बरेली: देश की सबसे बड़ी सांभर झील में करीब पांच हजार प्रवासी पक्षियों की मौत के राज से भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली ने पर्दा उठा दिया है. जांच में सामने आया है कि इन पक्षियों की मौत बोटूलिज्म बीमारी के चलते हुई थी. आईवीआरआई वैज्ञानिकों ने इसकी जांच रिपोर्ट राजस्थान सरकार को सौंप दी है.
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जब इसकी जानकारी राजस्थान सरकार को हुई तो उसने इसकी जांच की जिम्मेदारी भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को सौंपी. वैज्ञानिकों ने 10 से 12 दिनों में इसकी जांच पूरी कर ली. सरकार ने जांच के लिए मरे हुए पक्षियों के शव और झील के पानी का नमूना आईवीआरआई के वैज्ञानिकों को भेजा था.
पानी मे नमक की मात्रा गड़बड़ाने से यह बोटूलिज़्म पैदा होता है, जो काफी हानिकारक होता है.
-प्रो. राजकुमार सिंह, निदेशक, आईवीआरआई
नमक सप्लाई पर लगी रोक
इस बीच आयुक्तालय ने सांभर और इसके आसपास की छोटी-बड़ी करीब 1000 नमक उत्पादक इकाईयों से नमक सप्लाई पर रोक लगा दी है. बता दें कि देश में 70 प्रतिशत नमक का उत्पादन गुजरात में होता है, लेकिन शेष 30 प्रतिशत नमक उत्पादन में एक बड़ा हिस्सा सांभर का है. यहां सालाना करीब 25-30 लाख टन नमक उत्पादन होता है और देश के विभिन्न इलाकों में सप्लाई किया जाता है.