहीं पाते। उन्होंने बताया कि रात में वह लोग चूहा, मेढक खा कर पेट भर लेते हैं।

करते हैं देखभाल

वहीं गांव के एक और लोग ने बताया कि कभी-कभी यह सांप काट भी लेते हैं। लेकिन हम लोगों के पास दवाई होती है। उसको लगा लेते हैं। ग्रामीण ने बताया कि हम लोग सांप की पूरी देखभाल करते हैं। उनको नहलाते भी हैं। उन्होंने बताया कि जब हमने आंख खोली तभी से सांपों को अपने घरों में देख रहे हैं।

विरासत में मिली

तेजपाल ने बताया कि यह परंपरा आज से नहीं बल्कि हमारे पूर्वजों के समय से चली आ रही है। हमलोगों को बिल्कुल भी डर नहीं लगता। हमलोगों को काबू करने की कला आती है।

दोस्ती बेहद आसान

यहां रहने वाले हर ग्रामीण की इन सांपों से दोस्ती है। जैसे लोग कुत्ते पालते हैं। वैसे ही हम लोग सांप पालते हैं। हमारे घर के बच्चों के बाएं हाथ का खेल है इनसे दोस्ती करना।


Conclusion:अधकटा ब्रह्मनान गांव के हर घर में सांप मिलेंगे। यह सांप इनलोगों की भाषा जानते हैं। नाग पंचमी के दिन इन सांपों की पूजा भी की जाती है।

अनुराग मिश्र

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