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बरेली: बेसहारा कुत्तों का सहारा बनीं शिवानी - shivani pal

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने अपना सम्पूर्ण जीवन आवारा कुत्तों के नाम कर दिया. बीमार कुत्तों का इलाज करना हो या भूखे कुत्तों को खाना खिलाना इन कामों में वह हमेशा सबसे आगे रहती हैं.

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बेसहारा कुत्तों का सहारा बनी शिवानी.
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Published : Feb 11, 2020, 10:40 AM IST

बरेली: जिले में आपने कुत्तों को रोटी देने वाले तो कई देखे होंगे, लेकिन ऐसा कोई नहीं देखा होगा जो आवारा कुत्तों के लिए अपना पूरा जीवन उनके ही नाम कर दे. बता दें कि एक महिला ऐसी भी हैं जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन आवारा कुत्तों के नाम कर दिया है. बीमार कुत्तों का इलाज करना हो या भूखे कुत्तों को खाना खिलाना हो, इस काम में ये हमेशा आगे रहती हैं.

बेसहारा कुत्तों का सहारा बनीं शिवानी.

बता दें कि बरेली की शिवानी पाल ने अपना सारा जीवन इन आवारा कुत्तों की देखभाल के लिए लगा दिया है. यहां तक कि कुत्तों की देख-रेख के लिए इन्होंने शादी तक नहीं की. इस काम को करके उन्होंने जीवों के प्रति प्रेम की एक अनूठी मिसाल कायम की है. कोलकाता से पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद नौकरी करने की जगह शिवानी ने अपने घर वापस आकर अपने पिता की तरह ही अपना सम्पूर्ण जीवन जीव प्रेम में लगा दिया. तबसे लेकर आज तक वह सिर्फ आवारा कुत्तों की देखभाल ही कर रही हैं.

शिवानी पिता की तरह कर रहीं पशुओं की देखभाल
वहीं जब शिवानी पाल से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि मेरे पिता भी इसी तरह से जानवरों की सेवा करते थे. यह संस्कार उन्हें अपने पिता से मिला है. हालांकि उनके पिता ने उनको शादी करने के लिए बहुत कहा, लेकिन शिवानी ने जानवरों की देखभाल करने के चलते शादी से इनकार कर दिया.

जिले के लिए मिशाल बनीं शिवानी
शिवानी बरेली के लिए एक मिसाल बनी हुई हैं, जिन्होंने जानवरों की देखभाल के लिए अपना सारा जीवन समर्पण कर दिया. अब देखना यह है कि इनके त्याग भावना का कितना असर लोगों पर पशु प्रेम के प्रति देखने को मिलता है. उनके इस मैसेज से समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है.

सड़कों पर घूमते आवारा कुत्तों को मैं प्यार से रखती हूं. उनके खाने -पीने से लेकर दवा तक का ध्यान भी रखती हूं और सही समय पर उनका इलाज भी कराती हूं. मैं 66 साल की हो गई हूं, लेकिन आज भी मुझमें जानवरों की सेवा करने का वही जज्बा और जुनून है. इन कुत्तों का सारा खर्चा मैं ट्यूशन पढ़ाकर उठाती हूं.
-शिवानी पाल, पशु प्रेमी

बरेली: जिले में आपने कुत्तों को रोटी देने वाले तो कई देखे होंगे, लेकिन ऐसा कोई नहीं देखा होगा जो आवारा कुत्तों के लिए अपना पूरा जीवन उनके ही नाम कर दे. बता दें कि एक महिला ऐसी भी हैं जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन आवारा कुत्तों के नाम कर दिया है. बीमार कुत्तों का इलाज करना हो या भूखे कुत्तों को खाना खिलाना हो, इस काम में ये हमेशा आगे रहती हैं.

बेसहारा कुत्तों का सहारा बनीं शिवानी.

बता दें कि बरेली की शिवानी पाल ने अपना सारा जीवन इन आवारा कुत्तों की देखभाल के लिए लगा दिया है. यहां तक कि कुत्तों की देख-रेख के लिए इन्होंने शादी तक नहीं की. इस काम को करके उन्होंने जीवों के प्रति प्रेम की एक अनूठी मिसाल कायम की है. कोलकाता से पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद नौकरी करने की जगह शिवानी ने अपने घर वापस आकर अपने पिता की तरह ही अपना सम्पूर्ण जीवन जीव प्रेम में लगा दिया. तबसे लेकर आज तक वह सिर्फ आवारा कुत्तों की देखभाल ही कर रही हैं.

शिवानी पिता की तरह कर रहीं पशुओं की देखभाल
वहीं जब शिवानी पाल से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि मेरे पिता भी इसी तरह से जानवरों की सेवा करते थे. यह संस्कार उन्हें अपने पिता से मिला है. हालांकि उनके पिता ने उनको शादी करने के लिए बहुत कहा, लेकिन शिवानी ने जानवरों की देखभाल करने के चलते शादी से इनकार कर दिया.

जिले के लिए मिशाल बनीं शिवानी
शिवानी बरेली के लिए एक मिसाल बनी हुई हैं, जिन्होंने जानवरों की देखभाल के लिए अपना सारा जीवन समर्पण कर दिया. अब देखना यह है कि इनके त्याग भावना का कितना असर लोगों पर पशु प्रेम के प्रति देखने को मिलता है. उनके इस मैसेज से समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है.

सड़कों पर घूमते आवारा कुत्तों को मैं प्यार से रखती हूं. उनके खाने -पीने से लेकर दवा तक का ध्यान भी रखती हूं और सही समय पर उनका इलाज भी कराती हूं. मैं 66 साल की हो गई हूं, लेकिन आज भी मुझमें जानवरों की सेवा करने का वही जज्बा और जुनून है. इन कुत्तों का सारा खर्चा मैं ट्यूशन पढ़ाकर उठाती हूं.
-शिवानी पाल, पशु प्रेमी

Intro:एंकर:- आपने कुत्तों को रोटी देने वाले तो कई देखे होंगे लेकिन ऐसा कोई नहीं देखा होगा जो आवारा कुत्तों के लिए अपना पूरा जीवन उनके नाम कर दे। लेकिन बरेली की एक महिला ने अपना सम्पूर्ण जीवन आवारा कुत्तों के नाम कर दिया है। बीमार कुत्तों का इलाज करना हो या भूखे कुत्तों को खाना खिलाना हो हर काम ये सबसे आगे रहती है।


Body:Vo:- आपको बता दें कि बरेली की शिवानी पाल ने अपना सारा जीवन इन आवारा कुत्तों की देखभाल के लिए लगा दिया है यहाँ तक कि उनकी देखरेख के लिए उन्होंने शादी भी नहीं कि इस काम को करके उन्होंने जीवों के प्रति प्रेम की एक अनूठी मिसाल कायम की है। कोलकाता से पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद नोकरी करने की जगह शिवानी ने अपने घर वापस आकर अपने पिता की तरह ही अपना सम्पूर्ण जीवन जीव प्रेम में लगा दिया और तबसे लेकर आज तक वो सिर्फ आवारा कुत्तों की देखभाल कर रही है।


Vo2:- शिवानी का कहना है कि उनके पिता भी इसी तरह से जानवरों की सेवा करते थे ये संस्कार उन्हें अपने पिता से मिले हैं हालांकि उनके पिता ने उनको शादी करने के लिए बहुत कहा था लेकिन शिवानी ने अपने मन में जानवरों की देखभाल करने का जज़्बा था जिसके चलते उन्होंने शादी नहीं कि। शिवानी सड़कों पर घूमते आवारा कुत्तों को बहुत प्यार से रखती है उनके खाने पीने से लेकर दवा तक का ध्यान रखती हैं। सही समय पर उनका इलाज भी कराती हैं। शिवानी कहती है कि आज मै 66 साल की हो गयी हूँ लेकिन आज भी मुझमें वही जज़्बा और जुनून है जानवरों की सेवा करने का। शिवानी ने ये भी बताया कि वो इन कुत्तों का सारा खर्चा अपने पास से करती है घर में बने ये जाल जिनमें कुत्ते रहते है वो मैंने अपने पैसों से बनवाया है किसी से एक पैसे की मदत नहीं ली है। मैं ट्यूशन पढ़ाकर इन कुत्तों की देखभाल के सारा खर्चा करती हूँ पिता के देहांत के बाद से सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है मैं जो भी करती हूँ अपने हिसाब से ही करती हूं।


बाईट:- शिवानी पाल




Conclusion:Fvo:- शिवानी बरेली के लिए एक मिसाल है जिन्होंने जानवरों की देखभाल के लिए सारा जीवन अर्पण कर दिया है अब देखना ये है कि इनकी इस त्याग भावना का कितना असर आम जनता पर पड़ता है। और समाज में उन्हें क्या सम्मान मिलता है।


रंजीत शर्मा

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