बरेली: प्रेमनगर थाना क्षेत्र के शाहबाद मोहल्ले के रहने वाले जावेद अंसारी ने जिलाधिकारी से इजाजत मांगी है कि उन्हें अपनी किडनी बेचने दी जाए, जिससे वह अपने बच्चों की फीस जमा कर दें. बता दें कि जावेद अंसारी पेशे से चित्रकार हैं. कोरोना आपदा में जावेद का कारोबार बंद है.
दरअसल, कोरोना और लॉकडाउन के चलते जहां कई लोग बेरोजगार हुए तो वहीं जिनका खुद का व्यापार था वो भी ठप हो गया. लोगों के पास आमदनी का कोई साधन नहीं रहा, जो जमा पूंजी थी उसी से वह अपना खर्चा चला रहे हैं, लेकिन शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल अभिभावकों की परेशानी को न समझ कर अपनी मनमानी पर उतारू हैं, जिससे अभिभावक परेशान हैं.
कोरोना काल में बच्चों की फीस के मुद्दे को लेकर स्कूल प्रशासन और अभिभावक संघ में जद्दोजहद चल रही है. वहीं प्रेमनगर थाना क्षेत्र के शाहबाद मोहल्ले के रहने वाले जावेद अंसारी पर स्कूल वालों ने फीस जमा करने का दबाव बना दिया है. फीस जमा न करने पर स्कूल उनके बच्चों को निकालने की धमकी दे रहा है. स्कूल की धमकी से परेशान जावेद अंसारी ने जिलाधिकारी से अपनी किडनी बेचने की इजाजत मांगी है ताकि वह अपने बच्चों की फीस जमा कर सकें.
जावेद अंसारी पेशे से एक चित्रकार हैं. जिलाधिकारी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि, 'लॉकडाउन के चलते उनका सारा काम ठप हो चुका है. अपने परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है. इसी समय स्कूल वाले भी बच्चों की फीस जमा करने को लेकर दबाव बना रहे हैं, लेकिन हम फीस कहां से दें.' वहीं जावेद अंसारी की बेटी आबिदा अंसारी का कहना है कि मैं 8वीं कक्षा में पड़ती हूं. मेरे पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इसी के चलते स्कूल में फीस जमा नहीं हो पा रही है. सरकार से यही प्रार्थना है की जल्द से जल्द फीस माफ कराने का कष्ट करें.
अभी हमारे पास कोई लिखित शिकायत नहीं आई है. अगर शिकायत आती है तो उनकी मदद की जाएगी. स्कूल प्रशासन को लिखा जाएगा कि व्यक्ति की हरसंभव मदद की जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है.
गिरीश चंद्र यादव, प्रभारी, जिला विद्यालय निरीक्षक