बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले को नाथ नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां भगवान भोलेनाथ के कई प्राचीन मंदिर हैं जो बरेली की चारों दिशाओं में स्थापित हैं. इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक मंदिर है- प्रवृत्ति नाथ मंदिर. यह प्राचीन मंदिर लगभग 600 वर्ष पुराना है और इस मंदिर में हर वक्त भोलेनाथ के भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे दिल से भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.
बरेली के प्रेम नगर क्षेत्र में स्थापित त्रिवटी नाथ मंदिर (Trivati Nath temple Bareilly) लगभग 600 वर्ष पुराना है. बताया जाता है कि लगभग 600 साल पहले जब यहां हर तरफ घना जंगल हुआ करता था और दूर-दूर तक सिर्फ जंगल ही जंगल दिखाई देता था. उसी दौर में एक चरवाहा तीन वट वृक्षों के नीचे सो रहा था और उसे सपने में भगवान शिव ने आकर कहा कि तुम जहां सो रहे हो, वहां मेरा एक शिवलिंग है. इसके बाद जैसे ही चरवाहा की आंख खुली तो सामने उसे एक भोलेनाथ की शिवलिंग दिखाई दिया. वह उठा और शिवलिंग की पूजा की. तब से यहां हर वक्त भक्तों का आना-जाना लगा रहता है.
तीन वट वृक्षों के नीचे भोलेनाथ का शिवलिंग
बरेली के त्रिवटी नाथ मंदिर में जो प्राचीन शिवलिंग स्थापित है वो तीन वट वृक्षों के नीचे बना हुआ है, जो कि खुद प्रकट हुआ था. आज भी भक्त उसी शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं. बरेली के इस मंदिर में प्राचीन शिवलिंग के साथ-साथ एक और बाबा भोलेनाथ का शिवलिंग है. इतना ही नहीं, भोले बाबा के इस मंदिर में कई और देवी-देवताओं की भी मूर्तियां हैं.
43 फीट ऊंची भोले बाबा की है मूर्ति
बरेली के प्राचीन मंदिर में 43 फीट ऊंची भोले बाबा की एक मूर्ति है. इसको देखने के लिए और भोले बाबा के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. इतना ही नहीं, इस प्राचीन मंदिर में एक विशाल नंदी बाबा की भी मूर्ति है, जिसके बाद भक्त भगवान शिव काव दर्शन कर उनके कान में बोलकर अपनी मुराद को मांगते हैं.
हर मुराद होती है पूरी
माना जाता है कि इस प्राचीन त्रिवटी नाथ मंदिर में जो भी भक्त सच्चे दिल से पूजा पाठ कर मन्नत मांगते हैं, उनकी हर मन्नत पूरी होती है. वैसे तो हर रोज सुबह से लेकर शाम तक भोलेनाथ के भक्त आते रहते हैं. शिवरात्रि जैसे विशेष पर्व पर भोलेनाथ के इस मंदिर में खूब भीड़ देखने को मिलती है. इतना ही नहीं, लोग मंदिर में बैठकर चालीसा का भी पाठ करते हैं.
यह भी पढ़ें- इस बार भव्य होगी काशी की महाशिवरात्रि, गदगद होंगे बाबा के भक्त... पढ़ें पूरी खबर
मंदिर के पुजारी पंडित रविन्द्र शर्मा ने बताया कि यह मंदिर 600 साल से भी ज्यादा प्राचीन मंदिर है और यहां भोले नाथ का प्राचीन शिवलिंग है, जो खुद ही प्रकट हुए हैं. साथ ही तीन वट वृक्ष के नीचे बने शिवलिंग के कारण इस मंदिर का नाम त्रिवटी नाथ मंदिर पड़ा है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप