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बरेली: नेपाल से आए हाथियों को बेहोश करने की योजना टली - यूपी की खबरें

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में तीन लोगों की जान ले चुके नेपाली हाथियों को बेहोश किए जाने की योजना टाल दी गई. अब वे दोनों उस रास्ते पर वापस जा रहे हैं, जहां से आए थे.

बरेली.
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Published : Jul 12, 2019, 12:00 PM IST

बरेली: जिले में नेपाल से रास्ता भटक कर दो हाथी पीलीभीत और उत्तराखंड के रास्ते बहेड़ी क्षेत्र में घुस आए. इन हाथियों ने अब तक तीन लोगों की जान ले ली है. इसके बाद से आसपास के गांवों में हाथियों का आतंक है. वन विभाग ने इनको काबू करने के लिए चार प्रशिक्षित हाथी मंगवाकर उन्हें ट्रैंक्यूलाइज करने की रणनीति बनाई थी, लेकिन नेपाली हाथियों को बेहोश किए जाने की योजना टाल दी गई. वजह यह है कि अब वे दोनों उस रास्ते पर वापस जा रहे हैं, जिधर से आए थे.

हाथी वापस उसी ओर लौट रहे हैं, जिधर से आए थे.

यह है पूरा मामला

  • नेपाल से रास्ता भटक कर दो हाथी पीलीभीत, उत्तराखंड के रास्ते बहेड़ी क्षेत्र में घुस आए थे.
  • 27 जून को हाथियों ने गांव भट्टी में किसान लाखन सिंह को कुचलकर मार डाला था.
  • तीन जुलाई को शीशगढ़ के गांव तिकड़ी में वन रक्षक हेमंत कुमार को पटक कर मौत के घाट उतार दिया था.
  • इसके बाद से बिगड़ैल हाथियों ने यहां डेरा जमा रखा था.
  • सोमवार को दोनों नेपाली हाथी शंखा नदी पार कर शहर के करीब पहुंच गए थे.
  • वन विभाग ने दुधवा से चार प्रशिक्षित हाथी मंगवाकर उन्हें ट्रैंक्यूलाइज करने की रणनीति बनाई थी.
  • हाथियों के गौंटिया में होने की सूचना पर वन विभाग के अधिकारी टीमों को लेकर मौके पर पहुंच गए.
  • अधिकारियों को उम्मीद है कि हाथी जिस रास्ते आये थे, उसी रास्ते लौट सकते हैं.

क्या है घटनाक्रम

  • सोमवार को दोनों हाथी शहर से करीब पंद्रह किमी दूर स्थित बंद रबर फैक्ट्री तक आ गए थे.
  • मंगलवार को दोनों को बेहोश करने की योजना बनाई गई, लेकिन बारिश होने लगी.
  • दूसरी ओर हाथी भी रबर फैक्ट्री परिसर से निकलकर मंसूरगंज गांव पहुंच गए. उधर से ही दोनों रबर फैक्ट्री तक आए थे.
  • खेतों में खड़े हाथियों के चारों ओर दूर तक पानी भरा था, इसलिए ट्रैंक्यूलाइज किए जाने की योजना को टाल दिया गया था.
  • मंगलवार की रात को हाथी मंसूरगंज से सात किमी दूर दिनरा मिर्जापुर गांव के खेतों में पहुंच गए. यह वही गांव है, जहां हाथी सात जुलाई को थे.
  • गुरुवार की सुबह दोनों हाथी नरखेड़ा की गोटिया के जंगल में दिखाई दिए. शुक्रवार को हाथी मीरगंज थाना क्षेत्र के गांव मंडनपुर जा पहुंचे.

दोनों हाथी अब उसी रास्ते वापस जा रहे हैं, जिस रास्ते से आए थे. वे शहर से दूर जा रहे हैं. अब बेहोश करने की योजना स्थगित कर दी गई है. पीलीभीत बॉर्डर के जंगलों तक दोनों हाथियों को पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.
-पीपी सिंह, मुख्य वन संरक्षक एवं अभियान के नोडल अधिकारी, झांसी

बरेली: जिले में नेपाल से रास्ता भटक कर दो हाथी पीलीभीत और उत्तराखंड के रास्ते बहेड़ी क्षेत्र में घुस आए. इन हाथियों ने अब तक तीन लोगों की जान ले ली है. इसके बाद से आसपास के गांवों में हाथियों का आतंक है. वन विभाग ने इनको काबू करने के लिए चार प्रशिक्षित हाथी मंगवाकर उन्हें ट्रैंक्यूलाइज करने की रणनीति बनाई थी, लेकिन नेपाली हाथियों को बेहोश किए जाने की योजना टाल दी गई. वजह यह है कि अब वे दोनों उस रास्ते पर वापस जा रहे हैं, जिधर से आए थे.

हाथी वापस उसी ओर लौट रहे हैं, जिधर से आए थे.

यह है पूरा मामला

  • नेपाल से रास्ता भटक कर दो हाथी पीलीभीत, उत्तराखंड के रास्ते बहेड़ी क्षेत्र में घुस आए थे.
  • 27 जून को हाथियों ने गांव भट्टी में किसान लाखन सिंह को कुचलकर मार डाला था.
  • तीन जुलाई को शीशगढ़ के गांव तिकड़ी में वन रक्षक हेमंत कुमार को पटक कर मौत के घाट उतार दिया था.
  • इसके बाद से बिगड़ैल हाथियों ने यहां डेरा जमा रखा था.
  • सोमवार को दोनों नेपाली हाथी शंखा नदी पार कर शहर के करीब पहुंच गए थे.
  • वन विभाग ने दुधवा से चार प्रशिक्षित हाथी मंगवाकर उन्हें ट्रैंक्यूलाइज करने की रणनीति बनाई थी.
  • हाथियों के गौंटिया में होने की सूचना पर वन विभाग के अधिकारी टीमों को लेकर मौके पर पहुंच गए.
  • अधिकारियों को उम्मीद है कि हाथी जिस रास्ते आये थे, उसी रास्ते लौट सकते हैं.

क्या है घटनाक्रम

  • सोमवार को दोनों हाथी शहर से करीब पंद्रह किमी दूर स्थित बंद रबर फैक्ट्री तक आ गए थे.
  • मंगलवार को दोनों को बेहोश करने की योजना बनाई गई, लेकिन बारिश होने लगी.
  • दूसरी ओर हाथी भी रबर फैक्ट्री परिसर से निकलकर मंसूरगंज गांव पहुंच गए. उधर से ही दोनों रबर फैक्ट्री तक आए थे.
  • खेतों में खड़े हाथियों के चारों ओर दूर तक पानी भरा था, इसलिए ट्रैंक्यूलाइज किए जाने की योजना को टाल दिया गया था.
  • मंगलवार की रात को हाथी मंसूरगंज से सात किमी दूर दिनरा मिर्जापुर गांव के खेतों में पहुंच गए. यह वही गांव है, जहां हाथी सात जुलाई को थे.
  • गुरुवार की सुबह दोनों हाथी नरखेड़ा की गोटिया के जंगल में दिखाई दिए. शुक्रवार को हाथी मीरगंज थाना क्षेत्र के गांव मंडनपुर जा पहुंचे.

दोनों हाथी अब उसी रास्ते वापस जा रहे हैं, जिस रास्ते से आए थे. वे शहर से दूर जा रहे हैं. अब बेहोश करने की योजना स्थगित कर दी गई है. पीलीभीत बॉर्डर के जंगलों तक दोनों हाथियों को पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.
-पीपी सिंह, मुख्य वन संरक्षक एवं अभियान के नोडल अधिकारी, झांसी

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बरेली : जिले में तीन लोगों की जान ले चुके नेपाली हाथियों को बेहोश किए जाने की योजना टाल दी गई। वजह यह है कि अब वे दोनों उस रास्ते पर वापस जा रहे हैं, जिधर से आए थे।
सोमवार को दोनों हाथी शहर से करीब पंद्रह किमी दूर स्थित बंद रबर फैक्ट्री तक आ गए थे। तब मंगलवार को दोनों को बेहोश करने की योजना बनी मगर, बारिश होने लगी। दूसरी ओर हाथी भी रबर फैक्ट्री परिसर से निकलकर मंसूरगंज गांव पहुंच गए, उधर से ही दोनों रबर फैक्ट्री तक आए थे। खेतों में खड़े हाथियों के चारों ओर दूर तक पानी भरा था इसलिए ट्रैंक्यूलाइज किए जाने की योजना को टाल दिया गया था। मंगलवार की रात को हाथी मंसूरगंज से सात किमी दूर दिनरा मिर्जापुर गांव के खेतों में पहुंच गए। पानी भरे खेतों में टहलते रहे। यह वही गांव है, जहां हाथी सात जुलाई को थे। गुरवार की सुबह दोनो हाथी नरखेडा की गोटियाँ के जंगल में दिखाई दिए।शुक्रवार को हाथी मीरगंज थाना क्षेत्र के गाँव मंडनपुर जा पहुंचे।
वापसी का रास्ता पकड़ लिया, अब इंतजार करेंगे
झांसी के मुख्य वन संरक्षक एवं अभियान के नोडल अधिकारी पीपी सिंह ने बताया कि दोनों हाथी अब उसी रास्ते वापस जा रहे, जिससे आए थे। वे शहर से दूर जा रहे हैं। अब बेहोश करने की योजना स्थगित कर दोनों को बहेड़ी तक उसी रास्ते पर हांककर ले जाएंगे, जिससे आए थे। वहां से सटे पीलीभीत बॉर्डर के जंगलों तक दोनों हाथियों को पहुंचाने
की कोशिश है।


यह है पूरा मामला
नेपाल से रास्ता भटक कर दो हाथी पीलीभीत, उत्तराखंड के रास्ते बहेड़ी क्षेत्र में घुस आए थे। 27 जून को हाथियों ने गांव भट्टी में किसान लाखन सिंह को कुचलकर मार डाला था। वहीं, तीन जुलाई को शीशगढ़ के गांव तिकड़ी में वन रक्षक हेमंत कुमार को पटक कर मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद से बिगड़ैल हाथियों ने यहां डेरा जमा रखा था। सोमवार को दोनों नेपाली हाथी शंखा नदी पार कर शहर के करीब पहुंच गए थे। तब वन विभाग ने दुधवा से चार प्रशिक्षित हाथी मंगवाकर उन्हें ट्रैंक्यूलाइज करने की रणनीति बनाई थी। Body:नरखेड़ा में गन्ना के खेत में हाथियों ने जमकर तबाही मचाई। गन्ना का खेत जय नरायन पब्लिक स्कूल के नजदीक है। हाथियों के गौंटिया में होने की सूचना पर वन विभाग के अधिकारी टीमों को लेकर मौके पर पहुंच गए। अधिकारियों ने ग्रामीणों को हाथियों के पास नहीं जाने दिया। अधिकारियों को उम्मीद है, हाथी जिस रास्ते आये थे उसी रास्ते लौट सकते हैं। रोजगार सेवक सोहन लाल ने बताया, सुबह छह बजे से हाथी हमारे खेत में हैं। हाथियों ने गन्ना का खेत बर्बाद कर दिया है।Conclusion:
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