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बरेली में भी है महात्मा गांधी की समाधि

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Published : Oct 2, 2020, 7:29 PM IST

दिल्ली के बाद रामपुर और बरेली ही ऐसा जिला है, जहां महात्मा गांधी की समाधि है. 30 जनवरी 1948 को बापू की हत्या के बाद राजघाट में अंतिम संस्कार हुआ. वहां से भस्म का कुछ हिस्सा लाकर बरेली में गांधी समाधि का निर्माण कराया गया. आइये जानते हैं कहां है बापू की ये समाधि...

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बिहारीपुर कसगरान में है गांधी समाधि स्थल.

बरेली: दो अक्टूबर को पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है. सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलनों के समय देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचकर लोगों को शांति और सद्भभावना का पाठ पढ़ाया. आज बापू की 151वीं जयंती मनाई जा रही है. ऐसे में हम आपको एक स्थल के बारे में अवगत कराएंगे, जहां बापू की समाधि है.

बिहारीपुर कसगरान में है गांधी समाधि स्थल.

दरअसल, 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में शामिल नाथूराम गोडसे ने बापू की गोली मारकर हत्या कर दी. बापू की अंत्येष्ठि के बाद अस्थि विसर्जन किया गया. वहीं भस्म का कुछ हिस्सा लाकर बरेली के बिहारीपुर कसगरान में गांधी समाधि स्थल का निर्माण कराया गया. आज भी वहां पर बापू की समाधि स्थित है.

गांधी भस्मी स्मारक समिति के संरक्षक राजनारायण गुप्ता ने बताया कि इस स्मारक का निर्माण भूप नारायण आर्य ने कराया था. वे महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे. बताते हैं कि जब गांधी जी का अंतिम संस्कार होना था, तो भूप नारायण दिल्ली के राजघाट पहुंचे और उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए. अंतिम संस्कार के बाद वे वहां से गांधी जी की भस्म का कुछ हिस्सा बरेली ले आए. भूप नारायण आर्य अपने साथी मैकूलाल के साथ मिलकर बापू का स्मारक बनवाकर मिट्टी की मूर्ति स्थापित की. बाद में 1970-71 के दौरान मिट्टी की मूर्ति की जगह संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गई और नाम दिया गया गांधी भस्म स्मारक.

बरेली: दो अक्टूबर को पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है. सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलनों के समय देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचकर लोगों को शांति और सद्भभावना का पाठ पढ़ाया. आज बापू की 151वीं जयंती मनाई जा रही है. ऐसे में हम आपको एक स्थल के बारे में अवगत कराएंगे, जहां बापू की समाधि है.

बिहारीपुर कसगरान में है गांधी समाधि स्थल.

दरअसल, 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में शामिल नाथूराम गोडसे ने बापू की गोली मारकर हत्या कर दी. बापू की अंत्येष्ठि के बाद अस्थि विसर्जन किया गया. वहीं भस्म का कुछ हिस्सा लाकर बरेली के बिहारीपुर कसगरान में गांधी समाधि स्थल का निर्माण कराया गया. आज भी वहां पर बापू की समाधि स्थित है.

गांधी भस्मी स्मारक समिति के संरक्षक राजनारायण गुप्ता ने बताया कि इस स्मारक का निर्माण भूप नारायण आर्य ने कराया था. वे महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे. बताते हैं कि जब गांधी जी का अंतिम संस्कार होना था, तो भूप नारायण दिल्ली के राजघाट पहुंचे और उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए. अंतिम संस्कार के बाद वे वहां से गांधी जी की भस्म का कुछ हिस्सा बरेली ले आए. भूप नारायण आर्य अपने साथी मैकूलाल के साथ मिलकर बापू का स्मारक बनवाकर मिट्टी की मूर्ति स्थापित की. बाद में 1970-71 के दौरान मिट्टी की मूर्ति की जगह संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गई और नाम दिया गया गांधी भस्म स्मारक.

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