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सांभर झील में 18 हजार पक्षियों की मौत, आईवीआरआई ने बताई ये वजह

राजस्थान की सांभर झील में 18 हजार पक्षियों की मौत मामले में बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान यानि आईवीआरआई ने जांच पूरी कर ली है. आईवीआरआई ने पक्षियों की मौत की वजह बोटूलिज्म बीमारी को बताया है.

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सांभर झील में 18 हजार पक्षियों की मौत.
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Published : Dec 2, 2019, 11:47 PM IST

बरेली: देश की सबसे बड़ी सांभर झील में करीब पांच हजार प्रवासी पक्षियों की मौत के राज से भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली ने पर्दा उठा दिया है. जांच में सामने आया है कि इन पक्षियों की मौत बोटूलिज्म बीमारी के चलते हुई थी. आईवीआरआई वैज्ञानिकों ने इसकी जांच रिपोर्ट राजस्थान सरकार को सौंप दी है.

जानकारी देते आईवीआरआई के डायरेक्टर.
राजस्थान की सांभर झील में 10 नवंबर को हजारों प्रवासी पक्षियों की अचानक मौत हुई थी. मरने वाले पक्षियों में प्लोवर, कॉमन कूट, काले पंखों वाला स्टिल्ट, उत्तरी फावड़े, सुर्ख शेल्ड आदि शामिल थे.

ये भी पढ़ें: बरेली को नई पहचान देगा बांस और बेंत, 'एक जनपद-एक उत्पाद' में हुआ शामिल

जब इसकी जानकारी राजस्थान सरकार को हुई तो उसने इसकी जांच की जिम्मेदारी भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को सौंपी. वैज्ञानिकों ने 10 से 12 दिनों में इसकी जांच पूरी कर ली. सरकार ने जांच के लिए मरे हुए पक्षियों के शव और झील के पानी का नमूना आईवीआरआई के वैज्ञानिकों को भेजा था.

पानी मे नमक की मात्रा गड़बड़ाने से यह बोटूलिज़्म पैदा होता है, जो काफी हानिकारक होता है.

-प्रो. राजकुमार सिंह, निदेशक, आईवीआरआई

नमक सप्लाई पर लगी रोक
इस बीच आयुक्तालय ने सांभर और इसके आसपास की छोटी-बड़ी करीब 1000 नमक उत्पादक इकाईयों से नमक सप्लाई पर रोक लगा दी है. बता दें कि देश में 70 प्रतिशत नमक का उत्पादन गुजरात में होता है, लेकिन शेष 30 प्रतिशत नमक उत्पादन में एक बड़ा हिस्सा सांभर का है. यहां सालाना करीब 25-30 लाख टन नमक उत्पादन होता है और देश के विभिन्न इलाकों में सप्लाई किया जाता है.

बरेली: देश की सबसे बड़ी सांभर झील में करीब पांच हजार प्रवासी पक्षियों की मौत के राज से भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली ने पर्दा उठा दिया है. जांच में सामने आया है कि इन पक्षियों की मौत बोटूलिज्म बीमारी के चलते हुई थी. आईवीआरआई वैज्ञानिकों ने इसकी जांच रिपोर्ट राजस्थान सरकार को सौंप दी है.

जानकारी देते आईवीआरआई के डायरेक्टर.
राजस्थान की सांभर झील में 10 नवंबर को हजारों प्रवासी पक्षियों की अचानक मौत हुई थी. मरने वाले पक्षियों में प्लोवर, कॉमन कूट, काले पंखों वाला स्टिल्ट, उत्तरी फावड़े, सुर्ख शेल्ड आदि शामिल थे.

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जब इसकी जानकारी राजस्थान सरकार को हुई तो उसने इसकी जांच की जिम्मेदारी भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को सौंपी. वैज्ञानिकों ने 10 से 12 दिनों में इसकी जांच पूरी कर ली. सरकार ने जांच के लिए मरे हुए पक्षियों के शव और झील के पानी का नमूना आईवीआरआई के वैज्ञानिकों को भेजा था.

पानी मे नमक की मात्रा गड़बड़ाने से यह बोटूलिज़्म पैदा होता है, जो काफी हानिकारक होता है.

-प्रो. राजकुमार सिंह, निदेशक, आईवीआरआई

नमक सप्लाई पर लगी रोक
इस बीच आयुक्तालय ने सांभर और इसके आसपास की छोटी-बड़ी करीब 1000 नमक उत्पादक इकाईयों से नमक सप्लाई पर रोक लगा दी है. बता दें कि देश में 70 प्रतिशत नमक का उत्पादन गुजरात में होता है, लेकिन शेष 30 प्रतिशत नमक उत्पादन में एक बड़ा हिस्सा सांभर का है. यहां सालाना करीब 25-30 लाख टन नमक उत्पादन होता है और देश के विभिन्न इलाकों में सप्लाई किया जाता है.

Intro:एंकर-देश के सबसे बड़ी सांभर झील में करीब पांच हजार प्रवासी पक्षियों की मौत के राज से भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) बरेली ने पर्दा उठा दिया है। जांच में सामने आया है कि इन पक्षियों की मौत  बोटूलिज्म बीमारी के चलते हुई थी। आइवीआरआइ वैज्ञानिकों ने इसकी रिपोर्ट राजस्थान सरकार के हवाले कर दी





Body:Vo1:-राजस्थान की सांभर झील में दस नवंबर को हजारों प्रवासी पक्षियों की अचानक मौत हुई थी। मरने वाले पक्षियों में प्लोवर, कॉमन कूट, काले पंखों वाला स्टिल्ट, उत्तरी फावड़े, सुर्ख शेल्ड आदि शामिल थे।

vo:-2जब इसकी जानकारी हुई तो राजस्थान सरकार ने जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र (आइवीआरआइ) के वैज्ञानिकों को जिम्मेदारी सौंपी थी। वैज्ञानिकों ने 10 से 12 दिनों में इसकी जांच पूरी कर ली। सरकार ने जांच के लिए मरे हुए पक्षियों के शव और झील के पानी का नमूना आइवीआरआइ के वैज्ञानिकों को भेजा था।


बाइट:-डॉ आर के सिंह डायरेक्टर आई वी आर आई


Vo3:-आइवीआरआइ के निदेशक प्रो. राजकुमार सिंह ने बताया कि पानी मे नमक की मात्रा  गड़बड़ाने से यह बोटूलिज़्म पैदा होता है जो काफी हानिकारक होता है।




Conclusion:Fvo:- इस बीच आयुक्तालय ने सांभर और इसके आसपास की छोटी-बड़ी करीब 1000 नमक उत्पादक इकाईयों से नमक सप्लाई पर रोक लगा दी है. बता दें कि देश में 70 प्रतिशत नमक का उत्पादन गुजरात में होता है लेकिन शेष 30 प्रतिशत नमक उत्पादन में एक बड़ा हिस्सा सांभर का है. यहां सालाना करीब 25-30 लाख टन नमक उत्पादन होता है और देश के विभिन्न इलाकों में सप्लाई किया जाता है।

रंजीत शर्मा

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